नवरात्रि का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और आरती

5 अक्टूबर को नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। जानें उनकी पूजा विधि और आरती के बारे में।

Oct 5, 2024 - 03:32
Oct 5, 2024 - 06:13
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नवरात्रि का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और आरती
नवरात्रि का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और आरती

5 अक्टूबर 2024 को, शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा का मस्तक घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिस वजह से भक्त उन्हें चंद्रघंटा कहते हैं।

माता चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही आकर्षक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। उन्हें राक्षसों का वध करने वाली देवी माना जाता है।

माता चंद्रघंटा की पूजा विधि में कई महत्वपूर्ण चरण शामिल होते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों को विधि-विधान से मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। उनकी पूजा उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। इसके साथ ही भक्तों को माता को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप और पुष्प अर्पित करना चाहिए।

माता चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग भी अर्पित किया जा सकता है। नवरात्रि के हर दिन भक्तों को नियमित रूप से दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती का पाठ करना चाहिए।

माता चंद्रघंटा की आरती का एक विशेष महत्व है। इसे इस प्रकार से गाया जाता है:

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। 
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम। 
चंद्र समान तुम शीतल दाती। 
चंद्र तेज किरणों में समाती। 
क्रोध को शांत करने वाली। 
मीठे बोल सिखाने वाली। 
मन की मालक मन भाती हो। 
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो। 
सुंदर भाव को लाने वाली। 
हर संकट में बचाने वाली। 
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। 
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं। 
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। 
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं। 
शीश झुका कहे मन की बाता। 
पूर्ण आस करो जगदाता। 
कांचीपुर स्थान तुम्हारा। 
करनाटिका में मान तुम्हारा। 
नाम तेरा रटूं महारानी। 
भक्त की रक्षा करो भवानी।

यह आरती माता चंद्रघंटा की महिमा को उजागर करती है। भक्तों का मानना है कि इस आरती का पाठ करने से सभी संकट दूर होते हैं।

नवरात्रि का यह पर्व न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत भी है। माता चंद्रघंटा की पूजा से मन की शांति मिलती है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

इस नवरात्रि में मां के विभिन्न रूपों की पूजा करके भक्त अपनी जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। माता चंद्रघंटा के प्रति श्रद्धा और विश्वास से भक्ति की यह प्रक्रिया और भी खास हो जाती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।