ग़ज़ल - 6 -नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

मोहब्बत की ऐसी तो सूरत नहीं है,  दिखावे की चाहत है, चाहत नहीं है।   ........

Aug 14, 2024 - 00:33
Aug 14, 2024 - 00:46
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ग़ज़ल - 6 -नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
ग़ज़ल - 6 -नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

ग़ज़ल 

मोहब्बत की ऐसी तो सूरत नहीं है, 
दिखावे की चाहत है, चाहत नहीं है।   

किसी को किसी से मुरव्वत नहीं है, 
शरीफों में भी अब शराफत नहीं है।  

वो मिलते हैं अब अजनबी की तरह क्यों, 
उन्हें क्या हमारी जरूरत नहीं है।   

बिछाते रहे राह में वो मेरे कांटे, 
मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है।  

उसे कैसे इंसान समझें भला हम, 
जिसे जिंदगी से मोहब्बत नहीं है।  

बहारों के मौसम का वो कद्रदान हैं, 
जिसे कोई फूलों से निस्बत नहीं है।  

कोई फूल, खुशबू, हंसीं, चांद, तारें, 
तुम्हारी तरह खूबसूरत नहीं है।  

अकीदत के बल पर मोहब्बत है भाई, 
मोहब्बत नहीं तो इबादत नहीं है।  

ये सब चापलूसी की बातें हैं नौशाद, 
हकीकत में कोई सियासत नहीं है।  

गज़लकार 
नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।