saraikela Murder Mystery : तीन नातिनों ने मिलकर की नानी की हत्या, ‘मंगला मां’ के नाम पर छुपाया जुर्म!
सरायकेला में 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला की हत्या से सनसनी, नातिनों ने मंगला मां के प्रभाव का हवाला देकर छुपाई साजिश। पुलिस को भी गुमराह किया गया। जानिए क्यों हुआ पारिवारिक विवाद खूनखराबे में तब्दील।

सरायकेला में एक दर्दनाक और रहस्यमय वारदात ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया है। तीन नातिनों ने मिलकर अपनी 70 वर्षीय नानी की हत्या कर दी, और वजह जो बताई गई उसने पुलिस तक को हैरान कर दिया।
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में स्थित जगरनाथ मंदिर के पास सोमवार रात एक खौफनाक घटना सामने आई, जिसने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। 70 वर्षीय सुमित्रा नायक की हत्या का आरोप उनकी ही नातिन तनिषा खंडैत और दो नाबालिग बहनों पर लगा है।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए सरायकेला सदर अस्पताल भेज दिया गया। वहीं, तीनों बहनों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
इतिहास में झांकें तो...
भारतीय ग्रामीण समाज में अक्सर घरेलू विवादों के पीछे अंधविश्वास और धार्मिक मान्यताएं गहरी जड़ें जमा चुकी हैं। खासकर जब कोई महिला ‘देवी का प्रभाव’ या ‘भूत-प्रेत का असर’ जैसी बात कहती है, तो गांव का समाज बिना सवाल किए मान लेता है। यही वजह है कि कई बार ऐसे अंधविश्वास गंभीर अपराधों का परदा बन जाते हैं।
क्या था पूरा मामला?
सुमित्रा नायक बेगनाडीह के ठाटूपाड़ा की रहने वाली थीं। उनकी बेटी ने उन्हें सोमवार को सरायकेला स्थित घर बुलाया था। रात करीब 10 बजे किसी घरेलू बात को लेकर सुमित्रा और उनकी तीनों नातिनों के बीच कहासुनी हुई। विवाद बढ़ता गया, और इसी दौरान तनिषा ने थाना को फोन कर जानकारी दी, लेकिन जब पुलिस पहुंची तो उसने यह कहकर लौटा दिया कि “ये घर का मामूली मामला है।”
पुलिस भी बिना गहराई से जांच किए वापस लौट गई। लेकिन उनके जाते ही तीनों बहनों ने मिलकर नानी की हत्या कर दी।
'मंगला मां' के नाम पर बचाव की कोशिश
यह मामला तब और रहस्यमय हो गया जब घटना के बाद मोहल्लेवासियों और रिश्तेदारों ने तनिषा को नानी को मारने से रोकना चाहा, लेकिन उसने जवाब दिया, “मुझ पर मंगला मां का असर है, मैं उन्हें वापस जिंदा कर दूंगी। कोई कमरे में मत आओ।”
इस तर्क ने न सिर्फ ग्रामीणों को चुप करवा दिया, बल्कि उन्हें कमरे से दूर भी रखा गया, जिससे घटना की भयावहता छुपी रही।
मोहल्लेवासियों का सवाल: अगर पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती…
घटना को लेकर मोहल्ले में गुस्सा और दुख दोनों हैं। कई लोगों ने कहा कि अगर सोमवार रात जब पुलिस आई थी, तब वो अंदर जाकर स्थिति की गंभीरता समझती तो शायद सुमित्रा नायक की जान बच सकती थी।
पुलिस की चुप्पी और जाँच
पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है, और तीनों बहनों से पूछताछ की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुलिस की लापरवाही ने इस हत्या में भूमिका निभाई? क्या वाकई कोई 'मंगला मां' जैसी आध्यात्मिक शक्ति थी, या ये महज एक सोची-समझी साजिश थी नानी को खत्म करने की?
मानसिक स्थिति या अपराध की योजना?
पुलिस मनोवैज्ञानिक पहलुओं की भी जांच कर रही है। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि तनिषा पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से अस्थिर लग रही थी, लेकिन घरवालों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।
इस पहलू की जांच इस दिशा में भी हो रही है कि क्या हत्या कोई आवेश में किया गया कदम था या पहले से रची गई कोई साजिश।
सरायकेला की यह घटना एक बार फिर ये सवाल खड़ा करती है कि क्या हम आज भी अंधविश्वास और पारिवारिक कलह के बीच फंसे समाज में जी रहे हैं? क्या पुलिस को ऐसे मामलों में पहले ही गंभीर रुख नहीं अपनाना चाहिए?
एक बुजुर्ग महिला, जो अपनी बेटी और नातिनों से मिलने आई थी, उसकी जान चली गई—और उसका जुर्म शायद सिर्फ इतना था कि वो किसी घरेलू विवाद में सच बोलने की कोशिश कर रही थी।
अब देखना ये है कि क्या पुलिस इस मामले की तह तक पहुंचकर सच्चाई सामने लाएगी, या ‘मंगला मां’ की आड़ में ये जुर्म भी गांव की कहानियों में दब जाएगा।
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