भारतीय जनतंत्र मोर्चा (BJM) ने मनाई डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती, सरयू राय ने दी श्रद्धांजलि
पढ़ें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवन यात्रा, उनके अद्वितीय बलिदान और कैसे उन्होंने भारत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। जानिए उनके संघर्ष और सफलता की कहानी।
भारतीय जनतंत्र मोर्चा (भाजमो) जमशेदपुर महानगर द्वारा जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि विधानसभा कार्यालय बारीडीह में मनाई गई। इस अवसर पर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय उपस्थित थे। श्री राय एवं भाजमो कार्यकर्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पर्पित कर श्रद्धासुमन व्यक्त किया। श्री राय ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक संकल्प लिया था कि जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाना है। उस समय जम्मू-कश्मीर की सरकार अलग थी, वहाँ का झंडा अलग था, संविधान अलग था।
भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य एक मजबूत और एकजुट भारत का निर्माण करना था। जनसंघ ने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता को प्रमुखता दी और समाज के हर वर्ग को एकजुट करने का प्रयास किया। इस संगठन ने देश की अखंडता और संप्रभुता को प्राथमिकता दी।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। वे एक प्रखर विचारक, कुशल राजनीतिज्ञ और समाजसेवी थे। उन्होंने अपनी शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी की और बाद में राजनीति में कदम रखा। मुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी सक्रिय रहे, लेकिन बाद में उन्होंने जनसंघ की स्थापना की।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति डॉ. मुखर्जी के समय में बेहद संवेदनशील थी। वहाँ की सरकार, झंडा और संविधान भारत से अलग थे। डॉ. मुखर्जी ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया और एक देश, एक निशान, एक विधान और एक प्रधान का नारा दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए सत्याग्रह का मार्ग चुना।
डॉ. मुखर्जी की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय, रामनारायण शर्मा, सुधीर सिंह, एम चन्द्रशेखर राव, मंजु सिंह, आकाश शाह, विजय नारायण सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, मंजु सिंह, वंदना नामता, पुतुल सिंह, अभय सिंह और अशोक सिंह सहित अन्य प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। श्री राय ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्पर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को याद किया।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन और बलिदान से भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी विचारधारा और नीतियों ने देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया है। भारतीय जनतंत्र मोर्चा द्वारा उनके बलिदान को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी शिक्षाएँ और सिद्धांत हमेशा हमें प्रेरित करते रहेंगे।
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