Jharkhand Budget: शिक्षा, विधवा और दिव्यांग महिलाओं के लिए बड़ा झटका! जानिए क्यों बजट को बताया गया अनुपयुक्त

झारखंड सरकार के बजट को लेकर बड़ा विवाद! शिक्षा और दिव्यांग महिलाओं की उपेक्षा पर उठे सवाल। क्या सरकार करेगी सुधार? जानिए पूरी खबर।

Mar 4, 2025 - 19:51
Mar 4, 2025 - 19:59
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Jharkhand Budget: शिक्षा, विधवा और दिव्यांग महिलाओं के लिए बड़ा झटका! जानिए क्यों बजट को बताया गया अनुपयुक्त
Jharkhand Budget: शिक्षा, विधवा और दिव्यांग महिलाओं के लिए बड़ा झटका! जानिए क्यों बजट को बताया गया अनुपयुक्त

रांची: झारखंड लोकमंच के महामंत्री एवं बीएड विभाग के शिक्षक ने झारखंड सरकार के ताजा बजट को अनुपयुक्त करार दिया है। उनका कहना है कि राज्य में प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा की स्थिति पहले से ही खराब है, और इस बजट में भी सरकार ने शिक्षा सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। प्रशिक्षण महाविद्यालयों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, कई संस्थान बंद हो रहे हैं, लेकिन बजट में इसके सुधार के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। इससे राज्य के शिक्षा क्षेत्र को गंभीर झटका लगा है।

क्या झारखंड में शिक्षा व्यवस्था संकट में?

झारखंड में शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है। विशेष रूप से प्रशिक्षण महाविद्यालय, जहां नए शिक्षकों को तैयार किया जाता है, वे ध्वस्त होने की कगार पर हैं। बजट में कोई ठोस योजना न होने के कारण, यह समस्या आने वाले वर्षों में और गंभीर हो सकती है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार जल्द से जल्द शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं देती तो राज्य में योग्य शिक्षकों की कमी हो सकती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा

महिलाओं के कल्याण पर क्यों उठे सवाल?

बजट में वृद्ध, विधवा और दिव्यांग महिलाओं के लिए भी कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार की "मैईया सम्मान योजना" के तहत सामान्य महिलाओं को ₹2500 दिए जाते हैं, जबकि विधवा और दिव्यांग महिलाओं को मात्र ₹1000 ही मिलते हैं। यह असमानता सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सामाजिक संगठनों का मानना है कि इस तरह की विभाजनकारी नीति से कमजोर वर्गों को आगे बढ़ने में दिक्कतें होंगी।

दिव्यांग आयुक्त की नियुक्ति अब तक क्यों नहीं?

झारखंड सरकार पिछले कई वर्षों से दिव्यांग आयुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाई है। इसका सीधा असर राज्य में दिव्यांग कल्याण योजनाओं पर पड़ रहा हैबजट में भी दिव्यांगों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई। इससे यह साफ होता है कि सरकार इस संवेदनशील वर्ग की जरूरतों को नजरअंदाज कर रही है।

क्या है लोगों की मांग?

विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि सरकार को शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लिए बजट में विशेष प्रावधान करना चाहिए। खासकर प्रशिक्षण महाविद्यालयों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, वृद्ध, विधवा और दिव्यांग महिलाओं को भी उचित सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

सरकार कब करेगी सुधार?

बजट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या आम जनता की समस्याओं का समाधान होगा या नहीं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।