बंदगांव के बच्चों की जान बचाने के लिए बढ़ी मदद: रक्तदान से मिली नई उम्मीद!

बंदगांव के बच्चों साहिल और मालती की जान बचाने के लिए रक्तदान की गई। जानें कैसे समाजसेवी की मदद से दोनों बच्चों का इलाज संभव हुआ।

Sep 27, 2024 - 19:44
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बंदगांव के बच्चों की जान बचाने के लिए बढ़ी मदद: रक्तदान से मिली नई उम्मीद!
बंदगांव के बच्चों की जान बचाने के लिए बढ़ी मदद: रक्तदान से मिली नई उम्मीद!

बंदगांव, 27 सितंबर 2024: बंदगांव प्रखंड के छोटा दामूडीह गांव के आठ वर्षीय साहिल हेम्ब्रम को ब्रेन मलेरिया हुआ है। साहिल का हीमोग्लोबिन 3 ग्राम तक गिर गया था। उसकी स्थिति काफी गंभीर थी। साहिल के माता-पिता का निधन हो चुका है। अब वह अपने मामा के घर भरनिया में रह रहा है।

इसी बीच, इन्द्रुवां गांव की 12 वर्षीय मालती पुर्ती भी टायफाइड और मलेरिया से पीड़ित हो गई। उसके शरीर में भी रक्त की कमी हो गई थी। दोनों बच्चों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें चाईबासा सदर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

समाजसेवी राम केराई ने बच्चों की गंभीर स्थिति के बारे में सुमिता होता फाउंडेशन के अध्यक्ष सदानंद होता को फोन किया। उन्होंने बताया कि बच्चों को खून की जरूरत है। इसके बाद सदानंद होता ने अस्पताल पहुंचकर चाईबासा ब्लड बैंक के इन्द्रानील दास से संपर्क किया।

सदानंद होता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों बच्चों के लिए रक्त की व्यवस्था की। रक्त को सदर अस्पताल में पहुंचाया गया और फिर साहिल और मालती को रक्त चढ़ाया गया। उनकी मदद से दोनों बच्चों का इलाज संभव हो सका।

फिलहाल, साहिल और मालती दोनों स्वस्थ हैं। उनका इलाज चल रहा है और उनकी हालत में सुधार हो रहा है। इस पूरी घटना ने साबित किया है कि समाज में मदद की भावना और सहयोग की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण होती है।

समाजसेवियों और रक्तदाताओं की इस पहल ने कई परिवारों को नई उम्मीद दी है। अब ये बच्चे अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए तैयार हैं। समाज के हर वर्ग को इस प्रकार की मदद में आगे आना चाहिए, ताकि और बच्चों की जान बचाई जा सके।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि अगर हम एकजुट हों, तो किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।