Saraikela Strike: सफाई कर्मियों की वेतन बहाली की लड़ाई, विधायक प्रतिनिधि की अहम भूमिका
सरायकेला नगर पंचायत के सफाई कर्मियों ने वेतन और न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर हड़ताल की। विधायक प्रतिनिधि ने की अहम वार्ता, आंदोलन समाप्त।
सरायकेला नगर पंचायत के सफाई कर्मियों का बकाया वेतन, न्यूनतम मजदूरी और नियमित वेतन भुगतान की मांग को लेकर चल रहा अनिश्चितकालीन धरना आखिरकार प्रशासन के आश्वासन के बाद समाप्त हो गया है। इस धरने में विधायक प्रतिनिधि सानंद कुमार आचार्य की अहम भूमिका रही, जिन्होंने प्रशासन से वार्ता कर कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से उठाया।
सफाई कर्मियों की हड़ताल और इसकी गंभीरता
जिले के सफाई कर्मियों ने पिछले शुक्रवार से अपने बकाया वेतन और न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर हड़ताल शुरू कर दी थी। नगर पंचायत के 55 संविदा कर्मियों ने हड़ताल करते हुए पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में सफाई की स्थिति को गंभीर बना दिया था। सफाई कार्य के रुकने से नगर पंचायत के विभिन्न इलाकों में गंदगी फैलने की संभावना पैदा हो गई थी।
विधायक प्रतिनिधि की दखल और समाधान की पहल
इस बीच, सरायकेला के विधायक प्रतिनिधि सानंद कुमार आचार्य ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने बताया कि सफाई कर्मियों की हड़ताल के कारण पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में सफाई की समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिससे नागरिकों को काफी परेशानी हो रही थी। उन्होंने इस मुद्दे को स्थानीय विधायक चंपई सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के ध्यान में लाया और उनके निर्देश पर प्रशासन से बात की।
प्रशासक से वार्ता और सहमति
सानंद कुमार आचार्य की पहल पर प्रशासन ने कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से लिया। उन्होंने सरायकेला नगर पंचायत के प्रशासक से वार्ता की और उन्हें बताया कि सफाई कर्मियों का वेतन नियमित रूप से नहीं मिल रहा है और कई माह से बकाया वेतन भी लंबित है। इस पर प्रशासक ने कर्मचारियों की मांगों पर सहमति जताई और उन्हें आश्वासन दिया कि अब से उनका वेतन नियमित रूप से दिया जाएगा। इसके बाद ही सफाई कर्मियों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी।
मजदूरों की चेतावनी: अगली बार आमरण अनशन
हालांकि, कर्मचारियों ने यह साफ कर दिया है कि अगर उन्हें नियमित वेतन, बकाया वेतन और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया तो वे अगले चरण में आमरण अनशन पर बैठेंगे। कर्मचारियों की यह चेतावनी प्रशासन के लिए एक गंभीर संकेत है कि उन्हें अपनी मांगों के लिए दृढ़ रहना होगा।
सफाई कर्मियों की अहम भूमिका
सफाई कर्मियों की यह हड़ताल इस बात का संकेत है कि देशभर में संविदा कर्मियों के साथ कामकाजी शोषण और उनके अधिकारों की अनदेखी हो रही है। सफाई कर्मचारियों को बकाया वेतन, नियमित वेतन और न्यूनतम मजदूरी जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए, ताकि वे बिना किसी आर्थिक चिंता के अपना काम कर सकें।
ताजा घटनाक्रम और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट हो गया कि यदि प्रशासन समय रहते सफाई कर्मचारियों के मुद्दे पर ध्यान नहीं देता, तो ऐसे आंदोलनों का आह्वान और बढ़ सकता है। इस समय प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि वह कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान जल्दी से जल्दी करे ताकि ऐसी स्थिति फिर से उत्पन्न न हो।
एक नज़र इतिहास पर
भारत में सफाई कर्मियों के अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। 2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत सफाई कर्मचारियों की स्थिति में सुधार लाने का वादा किया था। हालांकि, कई जगहों पर सफाई कर्मियों को उनकी मेहनत का उचित प्रतिफल नहीं मिल पाता, जो कि सामाजिक असमानता और सरकारी नीतियों की कमी को दर्शाता है।
मूल मुद्दा और भविष्य की दिशा
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन और स्थानीय विधायक इन कर्मचारियों की समस्याओं का स्थायी समाधान निकाल पाएंगे या फिर ये आंदोलन समय-समय पर होते रहेंगे? हालांकि, इस बार की वार्ता से यह उम्मीद जरूर जताई जा सकती है कि सफाई कर्मियों की समस्याओं को शीघ्र सुलझाया जाएगा।
यह घटना साफ करती है कि सफाई कर्मियों के मुद्दे को हल करने में प्रशासन की बड़ी भूमिका है। अगर इन कर्मचारियों को उचित वेतन और सम्मान नहीं मिलता, तो ऐसे आंदोलन और हड़तालें भविष्य में और गंभीर रूप ले सकती हैं।
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