Ranchi Scam: फर्जी दस्तावेज से लोन लेकर बैंक को लगाया 6.23 करोड़ का चूना, CBI जांच में चौकाने वाले खुलासे!

रांची में एक गिरोह ने फर्जी दस्तावेजों से बैंक ऑफ इंडिया से 6.23 करोड़ का लोन लिया। CBI जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जानिए पूरी साजिश कैसे रची गई!

Feb 15, 2025 - 13:55
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Ranchi Scam: फर्जी दस्तावेज से लोन लेकर बैंक को लगाया 6.23 करोड़ का चूना, CBI जांच में चौकाने वाले खुलासे!
Ranchi Scam: फर्जी दस्तावेज से लोन लेकर बैंक को लगाया 6.23 करोड़ का चूना, CBI जांच में चौकाने वाले खुलासे!

रांची में फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों का लोन लेकर बैंक को चूना लगाने का मामला सामने आया है। बैंक ऑफ इंडिया की रामगढ़ शाखा को 6.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। CBI जांच में खुलासा हुआ कि यह घोटाला योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था।

इस साजिश के तहत एक गिरोह ने युवाओं के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ऑयल टैंकर खरीदने के नाम पर लोन लिया। बैंक के तत्कालीन क्रेडिट मैनेजर बोंगरा कुमार सिंह की संलिप्तता भी पाई गई, जिन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन सवाल ये है कि इतनी बड़ी रकम कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए निकाली गई और क्या बैंक मैनेजमेंट को इसकी भनक भी नहीं लगी?

CBI जांच में चौंकाने वाले खुलासे

सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को 2016 में इस घोटाले की भनक लगी थी। जांच के दौरान पता चला कि मुकेश शाह, संजय शाह, रविकांत प्रसाद समेत कई अज्ञात लोगों ने बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची थी। दिसंबर 2016 से मई 2017 के बीच, इन आरोपियों ने युवाओं के नाम पर फर्जी वाहन लोन स्वीकृत करवाया और पूरी राशि सिद्धि विनायक एंटरप्राइजेज नाम की फर्जी फर्म के खाते में ट्रांसफर कर दी।

जब बैंक को इस घोटाले की भनक लगी, तब तक 6.23 करोड़ रुपये हड़पे जा चुके थे। CBI ने 2018 में इस मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू की थी।

क्रेडिट मैनेजर की भूमिका संदेहास्पद!

बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन क्रेडिट मैनेजर बोंगरा कुमार सिंह को इस घोटाले में मुख्य आरोपी माना गया। उन्होंने दावा किया कि ऋण स्वीकृत करने का अधिकार उनके पास नहीं था और वह सिर्फ रिपोर्टिंग का काम करते थे। लेकिन CBI की जांच में उनकी संदिग्ध भूमिका सामने आई।

जांच में पता चला कि बोंगरा कुमार सिंह ने फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि—
 उन्होंने वाहनों का भौतिक निरीक्षण किया
 सभी टैंकर चालू हालत में पाए गए
 लोन लेने वाले युवाओं को EMI भुगतान की जानकारी दी गई

लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट थी। जिन युवाओं के नाम पर लोन लिया गया था, उन्हें इस घोटाले की भनक तक नहीं थी।

कैसे पकड़े गए आरोपी?

CBI की गहरी छानबीन के बाद कई सबूत सामने आए—
 जिन तेल टैंकरों की खरीद दिखाई गई थी, वे असल में कभी खरीदे ही नहीं गए।
लोन के दस्तावेजों में कई फर्जी हस्ताक्षर और गलत जानकारियां थीं।
लोन के पैसे को फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किया गया।
भारत लॉजिस्टिक्स और शिवा ट्रांसपोर्ट नामक कंपनियों के नाम पर तेल टैंकरों का संचालन दिखाया गया, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

CBI ने आरोप पत्र में कुल 69 लोगों को गवाह बनाया है, और इस केस की जांच अब अंतिम चरण में है।

इतिहास में ऐसे कई घोटाले हुए!

अगर हम इतिहास में झांकें, तो भारत में कई बैंक घोटाले हुए हैं, जिनमें फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।
PNB स्कैम (2018): नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिए 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया था।
सत्यम कंप्यूटर स्कैम (2009): कंपनी के मालिक रामालिंगा राजू ने फर्जी बैलेंस शीट दिखाकर 7,000 करोड़ का फ्रॉड किया था।
हर्षद मेहता स्कैम (1992): शेयर बाजार में बैंक धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया था।

रांची का यह मामला भी उन्हीं घोटालों की एक कड़ी है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये का लोन लिया गया और बैंक को चूना लगाया गया।

अब आगे क्या?

CBI की जांच के बाद यह साफ हो गया है कि यह घोटाला सुनियोजित साजिश का नतीजा था। अब तक कई आरोपियों की पहचान हो चुकी है, और आगे भी कई बड़े नामों के सामने आने की उम्मीद है।

सवाल यह उठता है कि बैंक ऐसे घोटालों को रोकने के लिए कितनी सतर्कता बरत रहा है?
क्या आने वाले समय में ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा हो सकते हैं?

आपकी राय क्या है? क्या बैंक की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है? नीचे कमेंट करके हमें बताएं!

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।