Sukinda Initiative: टाटा स्टील और जयपुर फुट का दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

सुकिंदा में टाटा स्टील फाउंडेशन और जयपुर फुट ऑर्गनाइजेशन ने तीन दिवसीय कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन किया। जानें कैसे यह पहल दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने और समाज में शामिल करने की दिशा में कारगर है।

Dec 6, 2024 - 20:38
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Sukinda Initiative: टाटा स्टील और जयपुर फुट का दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
Sukinda Initiative: टाटा स्टील और जयपुर फुट का दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

Sukinda: सुकिंदा स्थित सबल सेंटर में टाटा स्टील फाउंडेशन और जयपुर फुट ऑर्गनाइजेशन ने मिलकर दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें 38 लाभार्थियों को अनुकूलित कृत्रिम अंग प्रदान किए गए।

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस पहल का उद्देश्य केवल कृत्रिम अंग वितरण तक सीमित नहीं था, बल्कि दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और समाज का सक्रिय हिस्सा बनाना था। टाटा स्टील के एफएएमडी (फेरो अलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन) के एग्जीक्यूटिव-इन-चार्ज पंकज सतीजा ने इस पहल को समावेशी समाज निर्माण की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह पहल दिव्यांगजनों को आत्मविश्वास और गरिमा के साथ जीने का अवसर प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

जयपुर फुट: एक ऐतिहासिक नवाचार

1968 में भारत में विकसित जयपुर फुट एक कम लागत वाला, रबड़ आधारित कृत्रिम अंग है, जो अपने लचीलेपन और affordability के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसे खासतौर पर भारतीय ग्रामीण इलाकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया था। जयपुर फुट ने हजारों दिव्यांगजनों को चलने, दौड़ने और काम करने में सक्षम बनाकर उनकी जिंदगी बदल दी है।

कैसे हुआ शिविर का आयोजन?

शिविर में जयपुर फुट की टीम ने लाभार्थियों के लिए सटीक माप और फिटिंग की व्यवस्था की। यह सुनिश्चित किया गया कि हर कृत्रिम अंग उपयोगकर्ता की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हो। वितरण समारोह में टाटा स्टील फाउंडेशन की पहल को स्थानीय समुदायों ने भी सराहा।

ग्रामीण और आदिवासी समुदायों पर प्रभाव

सुकिंदा, बामनीपाल, कलिंगानगर, और मेरामंडली जैसे क्षेत्रों के लाभार्थियों ने इस पहल से अपनी जिंदगी को नई दिशा मिलते हुए देखा। विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए, यह कार्यक्रम उनकी गतिशीलता और आत्मनिर्भरता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन बना।

समावेशी समाज की ओर एक कदम

टाटा स्टील फाउंडेशन का यह प्रयास केवल सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। यह समावेशी समाज की उस परिकल्पना को साकार करने का प्रयास है, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर प्राप्त हो। यह पहल न केवल दिव्यांगजनों को शारीरिक रूप से सक्षम बनाती है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक भागीदारी को भी मजबूत करती है।

स्थानीय समुदायों में बदलाव का संकेत

इस तरह के शिविर असहाय और कमजोर वर्गों के जीवन में सुधार लाने के साथ-साथ समाज में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन का संकेत देते हैं। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की संभावनाओं को भी बढ़ावा देती है।

सुकिंदा में आयोजित यह कृत्रिम अंग वितरण शिविर टाटा स्टील फाउंडेशन और जयपुर फुट ऑर्गनाइजेशन के सहयोग की शानदार मिसाल है। यह पहल न केवल दिव्यांगजनों को सशक्त कर रही है, बल्कि समावेशी समाज निर्माण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। आपका छोटा योगदान किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।