Amritsar Attack: स्वर्ण मंदिर में सुखबीर बादल पर गोली चलाने की सनसनीखेज घटना
स्वर्ण मंदिर में सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने की कोशिश। जानें कैसे सुरक्षा कर्मियों की तत्परता से उनकी जान बची और आरोपी नारायण सिंह चौरा का अतीत।
अमृतसर। स्वर्ण मंदिर में बुधवार सुबह शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर एक सनसनीखेज हमला हुआ। आरोपी ने सुखबीर बादल पर गोली चलाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों की तत्परता से उनकी जान बच गई। यह घटना सुबह 9:30 बजे हुई जब सुखबीर सिंह बादल श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य गेट (घंटाघर) के पास मौजूद थे।
घटना का विवरण
सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई धार्मिक सजा भुगतने के लिए स्वर्ण मंदिर पहुंचे थे। इसी दौरान नारायण सिंह चौरा नामक व्यक्ति ने पिस्तौल निकालकर उन पर गोली चलाने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए हमलावर का हाथ ऊपर कर दिया, जिससे गोली ऊपर दीवार पर जा लगी। तुरंत ही सुरक्षाकर्मियों ने सुखबीर बादल को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
हमलावर का अतीत
हमले का आरोपी नारायण सिंह चौरा एक कुख्यात आतंकवादी और बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सदस्य रह चुका है। वह पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी करने में संलिप्त रहा है। जानकारी के अनुसार, नारायण 1984 में पाकिस्तान भाग गया था, जहां उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब लिखी। इसके अलावा, वह पंजाब की जेल में सजा काट चुका है।
पंजाब में बढ़ती चुनौतियां
पंजाब में आतंकवाद और राजनीतिक हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है। 1980 और 1990 के दशक में आतंकवाद ने राज्य की स्थिरता को हिला कर रख दिया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में हालात बेहतर हुए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि राज्य में अब भी शांति और सुरक्षा को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं।
सुखबीर बादल की प्रतिक्रिया और परिवार का समर्थन
हमले की खबर मिलते ही सुखबीर बादल की पत्नी और सांसद हरसिमरत कौर बादल तुरंत श्री हरमंदिर साहिब पहुंचीं। सुखबीर बादल ने इस घटना के बाद अपने समर्थकों और सुरक्षा कर्मियों को धन्यवाद दिया। उनका कहना है कि यह हमला उनकी धार्मिक भावना और जनता की सेवा के लिए उनके संकल्प को कमजोर नहीं कर सकता।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
पंजाब पुलिस ने नारायण सिंह चौरा को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है। पुलिस यह जांच कर रही है कि हमले की योजना पहले से बनाई गई थी या यह अचानक लिया गया कदम था। इसके अलावा, पुलिस आरोपी के संपर्कों और नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रही है, ताकि इस घटना के पीछे के उद्देश्य को समझा जा सके।
पंजाब में राजनीतिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा
इस घटना ने पंजाब में राजनीतिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वर्ण मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर इस तरह की घटना समाज में अशांति का माहौल बना सकती है। सरकार और प्रशासन को इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को और सख्त करना होगा।
इतिहास की गूंज
पंजाब ने पहले भी राजनीतिक हिंसा और धार्मिक स्थलों पर हमले देखे हैं। 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद की घटनाएं आज भी राज्य के इतिहास में गहराई से दर्ज हैं। ऐसे में यह घटना एक बार फिर से उन पुराने जख्मों को कुरेदती है और राज्य में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है।
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