Saraikela Opium cultivation: 90 एकड़ में फैली अफीम की खेती नष्ट, ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है! जानिए क्या है इसका असर
सरायकेला खरसावां में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाए गए अभियान में 90 एकड़ खेतों को नष्ट किया गया। इस अभियान के तहत ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे वैकल्पिक कृषि की ओर ध्यान दें।
बिहार के सरायकेला खरसावां जिले में पुलिस ने अफीम की अवैध खेती के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की है। पिछले 15 दिनों में पुलिस ने 90 एकड़ खेतों में लगी अफीम की खेती को नष्ट कर दिया है। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत के नेतृत्व में हुई है, और उनका कहना है कि यह अभियान अभी जारी रहेगा।
क्या है अफीम की खेती का इतिहास और क्यों यह मुद्दा बना है?
बिहार में अफीम की खेती एक पुरानी समस्या है। यह न केवल स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक संकट का कारण बनती है, बल्कि यह मादक पदार्थों के कारोबार को भी बढ़ावा देती है, जो समाज के लिए खतरे की घंटी है। विशेष रूप से सरायकेला क्षेत्र में, जहां की माटी और जलवायु अफीम की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है, यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
15 जनवरी 1934 को नेपाल-बिहार भूकंप ने बिहार को झकझोर दिया था, और उसके बाद से राज्य के भूगोल में बदलाव आया है। इसके साथ ही, बिहार की धरती पर अफीम की खेती का मामला भी तेजी से बढ़ा। हालांकि सरकार और पुलिस द्वारा इस पर काबू पाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब भी यह मुद्दा बरकरार है।
90 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया
पिछले दो सप्ताह से, सरायकेला के पुलिस अधिकारी और जिला प्रशासन अफीम की अवैध खेती के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। चौका, ईचागढ़, चांडिल, खरसावां, कुचाई, दलभंगा जैसे प्रमुख थाना क्षेत्रों में करीब 90 एकड़ क्षेत्र में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है।
पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत का कहना है कि यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा। इसके साथ ही, पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणों को अफीम की खेती के खतरों से भी अवगत कराया है। उनका कहना है कि अफीम की खेती न केवल कानूनी रूप से अपराध है, बल्कि यह सामाजिक बुराई भी है।
ग्रामीणों को वैकल्पिक कृषि के लिए किया जा रहा है जागरूक
अफीम की खेती के स्थान पर, ग्रामीणों को अब सब्जियों, रबी फसलों, और मोटे अनाज की खेती की ओर प्रेरित किया जा रहा है। खरसावां थाना प्रभारी गौरव कुमार ने बताया कि अगर ग्रामीण सब्जी या रबी की खेती करेंगे, तो पुलिस प्रशासन भी उन्हें सहयोग देगा। इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि लोग अफीम की खेती से हटकर वैकल्पिक कृषि अपनाएं।
खरसावां और लखनडीह व नारायणबेड़ा गांव में पुलिस द्वारा आयोजित जागरूकता अभियान में ग्रामीणों को यह बताया गया कि अफीम की खेती और बिक्री करना कानूनन अपराध है, और इसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।
महुआ शराब भट्टी पर भी कड़ी कार्रवाई
पुलिस प्रशासन ने सिर्फ अफीम की खेती पर ही ध्यान नहीं दिया, बल्कि अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ भी एक बड़ी कार्रवाई की। मंगलवार को खरसावां थाना क्षेत्र के बरजुडीह गांव के पास स्थित जंगल में महुआ शराब भट्टी को नष्ट किया गया। इसके साथ ही करीब 400 किलो जावा महुआ भी नष्ट किया गया। पुलिस ने यह कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर की थी, और क्षेत्रीय लोगों को शराब की अवैध भट्टी के खिलाफ जागरूक किया गया।
पुलिस ने बताया कि इस अभियान में अवैध अफीम की खेती, शराब का कारोबार और अन्य अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, लोगों को इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया जा रहा है और वैकल्पिक कृषि के लाभों से अवगत कराया जा रहा है।
समाज और प्रशासन की साझा जिम्मेदारी
सरायकेला खरसावां जिले में चलाए जा रहे अफीम और अवैध शराब के खिलाफ अभियान को देखकर यह साफ है कि पुलिस और प्रशासन गंभीर रूप से इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। लेकिन इस सफलता को केवल पुलिस की कार्रवाई से ही नहीं, बल्कि समाज के हर सदस्य के सहयोग से ही स्थायी बनाया जा सकता है।
ग्रामीणों को अफीम की खेती से दूर रखकर उन्हें उपजाऊ, लाभकारी कृषि के तरीकों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। अगर यह अभियान सही दिशा में चलता रहा, तो आने वाले समय में सरायकेला और इसके आसपास के क्षेत्रों में अफीम और शराब के कारोबार को समाप्त किया जा सकता है, और इस क्षेत्र की खेती को एक नई दिशा मिल सकती है।
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