RINL और SAIL के विलय की योजना पर विचार कर रही सरकार, संकट में फंसी RINL की मदद के प्रयास
वित्तीय संकट से जूझ रही RINL को उबारने के लिए सरकार RINL और SAIL के विलय पर विचार कर रही है। जानिए इस योजना से जुड़ी हर अहम जानकारी।
नई दिल्ली, 28 सितंबर 2024: केंद्र सरकार देश की दो बड़ी पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) - राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के विलय पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आंध्र प्रदेश स्थित RINL की इकाई को वित्तीय संकट से बाहर निकालना है। RINL, जिसे विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के नाम से भी जाना जाता है, इस समय गंभीर वित्तीय और परिचालन संकट से गुजर रहा है।
RINL का वित्तीय संकट
विशाखापट्टनम स्थित RINL इकाई देश का पहला शोर आधारित इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है, जिसकी उत्पादन क्षमता 9.5 मिलियन टन है। इसके बावजूद, यह इकाई वर्तमान में गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। प्लांट की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इसका संचालन जारी रखने के लिए तत्काल वित्तीय मदद की आवश्यकता है।
विलय का प्रस्ताव
सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए RINL और SAIL के विलय का प्रस्ताव रखा है। यह दोनों PSU एक ही मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आती हैं, इसलिए इन्हें एक साथ मिलाकर समाधान निकालने की योजना बनाई जा रही है। इस विलय से RINL को वित्तीय मजबूती मिलने की उम्मीद है।
SBI की भूमिका
इस पूरी प्रक्रिया में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की भी अहम भूमिका है, क्योंकि इस बैंक का RINL पर काफी कर्ज है। SBI के शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में इस्पात सचिव के साथ बैठक की थी, जिसमें इस संकट से निपटने के उपायों पर चर्चा की गई थी। बैंक की ओर से RINL को मदद पहुंचाने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
वित्तीय मदद के अन्य विकल्प
विलय के अलावा, कुछ अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। इनमें से एक महत्वपूर्ण विकल्प RINL की जमीन को राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) को बेचना है। इसके अलावा, बैंकों से और अधिक ऋण लेने की भी योजना बनाई जा रही है, ताकि प्लांट का संचालन जारी रखा जा सके।
विलय की जरूरत क्यों?
विशाखापट्टनम स्टील प्लांट देश के सबसे महत्वपूर्ण स्टील प्लांट्स में से एक है। यह प्लांट देश की स्टील उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। अगर RINL का संकट जल्द हल नहीं किया गया, तो इसका असर न सिर्फ स्टील उद्योग पर पड़ेगा, बल्कि आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यही कारण है कि सरकार और अन्य एजेंसियां जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान खोजने में जुटी हुई हैं।
समाधान की दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि RINL और SAIL का विलय इस संकट का सबसे प्रभावी समाधान हो सकता है। इससे RINL को आवश्यक पूंजी मिलेगी और प्लांट का संचालन बिना किसी बाधा के जारी रहेगा। अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे RINL को एक नई जीवनरेखा मिल सकती है और भारतीय स्टील उद्योग को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार की ओर से अभी तक इस योजना पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
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