Jharkhand Raid: वन भूमि घोटाले में बड़ा खुलासा! डीटीओ और सब रजिस्ट्रार के घर ईडी की दबिश से हड़कंप
झारखंड के धनबाद और बोकारो में वन भूमि घोटाले को लेकर ईडी ने डीटीओ और सब रजिस्ट्रार के ठिकानों पर छापेमारी की। भारी सुरक्षा में ताबड़तोड़ कार्रवाई से मचा हड़कंप।

क्या आपने कभी सोचा है कि सरकारी जमीन, जो जनता के हित में होती है, वह घोटालेबाजों की दौलत की सीढ़ी कैसे बन जाती है? झारखंड के बहुचर्चित वन भूमि घोटाले (Forest Land Scam) में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई हुई है। इस बार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने धनबाद और बोकारो में दो वरिष्ठ अफसरों के घरों पर मंगलवार सुबह 6 बजे से छापेमारी की।
इस बार निशाने पर हैं – धनबाद के डीटीओ (डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर) दिवाकर सी द्विवेदी और सब रजिस्ट्रार रामेश्वर प्रसाद सिंह, जो पहले बोकारो में पदस्थ थे। सूत्रों की मानें तो यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका सीधा संबंध बोकारो फॉरेस्ट लैंड स्कैम से है।
कैसे हुई कार्रवाई की शुरुआत?
ईडी की दो अलग-अलग टीमें सुबह छह बजे झारखंड के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय हो गईं। झाड़ूडीह स्थित देव विहार अपार्टमेंट में डीटीओ के फ्लैट पर छापेमारी की गई, जबकि हीरापुर हटिया में सब रजिस्ट्रार के सरकारी आवास को घेर लिया गया।
टीम के साथ मौजूद थे अर्धसैनिक बलों के जवान, जो सुरक्षा घेरा बनाए खड़े थे। न किसी को घर में आने दिया गया और न ही कोई बाहर जा सका। आसपास के लोग सिर्फ यह अनुमान लगा पा रहे थे कि अंदर क्या चल रहा है।
बोकारो से सीधा ऑपरेशन, CRPF के जवान भी शामिल
रांची से आई ईडी टीम पहले बोकारो के सीआरपीएफ कैंप पहुंची, जहां से विशेष सुरक्षा बल के जवान लिए गए। फिर दोनों जगहों पर छापेमारी के लिए धनबाद रवाना हुई। यह एक पूर्व नियोजित और संगठित कार्रवाई थी, जिसमें किसी भी तरह की लीक से बचा गया।
क्या है बोकारो वन भूमि घोटाला?
बोकारो वन भूमि घोटाला झारखंड के सबसे गंभीर मामलों में से एक है, जिसमें सरकारी जमीन को निजी उपयोग के लिए अवैध रूप से बेचा गया। इन जमीनों का रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर और म्यूटेशन सब रजिस्ट्रार स्तर पर हुआ, जिससे सरकारी अफसरों की मिलीभगत सामने आई।
आरोप है कि वन विभाग की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए निजी व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे करोड़ों रुपये का अवैध लेनदेन हुआ।
पहले भी हो चुकी है डीटीओ के घर दबिश
यह कोई पहली बार नहीं है जब डीटीओ दिवाकर द्विवेदी पर ईडी का शिकंजा कस रहा है। अक्टूबर 2024 में भी उनके आवास पर छापेमारी हुई थी, जिसमें कई संदिग्ध दस्तावेज और सामग्रियां जब्त की गई थीं। लेकिन इस बार की कार्रवाई कहीं ज्यादा व्यापक और गंभीर मानी जा रही है।
पूछताछ जारी, दस्तावेजों की गहन जांच
ईडी की टीम ने दोनों अफसरों से गहन पूछताछ शुरू कर दी है। साथ ही, घर में मौजूद दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि अब तक कई ऐसे दस्तावेज हाथ लगे हैं जो जमीन के लेनदेन से संबंधित हैं और इनमें गड़बड़ियों की आशंका है।
क्यों बना झारखंड घोटालों का गढ़?
झारखंड में जमीन घोटाले कोई नई बात नहीं है। पिछले एक दशक में रांची, बोकारो, धनबाद और गिरिडीह जैसे इलाकों से अनेकों रजिस्ट्रेशन घोटाले, लैंड माफिया कनेक्शन और सरकारी अफसरों की मिलीभगत की कहानियां सामने आई हैं।
सरकारी जमीनें, जो आदिवासियों, वनों या गरीबों के लिए सुरक्षित थीं, अब भ्रष्ट तंत्र के लालच में गुम हो चुकी हैं।
आखिरी सवाल – अब क्या होगा?
इस हाई प्रोफाइल छापेमारी के बाद सवाल उठता है – क्या इन अधिकारियों पर कानूनी शिकंजा और कसेगा? क्या जिन जमीनों पर अवैध लेनदेन हुआ, उन्हें वापस लिया जाएगा? और क्या जनता की आंखों में धूल झोंकने वाले सिस्टम को जवाबदेह बनाया जा सकेगा?
ईडी की इस कार्रवाई ने झारखंड में वन भूमि घोटाले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, और आने वाले दिनों में कई और नाम सामने आने की संभावना है।
क्योंकि झारखंड की ज़मीन पर सिर्फ जंगल नहीं हैं, अब यहां दबे पड़े हैं करोड़ों के घोटालों के निशान भी।
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