झामुमो की मुश्किलें बढ़ीं: पप्पू वर्मा ने भाजपा को थामा हाथ!
झारखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही झामुमो के नेताओं का पार्टी छोड़ना जारी है। ईचागढ़ के नेता पप्पू वर्मा ने शुक्रवार को भाजपा में शामिल होकर बड़ी घोषणा की।
शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024 को, चांडिल में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला। जैसे-जैसे झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सत्ताधारी झामुमो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी सीता सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पार्टी छोड़ दी। अब ईचागढ़ विधानसभा के कद्दावर नेता पप्पू वर्मा ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है।
पप्पू वर्मा ने शुक्रवार को चांडिल के भालूकोचा मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा में भाजपा में शामिल हुए। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा और ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह भी मौजूद थे। पप्पू वर्मा का भाजपा में शामिल होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन माना जा रहा है।
इस मौके पर पप्पू वर्मा ने झामुमो पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि 26 साल जिस पार्टी को उन्होंने सींचा, उस पार्टी में अब परिवारवाद हावी हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि उनकी मेहनत और कार्यकर्ताओं की कद्र अब पार्टी में नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि बहुत भारी मन से उन्होंने झामुमो से नाता तोड़ा है।
पप्पू वर्मा ने घोषणा की कि अब वे भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो को बूथ के लिए भी कार्यकर्ता नहीं मिलेंगे। उन्होंने ईचागढ़ विधानसभा सीट से एनडीए के प्रत्याशी की जीत के लिए जी-जान लगाने का वादा किया।
वहीं, मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर अपना स्टैंड स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ रहा है और अब एक लड़ाई उन घुसपैठियों को खदेड़ने की होनी चाहिए।
चंपई सोरेन ने कहा कि झामुमो में उन्हें सम्मान नहीं मिला, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। अब भाजपा ही एकमात्र विकल्प बची है, जो आदिवासी और मूलवासियों के हितों की रक्षा कर सकती है।
चुनाव नजदीक आते ही झामुमो के अंदर चल रही इन घटनाओं से राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। सभी की नजरें अब विधानसभा चुनाव पर हैं, जहां भाजपा के पास नई ताकत और रणनीति के साथ उतरने का मौका है।
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