Dhanbad Fraud: 26 करोड़ की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड कतरास से गिरफ्तार! बाइक और कमाई का लालच बन गया जाल
नोएडा पुलिस ने 26 करोड़ की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड मनींद्र कुमार को धनबाद के कतरास से गिरफ्तार किया। आरोपी ने बाइक और मासिक कमाई का लालच देकर की करोड़ों की ठगी।

क्या आप भी कभी ‘₹62,100 लगाइए, एक बाइक और ₹10,000 महीना कमाइए’ जैसे ऑफर्स के झांसे में आए हैं? अगर हां, तो सावधान हो जाइए! क्योंकि यह कोई स्कीम नहीं, बल्कि देशभर में फैले 26 करोड़ के एक बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा है, जिसके पीछे का मास्टरमाइंड कतरास से गिरफ्तार किया गया है।
नोएडा पुलिस की खुफिया कार्रवाई, आरोपी कतरास से दबोचा गया
मंगलवार को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर नोएडा सेक्टर-58 थाना की पुलिस की एक टीम अचानक झारखंड के धनबाद जिले के कतरास पहुंची। स्थानीय पुलिस की मदद से निचितपुर बस्ती में छापा मारा गया और घंटों की निगरानी के बाद मनींद्र कुमार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया।
मनींद्र को पकड़ने के लिए नोएडा पुलिस के इंस्पेक्टर राम प्रकाश गौतम खुद पहुंचे थे। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी के खिलाफ नोएडा में छह मुकदमे दर्ज हैं, और वह पहले से ही एक अंतरराज्यीय ठग के रूप में पहचाना जा रहा था।
कैसे चल रही थी 26 करोड़ की ठगी की स्कीम?
मनींद्र MIP Bychem नामक एक फर्जी कंपनी में एकाउंटेंट और प्रमोटर के तौर पर काम करता था। साल 2018 से 2019 के बीच उसने देश के हजारों लोगों को यह कहकर फंसा लिया कि:
"₹62,100 लगाइए, एक बाइक पाइए और हर महीने ₹10,000 की कमाई सुनिश्चित कीजिए।"
लोगों ने इस योजना पर भरोसा किया और पैसे लगाने लगे। लेकिन कुछ ही महीनों में न बाइक मिली, न पैसे। चेक बाउंस होने लगे, और निवेशकों को समझ आने लगा कि वे एक बड़े जाल में फंस चुके हैं।
इतिहास में झांके तो...
इस तरह की स्कीमें भारत में कोई नई नहीं हैं। पहले भी "चिट फंड", "पोंजी स्कीम" और "मल्टीलेवल मार्केटिंग" के नाम पर हजारों लोग अपने खून-पसीने की कमाई गंवा चुके हैं। लेकिन इस बार का मामला इसलिए खास है क्योंकि यह एक ठगी का नेटवर्क बन चुका था जिसमें फर्जी दस्तावेज, बैंकिंग धोखाधड़ी और डिजिटल लेनदेन का मिलाजुला इस्तेमाल किया गया।
अब तक 14 आरोपी जा चुके हैं जेल
नोएडा पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह के 14 अन्य आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और न्यायिक हिरासत में हैं। मनींद्र की गिरफ्तारी के बाद मामले की कड़ियाँ और मजबूत हुई हैं। पुलिस का दावा है कि मनींद्र के पास से दो फर्जी आईडी दिल्ली की और एक कतरास की मिली है, जो ठगी के दौरान प्रयोग की गई थीं।
कतरास में घंटों पूछताछ, फिर ले गई पुलिस अपने साथ
कतरास थाना प्रभारी असित कुमार सिंह ने बताया कि नोएडा पुलिस की टीम पहले से ही संपर्क में थी और स्थानीय प्रशासन की मदद से सुनियोजित तरीके से गिरफ्तारी की गई। पूछताछ के बाद मनींद्र को नोएडा ले जाया गया है, जहां कोर्ट में पेशी के बाद आगे की पूछताछ की जाएगी।
क्या आप भी हैं ऐसे स्कैम के निशाने पर?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की ठगी का शिकार आमतौर पर वही लोग बनते हैं जो जल्दी अमीर बनने के सपने देख रहे होते हैं। अगर कोई स्कीम सुनते ही "बहुत अच्छी" लगे, तो सतर्क हो जाइए। बैंक, आरबीआई या किसी भी सरकारी एजेंसी से जांचे बिना किसी को पैसा न दें।
अंत में...
मनींद्र की गिरफ्तारी ने 26 करोड़ की ठगी में एक बड़ा मोड़ ला दिया है, लेकिन सवाल अब भी कायम है—क्या यह नेटवर्क यहीं खत्म होता है या इसके पीछे कोई और बड़ी ताकत है?
धनबाद और नोएडा पुलिस की यह संयुक्त कार्रवाई नजीर है कि देश में डिजिटल और दस्तावेजी अपराधों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो रही है। जनता से अपील है कि किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले पूरी जानकारी और जांच-पड़ताल जरूर करें।
क्योंकि आजकल हर चमकती चीज सोना नहीं होती, और हर स्कीम कमाई का जरिया नहीं—कई बार यह जेल का टिकट भी बन सकता है।
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