BJP Parsudih Mandal Resignation : भाजपा परसुडीह मंडल में बगावत: सामूहिक इस्तीफे की तैयारी, जिलाध्यक्ष पर मनमानी के आरोप!
भाजपा परसुडीह मंडल के पदाधिकारी सामूहिक इस्तीफे की तैयारी में हैं। जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा पर मनमानी के आरोप लगाते हुए मंडल अध्यक्ष समेत कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया है। जानें पूरा मामला।
BJP Parsudih Mandal Resignation: सामूहिक इस्तीफे से पार्टी में खलबली
भाजपा परसुडीह मंडल में इन दिनों गहरा असंतोष फैला हुआ है। मंडल के सभी प्रमुख पदाधिकारी सामूहिक इस्तीफे की तैयारी में हैं। इसका कारण महानगर जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा द्वारा कथित रूप से किए गए मनमाने फैसले बताए जा रहे हैं। मंडल पदाधिकारियों का कहना है कि जिलाध्यक्ष ने उनकी अनुशंसा को अनदेखा कर प्रदेश नेतृत्व से अन्य नाम स्वीकृत करवाए।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने सभी मंडलों से सदस्यता प्रभारी और सहप्रभारी नियुक्त करने के लिए तीन नाम मांगे थे। परसुडीह मंडल अध्यक्ष त्रिदिब चट्टराज ने वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की सहमति से देवेंद्र सिंह, परमकांत करुआ, और धीरज सिन्हा के नाम सुझाए।
हालांकि, जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा ने इन नामों को अनदेखा करते हुए अन्य नाम स्वीकृत करवाए और उनकी घोषणा भी कर दी। इस फैसले से मंडल के कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है। उनका मानना है कि समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर नए नाम थोपे जा रहे हैं।
मंडल महामंत्री का इस्तीफा और सामूहिक विरोध
मंडल महामंत्री देवेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह गुरुवार को जिला सदस्यता प्रभारी डॉ. राजीव को अपना इस्तीफा सौंप देंगे।
बैठक में यह भी तय किया गया कि मंडल अध्यक्ष, मंडल पदाधिकारी, मोर्चा अध्यक्ष और बूथ अध्यक्ष जल्द ही रांची जाकर प्रदेश अध्यक्ष को सामूहिक इस्तीफा सौंपेंगे।
इतिहास पर नजर: भाजपा में अंदरूनी असंतोष
भाजपा के इतिहास में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के असंतोष के मामले पहले भी सामने आए हैं।
- 2019: झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण को लेकर कई जिलों में बगावत हुई थी।
- 2022: उत्तर प्रदेश में स्थानीय नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व पर उनकी बात न सुनने का आरोप लगाया था।
इस बार झारखंड के परसुडीह मंडल में उठे इस असंतोष ने फिर से पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कार्यकर्ताओं की मांग और भविष्य
मंडल पदाधिकारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती, वे सदस्यता अभियान का पुरजोर विरोध करेंगे।
- मांगें:
- जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा पर कार्रवाई।
- समर्पित कार्यकर्ताओं की अनुशंसा पर आधारित नियुक्तियां।
- भविष्य:
सामूहिक इस्तीफों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश नेतृत्व इस मामले को कैसे सुलझाता है।
क्या होगा भाजपा का अगला कदम?
इस विवाद ने भाजपा की आंतरिक संरचना और कार्यकर्ताओं के असंतोष को उजागर कर दिया है। क्या पार्टी नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समाधान निकाल पाएगा? या यह असंतोष पार्टी के स्थानीय स्तर पर कमजोर होने का कारण बनेगा?
भाजपा के लिए यह वक्त है कि वह कार्यकर्ताओं के विश्वास को दोबारा मजबूत करे और संगठन में पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
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