Khunti Sand Mafia : बालू माफिया ने पुलिस पर किया हमला, जेसीबी छोड़ भागे आरोपी!
खूंटी के हातूदामी गांव में अवैध बालू खनन का भंडाफोड़, पुलिस पर हमला कर भागे आरोपी। पुलिस ने पांच ट्रैक्टर जब्त कर पांच लोगों को भेजा जेल, चार फरार।

झारखंड के खूंटी जिले में एक बार फिर अवैध बालू खनन ने कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। रविवार को हातूदामी गांव में पुलिस की टीम पर माफियाओं ने न केवल हमला किया, बल्कि पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की कर मौके से फरार हो गए।
झारखंड में अवैध खनन की कहानियाँ कोई नई नहीं हैं। खासकर खूंटी, चाईबासा और पलामू जैसे जिलों में यह एक संगठित रैकेट का रूप ले चुका है। बालू माफिया खुलेआम नदियों का सीना चीर रहे हैं और जब पुलिस कार्रवाई के लिए पहुँचती है, तो उसका सामना न केवल विरोध से होता है, बल्कि जानलेवा हमलों से भी।
क्या है मामला?
हातूदामी गांव की नदी किनारे रविवार को पुलिस को सूचना मिली कि बड़े पैमाने पर जेसीबी से बालू की खुदाई हो रही है और ट्रैक्टरों के माध्यम से उसका उठाव किया जा रहा है। सूचना पाते ही खूंटी थाना की टीम मौके पर पहुँची। पुलिस की मौजूदगी देख माफिया सकपका गए।
जांच के दौरान पुलिस ने जब बालू उठाव से संबंधित वैध दस्तावेज मांगे, तो कोई भी व्यक्ति कोई प्रमाण पत्र नहीं दिखा सका। इसी दौरान जेसीबी ऑपरेटर मोकिम खान ने पुलिस पर हमला बोल दिया, उसके पिता मुश्ताक खान और भाई रमीज खान ने भी पुलिसकर्मियों को घेरकर धक्का-मुक्की की। अचानक हुए इस हमले से पुलिस भी कुछ देर के लिए हैरान रह गई।
जेसीबी छोड़ भागे आरोपी, पांच गिरफ्तार
हालात बेकाबू होते देख आरोपी जेसीबी और ट्रैक्टर वहीं छोड़कर मौके से फरार हो गए। पुलिस ने मौके से पांच ट्रैक्टर और एक जेसीबी मशीन को जब्त किया है। वहीं, मनोज धान, समीर बारला, मंगल बारला, वीरेंद्र महतो और सुकरा मुंडा नामक पांच ट्रैक्टर चालकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
कांडे मुंडा पर आरोप, जांच जारी
पूछताछ में खुलासा हुआ कि अवैध बालू का यह काम गांव के ही निवासी कांडे मुंडा के इशारे पर हो रहा था। वह स्वयं भी कुछ देर बाद घटनास्थल पर पहुंचा और पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया। कांडे मुंडा इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है।
नामजद प्राथमिकी दर्ज, चार आरोपी फरार
घटना के संबंध में खूंटी थाना में कुल नौ आरोपियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिनमें पांच गिरफ्तार ट्रैक्टर चालकों के अलावा मोकिम खान, मुश्ताक खान, रमीज खान और कांडे मुंडा शामिल हैं। फिलहाल चार आरोपी फरार हैं और पुलिस की विशेष टीम उनकी तलाश में जुटी है।
झारखंड में बालू माफिया का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब खूंटी या अन्य जिलों में बालू माफिया ने पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों पर हमला किया हो। पिछले एक दशक में झारखंड में अवैध खनन से जुड़ी घटनाओं में दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं। कई बार तो प्रशासनिक अधिकारी भी इनके निशाने पर आ चुके हैं।
2018 में चाईबासा में अवैध खनन रोकने गई टीम पर पत्थरबाजी की गई थी, जबकि 2021 में पलामू में एसडीओ की गाड़ी पर हमला किया गया था। इन घटनाओं से साफ है कि बालू माफिया कितना संगठित और प्रभावशाली हो चुका है।
कानूनी कार्रवाई और आगे की रणनीति
खूंटी पुलिस ने साफ किया है कि अवैध खनन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है। फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है और जल्द ही सभी को न्यायिक हिरासत में लिया जाएगा।
इसके अलावा, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस गिरोह को स्थानीय स्तर पर कोई राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण तो प्राप्त नहीं है।
खूंटी का यह मामला झारखंड में अवैध खनन के उस अंधेरे कोने को फिर से उजागर करता है, जहाँ कानून की कोई परवाह नहीं है। माफिया न केवल धरती का सीना छलनी कर रहे हैं, बल्कि सुरक्षा बलों को भी चुनौती दे रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या सिर्फ गिरफ्तारी से इन गतिविधियों पर रोक लगेगी, या अब वक्त आ गया है जब प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति एकजुट होकर इस रैकेट को जड़ से खत्म करे? वरना आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएँ और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती हैं।
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