Bistupur Protest: बैंक कर्मियों का बड़ा ऐलान,पुरानी पेंशन योजना लागू करने और निजीकरण रोकने की मांग पर सरकार को दिया अल्टीमेटम!

बैंक कर्मियों का बड़ा ऐलान! पुरानी पेंशन योजना लागू करने और निजीकरण रोकने की मांग पर सरकार को दिया अल्टीमेटम, 24-25 मार्च को बैंक हड़ताल की चेतावनी।

Mar 7, 2025 - 20:13
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Bistupur Protest: बैंक कर्मियों का बड़ा ऐलान,पुरानी पेंशन योजना लागू करने और निजीकरण रोकने की मांग पर सरकार को दिया अल्टीमेटम!
Bistupur Protest: बैंक कर्मियों का बड़ा ऐलान,पुरानी पेंशन योजना लागू करने और निजीकरण रोकने की मांग पर सरकार को दिया अल्टीमेटम!

बिष्टुपुर: बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है! यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) ने अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर बिष्टुपुर गोलचक्कर के पास जोरदार प्रदर्शन किया। शुक्रवार को हुए इस धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बैंक कर्मियों ने भाग लिया और सरकार को दो टूक कह दिया – अगर मांगे नहीं मानी गईं तो 24 और 25 मार्च को देशभर में बैंक बंद रहेंगे!

बैंक कर्मियों की बड़ी मांगें, सरकार पर दबाव!

धरना-प्रदर्शन में बैंक कर्मचारियों ने अपनी कई अहम मांगें रखीं, जिनमें से सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme - OPS) को फिर से लागू करना है। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) उनके भविष्य को असुरक्षित बनाती है और इससे उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं मिलता।

इसके अलावा, बैंक कर्मियों ने बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की। उनका कहना है कि अगर बैंकों को निजी हाथों में सौंपा गया तो आम जनता को नुकसान होगा, खासकर छोटे खाताधारकों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को।

ग्राहकों के दुर्व्यवहार पर रोक लगाने की मांग

बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती एक गंभीर समस्या पर भी कर्मचारियों ने आवाज उठाई – ग्राहकों द्वारा बैंक कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार। अक्सर देखा जाता है कि ग्राहक बैंक स्टाफ पर गुस्सा निकालते हैं, लेकिन इसके लिए कोई कड़ा कानून नहीं है। बैंक यूनियनों की मांग है कि कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान बनाया जाए

अस्थायी कर्मचारियों का होगा स्थायीकरण?

बैंकिंग सेक्टर में बड़ी संख्या में अस्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो सालों से स्थायी नौकरी की उम्मीद में हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे पर भी सरकार से जल्द फैसला लेने की मांग की। यूनियनों का कहना है कि बिना स्थायीकरण के कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है और यह बैंकिंग सेक्टर के भविष्य के लिए सही नहीं है।

अगर मांगे नहीं मानी तो होगी देशव्यापी हड़ताल!

धरना-प्रदर्शन में बैंक कर्मियों ने साफ कर दिया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो 24 और 25 मार्च को देशभर में बैंक हड़ताल होगी। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा क्योंकि बैंक बंद होने से लेन-देन, चेक क्लीयरेंस और अन्य सेवाएं प्रभावित होंगी।

बैंकों के निजीकरण का इतिहास

भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत 1969 में हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। इसका उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाना था। हालांकि, पिछले कुछ सालों में सरकार बैंकों के निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है, जिससे बैंक कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।

क्या होगा आगे?

अब सवाल यह है कि क्या सरकार बैंक कर्मचारियों की मांगें मानेगी या 24-25 मार्च को देश को बड़ी बैंक हड़ताल का सामना करना पड़ेगा? बैंक यूनियनों का कहना है कि वे अपनी मांगों पर अडिग हैं और सरकार को जल्द कोई ठोस कदम उठाना होगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।