Environmental Protection: रांची में पर्यावरण बचाओ अभियान, सलगी और नगड़ी को पर्यटन मानचित्र पर लाने की बड़ी पहल

रांची में युगांतर भारती की वार्षिक सभा में पर्यटन स्थलों के विकास और नदियों को पुनर्जीवित करने पर चर्चा। जानें सलगी और नगड़ी के महत्व और भविष्य की योजनाएं।

Dec 15, 2024 - 18:51
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Environmental Protection: रांची में पर्यावरण बचाओ अभियान, सलगी और नगड़ी को पर्यटन मानचित्र पर लाने की बड़ी पहल
Environmental Protection: रांची में पर्यावरण बचाओ अभियान, सलगी और नगड़ी को पर्यटन मानचित्र पर लाने की बड़ी पहल

रांची में आयोजित युगांतर भारती की वार्षिक आम सभा में झारखंड के दो महत्वपूर्ण स्थानों, सलगी (दामोदर नदी का उद्गम स्थल) और नगड़ी (स्वर्णरेखा नदी का उद्गम स्थल) को आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना पर चर्चा हुई। जमशेदपुर पश्चिम के विधायक और युगांतर भारती के संरक्षक सरयू राय ने जोर देकर कहा कि इन स्थानों को भारत के पर्यटन मानचित्र पर जगह दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

सलगी और नगड़ी: झारखंड की अमूल्य धरोहर

सरयू राय ने कहा कि नगड़ी को आदर्श प्रशासनिक इकाई और सलगी को पर्यावरणीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना आवश्यक है। इन दोनों स्थलों का न केवल सांस्कृतिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है। दामोदर और स्वर्णरेखा नदियां झारखंड की जीवनरेखा मानी जाती हैं, लेकिन आधुनिक शहरीकरण और प्रदूषण ने इन्हें गंभीर संकट में डाल दिया है।

शहरों की बढ़ती आबादी और नदियों का बिगड़ता हाल

सरयू राय ने इस बात पर चिंता जताई कि झारखंड की शहरी आबादी अब 32% तक पहुंच गई है, लेकिन बढ़ते शहरीकरण के साथ नदियों का प्रदूषण और उनकी बदतर स्थिति एक गंभीर समस्या बन गई है। उन्होंने कहा कि हरमू, स्वर्णरेखा और खरकई जैसी नदियां, जो कभी झारखंड की शान थीं, अब सीवेज में तब्दील हो रही हैं।

उनके अनुसार, "हमने नदियों को मार दिया है। अगर इन्हें पुनर्जीवित नहीं किया गया, तो इंसानी सभ्यता पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।"

युगांतर भारती का मिशन: पर्यावरण शिक्षा और जन जागरूकता

सभा में यह निर्णय लिया गया कि युगांतर भारती के यूट्यूब चैनल "युगांतर न्यूज" पर "पर्यावरण पाठशाला" नामक साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से जन जागरूकता फैलाई जाएगी।

युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने संगठन की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि 2024 में कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल किया गया है, जैसे दामोदर महोत्सव, पर्यावरण दिवस और स्वर्णरेखा महोत्सव का सफल आयोजन। उन्होंने 2025 की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 12-14 जनवरी के बीच नगड़ी, हुंडरू, जोन्हा और चांडिल में स्वर्णरेखा महोत्सव का आयोजन होगा। इसके अलावा, 22 मार्च को जल दिवस, 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस, और 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की योजना है।

नदी संरक्षण पर विशेषज्ञों की राय

सभा में सेवानिवृत्त पुलिस उपमहानिरीक्षक संजय रंजन सिंह ने कहा, "हरमू पहले एक नदी थी, लेकिन अब यह केवल सीवेज बनकर रह गई है। हमें स्कूलों और नौजवानों को इस आंदोलन से जोड़ना होगा।"

पर्यावरणविद् प्रो. एम.के. जमुआर ने युगांतर भारती से आग्रह किया कि दस्तावेजीकरण पर अधिक जोर दिया जाए और वायु प्रदूषण को लेकर एक नया आंदोलन छेड़ा जाए। उन्होंने स्कूलों में इको क्लब बनाने की जरूरत को भी रेखांकित किया।

पर्यटन और पर्यावरण के बीच सामंजस्य

सभा में इस बात पर जोर दिया गया कि झारखंड के पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ वहां के पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाए। स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के ट्रस्टी आशुतोष राय ने ट्रस्ट की गतिविधियों की जानकारी दी और सलगी व नगड़ी के लिए व्यापक योजना बनाने की अपील की।

आने वाले समय की योजनाएं और चुनौतियां

  1. स्वर्णरेखा महोत्सव का विस्तार।
  2. झारखंड में नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष योजनाएं।
  3. पर्यावरण पाठशाला के माध्यम से जन जागरूकता।
  4. झारखंड के युवा वर्ग को पर्यावरण आंदोलन से जोड़ने की पहल।

सभा में मौजूद गणमान्य व्यक्ति

इस वार्षिक सभा में राज्य के कई जिलों से आए पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, और युगांतर भारती के सदस्य मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से डॉ. ज्योति प्रकाश, आशीष शीतल, धर्मेंद्र तिवारी, गणेश रेड्डी, और तपेश्वर केशरी जैसे नाम शामिल थे।

रांची में आयोजित युगांतर भारती की यह वार्षिक सभा नदियों और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। सलगी और नगड़ी जैसे स्थलों को विकसित करना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को भी सहेजने का काम करेगा।

झारखंड को नदियों और प्राकृतिक संसाधनों की भूमि माना जाता है। ऐसे में युगांतर भारती की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।