Uttarkashi Helicopter हादसे ने ली 5 ज़िंदगियाँ, गंगोत्री जा रही यात्रा बनी मौत का सफर!
उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम जा रहा हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया जिसमें 5 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 2 गंभीर रूप से घायल हुए। राज्य में चारधाम यात्रा के दौरान यह बड़ा हादसा सामने आया है।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में उस समय मातम छा गया जब गंगोत्री धाम की ओर जा रहा एक हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। सोमवार सुबह सहस्त्रधारा हेलीपैड से उड़ान भरने के बाद हेलीकॉप्टर ने जैसे ही भागीरथी नदी के पास गंगनानी क्षेत्र में प्रवेश किया, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भयावह हादसे में 5 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
हेलीकॉप्टर में कुल सात लोग सवार थे – जिनमें 4 पुरुष, 2 महिलाएं और एक पायलट शामिल थे। हेलीकॉप्टर का संचालन निजी हेली सेवा कंपनी द्वारा किया जा रहा था और इसे कैप्टन रॉबिन सिंह उड़ा रहे थे। यात्रियों को खरसाली में उतारने की योजना थी, जो यमुनोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव है। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
हेलीकॉप्टर हादसे की पुष्टि और सरकारी प्रतिक्रिया
गढ़वाल डिवीजन के कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि जैसे ही दुर्घटना की सूचना मिली, SDRF और जिला प्रशासन की टीमें तुरंत मौके पर रवाना की गईं। मौके पर राहत और बचाव कार्य जारी है और घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देकर अस्पताल पहुंचाया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हादसे पर दुख जताते हुए कहा, "यह घटना अत्यंत दुखद है। ईश्वर मृतकों की आत्मा को शांति दें और शोकाकुल परिवारों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।" उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि घायलों को हर संभव सहायता दी जाएगी और दुर्घटना की जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
चारधाम यात्रा की पृष्ठभूमि और हेली सेवाओं की चुनौती
उत्तराखंड में हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचते हैं – केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। इस यात्रा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व तो है ही, लेकिन दुर्गम और कठिन रास्तों के कारण अब श्रद्धालु बड़ी संख्या में हेली सेवाओं का सहारा ले रहे हैं। 2011 के बाद से हेली सेवा का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन साथ ही सुरक्षा को लेकर सवाल भी लगातार उठते रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में हेली सेवाएं दुर्घटनाग्रस्त हुई हैं। इससे पहले भी केदारनाथ और बदरीनाथ मार्गों पर कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई जाने जा चुकी हैं। मौसम की अनिश्चितता और ऊंचाई पर एयर डेंसिटी की कमी इन सेवाओं को और जोखिमपूर्ण बना देती हैं।
मौसम ने भी बढ़ाई चिंता
हादसे के वक्त उत्तराखंड में मौसम की स्थिति भी अच्छी नहीं थी। मौसम विभाग ने पहले ही देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग समेत कई जिलों में बारिश और बिजली चमकने की चेतावनी जारी की थी। हल्की से मध्यम बारिश के साथ तेज हवाओं की संभावना जताई गई थी, जिससे हवाई यातायात पर भी असर पड़ा।
हालांकि अभी तक इस हादसे की ठोस वजह सामने नहीं आई है, लेकिन शुरुआती संकेत मौसम खराब होने और तकनीकी खामी की ओर इशारा करते हैं। DGCA और राज्य सरकार की जांच टीमें हादसे की बारीकी से पड़ताल कर रही हैं।
शवों की शिनाख्त और परिजनों की पहचान जारी
अधिकारियों के अनुसार, मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और परिजनों से संपर्क किया जा रहा है। घायलों की हालत भी गंभीर बनी हुई है, जिन्हें देहरादून के बड़े अस्पताल में एयरलिफ्ट किया गया है।
श्रद्धा और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी
उत्तरकाशी का यह हेलीकॉप्टर हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि तीर्थ यात्रा के इस आधुनिक स्वरूप में सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीरता बरती जा रही है। जहां एक ओर श्रद्धालु आस्था से भरकर ईश्वर के दर्शन को निकलते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें अपनी जान का जोखिम भी उठाना पड़ता है।
सरकार और हेली सेवा कंपनियों को इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में किसी की आस्था की उड़ान मौत की परछाई में न बदल जाए।
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