पद्मश्री शारदा सिन्हा का निधन: सूर्य मंदिर समिति ने जताया गहरा शोक, छठ महोत्सव में उनके योगदान को किया याद

मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन पर जमशेदपुर सूर्य मंदिर समिति ने शोक व्यक्त किया। 2002 के छठ महोत्सव में उनकी उपस्थिति और लोकसंस्कृति में उनके योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि।

Nov 6, 2024 - 12:27
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पद्मश्री शारदा सिन्हा का निधन: सूर्य मंदिर समिति ने जताया गहरा शोक, छठ महोत्सव में उनके योगदान को किया याद
पद्मश्री शारदा सिन्हा का निधन: सूर्य मंदिर समिति ने जताया गहरा शोक, छठ महोत्सव में उनके योगदान को किया याद

जमशेदपुर: पद्म पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में निधन हो गया। मंगलवार की देर शाम उन्होंने आखिरी सांस ली। शारदा सिन्हा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी मृत्यु ने भारतीय लोक संगीत के प्रेमियों को गहरे दुख में डाल दिया है। जमशेदपुर की सूर्य मंदिर समिति ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा, “शारदा सिन्हा जी का जाना लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी आवाज़ ने न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। उनके गीतों में भारतीय परंपरा और जीवन का गहरा संदेश रहता था, जो जन-जन को जोड़ता था।”

छठ महोत्सव में विशेष उपस्थिति

शारदा सिन्हा का छठ महोत्सव से गहरा नाता था। वर्ष 2002 में शारदा सिन्हा ने जमशेदपुर के सूर्य मंदिर परिसर में छठ महोत्सव के अवसर पर अपनी उपस्थिति से महोत्सव को विशेष बना दिया था। उनकी उपस्थिति से छठ महोत्सव में नई रौनक आ गई थी। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि, “शारदा जी का वह योगदान और उनकी उपस्थिति आज भी हमारे दिलों में ताजा है। उनकी आवाज़ ने उस समय पूरे परिसर को भक्तिमय बना दिया था।”

लोकसंस्कृति की पहचान बनी शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा की गायकी का अंदाज अलग था। उनके गीतों में गांव का सौंदर्य, भक्ति, आस्था और भारतीयता की झलक थी। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली, और मगही में कई अमर गीत गाए, जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं। उनके गीत विशेष रूप से छठ पूजा के अवसर पर सुनाई देते हैं और उन्हें छठ महापर्व का प्रतीक मान लिया गया है।

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शारदा जी की आवाज में जो मिठास और अपनापन था, वह किसी और में नहीं मिल सकता। उनके गीतों ने समाज को लोकसंस्कृति की सुंदरता और विविधता से परिचित कराया। उनकी गायकी में एक अद्वितीय शैली थी, जो लोकगीतों को जन-जन तक पहुंचाने में सफल रही।

पूरे देश में शोक की लहर

शारदा सिन्हा का योगदान केवल लोक संगीत तक ही सीमित नहीं था। वे उन चुनिंदा कलाकारों में थीं जिन्होंने लोकसंस्कृति को नई पहचान दी और उसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाया। उनके गीत ‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव’ और ‘नदिया के तीरे तीरे’ जैसे गीत उनकी लोकप्रियता का प्रमाण हैं।

उनके निधन से न केवल संगीत प्रेमियों में शोक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी इस खबर को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया गया है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक और शुभचिंतक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

सूर्य मंदिर समिति की श्रद्धांजलि

सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शारदा जी का जाना लोकसंस्कृति के लिए एक बड़ी क्षति है। समिति ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की है। समिति ने प्रार्थना की है कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस कठिन समय में सहनशक्ति दें।

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शारदा जी ने जिस तरह से लोक संगीत को संजीवनी दी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है। उनका योगदान सदैव याद किया जाएगा।

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