Gamharia Accident : तड़के सड़क पर भटक रही महिला को अज्ञात वाहन ने कुचला, मौके पर मौत
गम्हरिया प्रखंड के टाटा-कांड्रा मेन रोड पर सुबह तड़के एक दर्दनाक हादसा हुआ। अज्ञात वाहन ने महिला भिक्षुक को रौंद दिया, मौके पर मौत। हादसे ने फिर उठाया सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल।
गम्हरिया : बुधवार की सुबह जैसे ही लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में जुटने लगे थे, उसी वक्त टाटा-कांड्रा मेन रोड पर एक दर्दनाक हादसा हो गया। छोटा गम्हरिया स्थित शहीद सुनील महतो समाधि स्थल के सामने सुबह लगभग 4 से 5 बजे के बीच एक अज्ञात वाहन ने सड़क किनारे भटक रही महिला भिक्षुक को जोरदार टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी भयानक थी कि महिला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और लोगों के बीच आक्रोश और शोक का माहौल बन गया।
चश्मदीदों का बयान
स्थानीय लोगों का कहना है कि मृतका पिछले कई महीनों से इलाके में घूमती रहती थी। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और अक्सर उसे सड़कों पर भटकते देखा जाता था। हादसे वाली सुबह भी वह सड़क किनारे ही चल रही थी, तभी तेज रफ्तार वाहन ने उसे कुचल दिया।
चश्मदीदों का आरोप है कि तड़के सुबह इस मार्ग से भारी वाहन बिना किसी डर के तेज रफ्तार में गुजरते हैं और ट्रैफिक व्यवस्था लगभग नदारद रहती है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
हादसे की सूचना मिलते ही गम्हरिया थाना पुलिस की पेट्रोलिंग टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस को बुलाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हालांकि, अब तक उस वाहन की पहचान नहीं हो पाई है जिसने महिला को कुचला। पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सड़क हादसों का काला इतिहास
गम्हरिया और आसपास के इलाके टाटा-कांड्रा मेन रोड लंबे समय से सड़क हादसों के लिए बदनाम रहे हैं।
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2017 में गम्हरिया चौक पर एक तेज रफ्तार ट्रक ने स्कूली वैन को टक्कर मारी थी, जिसमें कई बच्चे घायल हुए थे।
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2020 में छोटा गम्हरिया के पास ही बस और ऑटो की टक्कर में 3 लोगों की मौत हो गई थी।
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2022 में इसी मार्ग पर एक बाइक सवार को तेज रफ्तार ट्रेलर ने रौंद डाला था।
इतिहास गवाह है कि हर हादसे के बाद कुछ दिनों तक सख्ती होती है, लेकिन फिर हालात जस के तस हो जाते हैं।
सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
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क्यों सुबह-सुबह भारी वाहनों की स्पीड पर कोई रोकटोक नहीं होती?
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आखिर क्यों इस मार्ग पर पर्याप्त स्पीड ब्रेकर और ट्रैफिक निगरानी नहीं है?
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कब तक आम लोग सड़क पर यूं ही मौत का शिकार होते रहेंगे?
स्थानीय लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि इस मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, स्पीड लिमिट बोर्ड और नियमित ट्रैफिक पेट्रोलिंग की व्यवस्था हो।
समाज की संवेदनहीनता भी सवालों के घेरे में
इस हादसे का एक पहलू और भी है – मृत महिला समाज की हाशिये पर जी रही थी। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और वह भीख मांगकर जिंदगी काट रही थी। सवाल यह है कि क्या हमने कभी सोचा कि ऐसे लोगों के लिए सरकारी पुनर्वास योजनाओं का क्या हुआ?
गरीबी, मानसिक बीमारी और बेघरपन ने उसे सड़क पर ला खड़ा किया था, और अंततः वही सड़क उसकी मौत का कारण बन गई।
कब मिलेगी राहत?
गम्हरिया की इस घटना ने न केवल एक महिला की जिंदगी छीन ली, बल्कि पूरे इलाके को हिला दिया। यह हादसा याद दिलाता है कि सड़क पर चलने वाला हर इंसान खतरे में है, चाहे वह राहगीर हो, साइकिल सवार या कोई बेघर महिला।
सवाल सीधा है: क्या प्रशासन अब भी सिर्फ औपचारिक जांच में समय गवाएगा या फिर सड़क सुरक्षा के ठोस कदम उठाएगा?
जब तक इसका जवाब नहीं मिलता, तब तक गम्हरिया जैसे हादसे हमारी आंखें खोलते रहेंगे।
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