Saraikela Strike: संविदाकर्मियों की हड़ताल से नगर पंचायत ठप, न्यूनतम मजदूरी का भुगतान बना मुद्दा

सरायकेला नगर पंचायत के 55 संविदाकर्मी न्यूनतम मजदूरी भुगतान की मांग पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर। सफाई व्यवस्था ठप। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 27, 2024 - 11:37
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Saraikela Strike: संविदाकर्मियों की हड़ताल से नगर पंचायत ठप, न्यूनतम मजदूरी का भुगतान बना मुद्दा
Saraikela Strike: संविदाकर्मियों की हड़ताल से नगर पंचायत ठप, न्यूनतम मजदूरी का भुगतान बना मुद्दा

सरायकेला: सरायकेला नगर पंचायत के संविदाकर्मियों ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। 55 संविदाकर्मियों के इस कदम से नगर की सफाई व्यवस्था और अन्य दैनिक कार्य ठप हो गए हैं। कर्मियों ने नगर पंचायत प्रशासन पर सरकारी आदेशों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए न्यूनतम मजदूरी भुगतान की मांग पर अड़े रहने की घोषणा की है।

मांग पत्र में क्या कहा गया?

हड़ताल शुरू करने से पहले, सभी संविदाकर्मियों ने नगर पंचायत प्रशासक को अपना मांग पत्र सौंपा। कर्मियों का कहना है कि वे पिछले 8-10 वर्षों से नगर पंचायत में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। बावजूद इसके, झारखंड सरकार के श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी दर उन्हें अब तक नहीं दी गई है।

कर्मियों ने बताया कि वित्त विभाग, झारखंड सरकार ने सितंबर 2024 में कंप्यूटर ऑपरेटर और डेटा एंट्री ऑपरेटर का वेतन बढ़ाकर ₹38,500 प्रतिमाह करने का आदेश जारी किया था। इसके बावजूद, नगर पंचायत प्रशासन ने इस आदेश को लागू नहीं किया।

महंगाई ने बढ़ाई मुश्किलें

संविदाकर्मियों ने बढ़ती महंगाई का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें अल्प वेतन में अपने परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत प्रशासन उनकी शिकायतों और मांगों को नजरअंदाज करता आ रहा है।

हड़ताल का असर

संविदाकर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से नगर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। इससे स्थानीय निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर पंचायत के अन्य कार्य, जैसे कि जलापूर्ति और कचरा प्रबंधन, भी प्रभावित हो रहे हैं।

इतिहास और संविदाकर्मियों की स्थिति

झारखंड में संविदाकर्मी अक्सर अपने कम वेतन और असुरक्षित नौकरी को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। यह कोई पहली बार नहीं है कि संविदाकर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल की हो। 2018 में भी राज्य के विभिन्न जिलों के संविदाकर्मियों ने इसी प्रकार की हड़ताल की थी, जो कई हफ्तों तक चली थी।

संविदाकर्मियों का आरोप है कि उन्हें स्थायी कर्मचारियों के समान अधिकार नहीं दिए जाते, जबकि वे भी समान कार्यभार निभाते हैं।

क्या कहता है नगर पंचायत प्रशासन?

नगर पंचायत प्रशासक की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रशासन मामले को जल्द सुलझाने के लिए बैठक कर रहा है।

संविदाकर्मियों का रुख

संविदाकर्मियों का कहना है कि वे हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे जिला मुख्यालय तक विरोध मार्च करेंगे।

आगे की संभावनाएं

संविदाकर्मियों और नगर पंचायत प्रशासन के बीच बातचीत जारी है। उम्मीद है कि दोनों पक्ष जल्द ही समझौते पर पहुंचेंगे। इस बीच, स्थानीय नागरिकों को नगर की अव्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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