loan recovery crime: Loan Recovery का कहर! युवक पर बरसाए डंडे और बेल्ट, सिर फोड़ डाला

भिलाई में आईडीएफसी बैंक के रिकवरी एजेंटों ने लोन न चुका पाने पर युवक को बेल्ट और डंडे से पीटा, सिर फोड़ दिया। पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन क्या इससे लोन वसूली में हो रही गुंडागर्दी रुकेगी? पढ़ें पूरी खबर।

Feb 25, 2025 - 15:36
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loan recovery crime: Loan Recovery का कहर! युवक पर बरसाए डंडे और बेल्ट, सिर फोड़ डाला
loan recovery crime: Loan Recovery का कहर! युवक पर बरसाए डंडे और बेल्ट, सिर फोड़ डाला

भिलाई— क्या वाकई बैंक से लोन लेना अब लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है? कम ब्याज और आसान किश्तों का लालच देकर प्राइवेट बैंक कैसे ग्राहकों को जाल में फंसा रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ के भिलाई से आया है। यहां आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के रिकवरी एजेंटों ने एक युवक को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीट दिया क्योंकि वह एक महीने की किश्त नहीं चुका सका था। बेल्ट और डंडों से पीट-पीटकर युवक का सिर फोड़ दिया गया। मामला जब तूल पकड़ने लगा तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, लेकिन क्या यह समस्या यहीं खत्म हो जाएगी?

लोन देने से पहले मीठी बातें, फिर शुरू होती है गुंडागर्दी

बैंकों द्वारा दिए जाने वाले पर्सनल लोन और ईएमआई फाइनेंस स्कीम आजकल आम आदमी के लिए फायदेमंद के बजाय खतरनाक साबित हो रही हैं। पहले ये बैंक एजेंट कम ब्याज और आसान किश्तों का झांसा देकर ग्राहकों को लोन लेने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन जैसे ही किसी कारणवश ग्राहक एक भी किश्त चुकाने में असमर्थ होता है, वही बैंक अपने रिकवरी एजेंटों के जरिए गुंडागर्दी पर उतर आता है।

ऐसा ही कुछ भिलाई के फरीदनगर इलाके में हुआ, जहां सैय्यद फारुख नाम के युवक को आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के रिकवरी वालों ने बेरहमी से पीट दिया। तीन महीने तक किश्त चुकाने के बाद फरवरी की किस्त भरने में असमर्थ रहने पर बैंक वालों ने उसके खिलाफ सख्त रवैया अपनाया।

कैसे हुआ हमला? रिकवरी एजेंटों ने घेरा और किया हमला

जानकारी के मुताबिक, 24 फरवरी की रात करीब 7 बजे सैय्यद फारुख अपना मोबाइल ठीक करवाने के लिए सुपेला स्थित तव्कल मोबाइल स्टोर गया था। तभी वहां आईडीएफसी बैंक के तीन रिकवरी एजेंट पहुंचे और तुरंत किश्त भरने का दबाव डालने लगे। जब फारुख ने कुछ दिनों की मोहलत मांगी, तो वे गाली-गलौज पर उतर आए और उसके साथ मारपीट शुरू कर दी।

  • एक एजेंट ने बेल्ट से पीटा
  • दूसरे ने बांस के डंडे से वार किया
  • तीसरा व्यक्ति घूंसे मारने लगा

इस हमले में फारुख के सिर पर गंभीर चोटें आईं। शोर सुनकर उसके चाचा सैफ अली मौके पर पहुंचे और उसे लेकर सुपेला थाना पहुंचे। पुलिस ने युवक का मेडिकल परीक्षण कराया और आईडीएफसी बैंक के तीन रिकवरी एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।

किस्त न पटाने पर गुंडागर्दी, आखिर कब तक?

लोन रिकवरी के ऐसे मामले कोई नई बात नहीं हैं। प्राइवेट बैंक अक्सर ग्राहकों से ऐसे अनुबंध पर साइन करवाते हैं जो बेहद जटिल होते हैं और छोटे फॉन्ट में अंग्रेजी में लिखे होते हैं ताकि ग्राहक उन्हें ठीक से पढ़ न सकें।

  • लोन देते समय बताया गया ब्याज दर कई गुना बढ़ा दिया जाता है।
  • कुछ महीनों तक नियमित किश्त भरने के बाद दबाव बनाया जाता है कि तुरंत बाकी किश्तें चुका दो।
  • न चुका पाने पर रिकवरी एजेंट्स दबंगई और धमकी देना शुरू कर देते हैं।

ऐसी ही घटनाएं देश के कई शहरों में हो रही हैं। 2019 में मुंबई में एक व्यक्ति ने खुदकुशी कर ली थी क्योंकि बैंक के रिकवरी एजेंट लगातार उसे प्रताड़ित कर रहे थे। कई बार रिकवरी एजेंट कानून हाथ में लेकर मारपीट तक कर देते हैं।

पुलिस की कार्रवाई, फिर भी सवाल बाकी…

इस मामले में सुपेला पुलिस ने धारा 115(2) भारतीय न्याय संहिता, 296-बीएनएस, 3(5)-बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल एफआईआर दर्ज करने से ऐसे मामलों पर रोक लग जाएगी?

कई बार इन बैंक अधिकारियों के राजनीतिक और पुलिस से गहरे संबंध होते हैं, जिससे वे किसी भी कानूनी कार्रवाई से बच निकलते हैं। ग्राहकों को लोन देने के नाम पर बैंक और फाइनेंस कंपनियां जो अनुबंध कराती हैं, उनमें पारदर्शिता जरूरी है।

लोगों की मांग – बैंकिंग सिस्टम में सुधार हो

इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। पीड़ित परिवार का कहना है कि बैंकिंग सिस्टम में सुधार किया जाए और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।

यदि किसी ग्राहक से लोन की किश्त नहीं भरी जाती है, तो उसके पास समय देने का प्रावधान होना चाहिए न कि उसे पीट-पीटकर अधमरा करने की अनुमति दी जाए।

क्या आप भी हो सकते हैं अगला शिकार?

यदि आप भी लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो पहले इन बिंदुओं पर ध्यान दें—
बैंक के नियम और शर्तों को अच्छे से पढ़ें।
किसी भी बैंक से लोन लेने से पहले उसकी रिकवरी पॉलिसी को समझें।
बैंक की लोन रिकवरी प्रक्रिया के बारे में अन्य ग्राहकों से फीडबैक लें।
लोन लेने के बाद समय पर किश्तें चुकाएं, ताकि रिकवरी एजेंटों की धमकियों से बच सकें।

यह घटना भले ही भिलाई की हो, लेकिन यह पूरे देश के लिए एक सबक है। अगर जल्द ही कोई सख्त कानून नहीं बनाया गया, तो लोन लेना आम लोगों के लिए एक नई मुसीबत बनता जाएगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।