श्रीमद्भागवत कथा: जीवन की सफलताओं का रहस्य बताए आचार्य त्रिपाठी

जुगसलाई में जारी श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य विनय कांत त्रिपाठी ने जीवन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। जानें उनके उपदेशों के बारे में।

Sep 27, 2024 - 20:49
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श्रीमद्भागवत कथा: जीवन की सफलताओं का रहस्य बताए आचार्य त्रिपाठी
श्रीमद्भागवत कथा: जीवन की सफलताओं का रहस्य बताए आचार्य त्रिपाठी

जुगसलाई, 27 सितंबर 2024: जुगसलाई श्री राजस्थान शिवमंदिर में जारी श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिन कथावाचक आचार्य विनय कांत त्रिपाठी ने जीवन के महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सात दिन तक नियमित रूप से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है, उसका जीवन अवश्य सफल होता है।

आचार्य त्रिपाठी ने संगत के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "अपनी संगत सही रखिए। इससे संस्कार आपके जीवन में स्वतः ही आ जाएंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखेंगे, तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा।

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि भोजन बन जाने के बाद ठाकुर जी को तुलसी दल डालकर भोग लगाने से भोजन प्रभु का प्रसाद बन जाता है। उन्होंने कहा, "मन को जीत लेना ही सबसे बड़ी जीत है।"

आचार्य त्रिपाठी ने लक्ष्मी को घर में स्थिर रखने के लिए भी एक उपाय बताया। उन्होंने कहा, "रात के समय एक चांदी की कटोरी में देसी गाय का शुद्ध घी रखकर, सुबह उस घी में अपना मुंह देखने से लक्ष्मी घर में स्थिर रहेंगी।"

इसके अलावा, उन्होंने वृद्ध माता-पिता की सेवा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग वृद्धावस्था में अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम छोड़ देते हैं, उन्हें पुण्य कार्य करने का कोई फल नहीं मिलता।

कथा में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया। आचार्य त्रिपाठी ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में माता पार्वती के साथ घटित घटनाओं की भी भावपूर्ण व्याख्या की।

आज की कथा में ध्रुव चरित और नृसिंहावतार की कथा भी सुनाई गई। साथ ही, भगवान श्री नृसिंह अवतार और भक्त प्रह्लाद की झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।

इस श्रीमद्भागवत कथा उत्सव की सफलता में श्री राजस्थान शिवमंदिर कमेटी के सदस्य सक्रियता से लगे हैं। उनके प्रयासों से यह धार्मिक आयोजन सफल हो रहा है।

आज कथा में सैंकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए, जिनमें कमलेश अग्रवाल, संतोष धूत, अमर सिंह और अन्य लोग शामिल थे। कथा की शुरुआत व्यास पीठ की पूजा से हुई, जिसे यजमान किरण भाउका ने किया।

इस प्रकार, श्रीमद्भागवत कथा का यह आयोजन श्रद्धा और भक्ति का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।