Ranchi Appointment Protest – झारखंड हाईकोर्ट में बाहरी जजों की नियुक्ति पर वकीलों में असंतोष, बार काउंसिल से दखल की मांग!

झारखंड हाईकोर्ट में बाहरी जजों की नियुक्ति को लेकर वकीलों का असंतोष बढ़ा! झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन ने विरोध जताया, 6 मार्च से कोर्ट कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। जानिए पूरी खबर!

Mar 6, 2025 - 13:36
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Ranchi Appointment Protest – झारखंड हाईकोर्ट में बाहरी जजों की नियुक्ति पर वकीलों में असंतोष, बार काउंसिल से दखल की मांग!
Ranchi Appointment Protest – झारखंड हाईकोर्ट में बाहरी जजों की नियुक्ति पर वकीलों में असंतोष, बार काउंसिल से दखल की मांग!

झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं में न्यायिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। वकीलों का आरोप है कि हाईकोर्ट में बाहरी व्यक्तियों को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जा रहा है, जबकि राज्य के अनुभवी और योग्य अधिवक्ताओं की अनदेखी हो रही है। इस मुद्दे को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन, झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को आमसभा बुलाई, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

बाहरी जजों की नियुक्ति का विरोध, वकीलों की नाराजगी बढ़ी

झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन का कहना है कि झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में स्थानीय अधिवक्ताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लेकिन हाल के वर्षों में झारखंड के वकीलों के बजाय अन्य राज्यों से न्यायाधीश नियुक्त किए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय अधिवक्ताओं को मौका नहीं मिल पा रहा है।

एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रस्ताव पारित किया कि –

  1. झारखंड के अधिवक्ताओं के नामों को ही हाईकोर्ट के जज के रूप में भेजा जाए।
  2. बाहरी जजों की नियुक्ति के खिलाफ वकील 6 मार्च से कोर्ट नंबर 1, 3 और 4 की अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं होंगे।
  3. यदि कोई वकील इस विरोध के खिलाफ जाता है, तो उसकी एडवोकेट एसोसिएशन की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।

बार काउंसिल से न्याय की गुहार, दिल्ली में उठेगी आवाज

झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन इस मामले को सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं रखना चाहता। आमसभा में तय किया गया कि एक प्रतिनिधिमंडल बनाया जाएगा, जो दिल्ली जाकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्यों से मुलाकात करेगा।

यह प्रतिनिधिमंडल निम्नलिखित मांगें रखेगा –
झारखंड के वकीलों को हाईकोर्ट में जज बनने का अवसर मिले।
बाहरी जजों की नियुक्तियों पर पुनर्विचार किया जाए।
न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थानीय वकीलों को प्राथमिकता दी जाए।

10 मार्च को फिर होगी बैठक, आगे की रणनीति तैयार होगी

आमसभा में निर्णय लिया गया कि 10 मार्च को सुबह 10:15 बजे हाईकोर्ट के एस्केलेटर के पास फिर से बैठक बुलाई जाएगी। इसमें इस आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इस प्रस्ताव पर करीब 400 अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए और इसे सख्ती से लागू करने की बात कही।

क्या कहते हैं वकील? क्यों उठ रही है यह मांग?

एसोसिएशन के वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि –

  • झारखंड हाईकोर्ट में राज्य के ही वकीलों को जज बनाने की परंपरा होनी चाहिए।
  • बाहरी जजों को लाने से झारखंड के कानूनी पेशेवरों के साथ अन्याय हो रहा है।
  • स्थानीय अधिवक्ता झारखंड की संस्कृति, परंपरा और स्थानीय मामलों को बेहतर समझते हैं।
  • यदि बाहरी जज नियुक्त किए जाते रहेंगे, तो झारखंड के वकीलों के लिए उच्च पदों पर पहुंचने के रास्ते बंद हो जाएंगे।

इतिहास: हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का विवाद कब से जारी है?

झारखंड हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है। 2017 में भी झारखंड बार एसोसिएशन ने कोलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता लाने की मांग की थी।

साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने झारखंड हाईकोर्ट में कुछ बाहरी जजों की नियुक्ति की थी, जिसे लेकर स्थानीय वकीलों ने विरोध जताया था। अब फिर से यह मुद्दा गरमा गया है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार –
 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के तहत होती है।
 कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ जज शामिल होते हैं।
 वे उच्चतम न्यायालय को नियुक्तियों के लिए नाम भेजते हैं।
 अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति और कानून मंत्रालय से मिलती है।

लेकिन झारखंड के वकीलों का कहना है कि कॉलेजियम सिस्टम में उनके नामों की अनदेखी हो रही है, और बाहरी राज्यों से जज भेजे जा रहे हैं।

इस विवाद का असर क्या पड़ेगा?

 यदि झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन का विरोध सफल होता है, तो झारखंड के अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने के अधिक अवसर मिल सकते हैं।
 झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर पारदर्शिता बढ़ सकती है।
 अगर कॉलेजियम उनकी मांगों को नहीं मानता, तो विरोध और तेज हो सकता है।
 सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर दबाव बनेगा कि वे झारखंड के अधिवक्ताओं के नामों पर विचार करें।

न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता की मांग

झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं द्वारा उठाई गई यह मांग केवल एक राज्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारत में न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है। यदि यह विरोध सफल होता है, तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।