फरेंदा को जिला बनाने से विकास के रास्ते खुलेंगेःडॉ. आर.एन. सिंह
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.एन. सिंह ने फरेंदा को जिला बनाने की मांग फिर से उठाई। उनका कहना है कि इससे क्षेत्र में विकास होगा, उद्योग बढ़ेंगे और लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
गोरखपुर। शनिवार, 14 सितंबर 2024 को शहर के जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ और फरेंदा जिला बनाओ मंच के संयोजक डॉ. आर.एन. सिंह ने एक बार फिर फरेंदा को जिला बनाने की मांग उठाई। उन्होंने एक बयान में कहा कि फरेंदा को जिला बनाना इलाके के लोगों के लिए बड़ा परिवर्तन ला सकता है। इससे नौतनवां और फरेंदा के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
डॉ. सिंह ने कहा कि फरेंदा में लंबे समय से औद्योगिक विकास की कमी रही है। फरेंदा की जयपुरिया चीनी मिल 30 साल से बंद पड़ी है। अगर फरेंदा जिला बन जाता है तो इस चीनी मिल को फिर से चालू करना आसान हो जाएगा। चीनी मिल के फिर से चालू होने से इलाके के लोगों को रोजगार मिलेगा और गन्ने की खेती, जिसके लिए फरेंदा जाना जाता था, को भी नई पहचान मिलेगी। इससे किसानों और स्थानीय निवासियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
फरेंदा की भौगोलिक स्थिति भी इसे जिला बनाने के लिए अनुकूल बनाती है। यह इलाका नेपाल की सीमा से सटा हुआ है, जो सुरक्षा के लिहाज से अहम है। डॉ. सिंह ने कहा कि अभी वहां कोई चेक पोस्ट नहीं बना है, जो सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। कोरोना महामारी के समय यह समस्या और भी स्पष्ट हुई थी जब नेपाल से लोग फरेंदा और आसपास के इलाकों में आ गए थे, जिससे बीमारी तेजी से फैली।
डॉ. सिंह का मानना है कि अगर फरेंदा को जिला का दर्जा मिल जाता है, तो सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी और सीमावर्ती इलाकों में कानून व्यवस्था बेहतर हो सकेगी। इसके साथ ही, सीमा से लगे इस क्षेत्र में व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे पूरे इलाके का विकास होगा।
फरेंदा जिला बनाओ मंच पिछले कई वर्षों से इस मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है। मंच के सदस्यों ने चार साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मांग को उनके सामने रखा था। मंच का मानना है कि फरेंदा को जिला बनाकर यहां के लोगों को बेहतर जीवन और रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं।
इस मांग के पीछे एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि यदि फरेंदा को जिला बनाया जाता है, तो इलाके में उद्योगों की स्थापना होगी, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और उनका पलायन रुकेगा। साथ ही, सरकारी सुविधाओं का लाभ भी सीधे लोगों तक पहुंच सकेगा।
फरेंदा को जिला बनाने की यह मांग सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी बहुत जरूरी है। अगर इस मांग पर सरकार ध्यान देती है, तो निश्चित तौर पर फरेंदा और नौतनवां के लोग विकास के एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकेंगे।
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