Noamundi Murder Mystery: नोवामुंडी में पुश्तैनी जमीन विवाद को लेकर 15 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत!

नोवामुंडी में पुश्तैनी जमीन विवाद को लेकर 15 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत, पुलिस ने किया दो लोगों को गिरफ्तार। जानें पूरी घटना!

Mar 18, 2025 - 11:25
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Noamundi Murder Mystery: नोवामुंडी में पुश्तैनी जमीन विवाद को लेकर 15 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत!
Noamundi Murder Mystery: नोवामुंडी में पुश्तैनी जमीन विवाद को लेकर 15 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत!

झारखंड के नोवामुंडी में रविवार की शाम जो कुछ हुआ, उसने पूरे गांव को सन्न कर दिया। महज कुछ पत्तों की लालच में परिवार के ही लोगों ने 15 साल के एक किशोर की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे उसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मामला पुश्तैनी जमीन के विवाद से जुड़ा है, लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी चौंकाने वाली है! आइए जानते हैं इस पूरे मामले की पूरी सच्चाई—

कैसे शुरू हुआ खूनी खेल?

रविवार की शाम थी। 15 वर्षीय सुनील तिरिया अपने घर के आंगन में लगे लाल साग के पत्ते तोड़ रहा था। इसी दौरान उसके बड़े पिताजी रोया तिरिया वहां पहुंचे और गुस्से में बोले— "यह साग मैंने लगाया है!" सुनील को यह बात चुभ गई और उसने बिना कुछ सोचे-समझे अपने बड़े पिताजी को थप्पड़ जड़ दिया।

यह देखकर मामला और बिगड़ गया। गुस्साए रोया तिरिया का बेटा ब्रजमोहन भी वहां आ पहुंचा। फिर क्या था, पिता-पुत्र ने मिलकर सुनील को लात-घूंसों और डंडों से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। बेहोशी की हालत में सुनील किसी तरह वहां से भागा और सुनसान इलाके में स्थित भंगरु के घर में जाकर छिप गया। सुबह जब लोग वहां पहुंचे, तो सुनील की सांसें थम चुकी थीं।

गांव में सनसनी, पुलिस की छापेमारी

सोमवार सुबह जब इस घटना की खबर फैली, तो पूरे गांव में सनसनी मच गई। सूचना मिलते ही नोवामुंडी थाना प्रभारी नयन कुमार सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और हत्या के आरोपी रोया तिरिया व ब्रजमोहन तिरिया को गिरफ्तार कर लिया।

क्या था असली विवाद?

ग्रामीणों के अनुसार, यह विवाद केवल लाल साग के पत्तों को लेकर नहीं था, बल्कि इसकी जड़ें पुश्तैनी जमीन के झगड़े से जुड़ी थीं। सुनील अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। बचपन में ही उसकी मां चल बसी थी, और कुछ साल पहले उसके पिता भी गुजर गए थे। अनाथ होने के बाद वह अपने बड़े पिताजी और चचेरे भाई के घर में पल-बढ़ रहा था और मवेशियों को चराकर गुजारा करता था।

कुछ समय पहले, सुनील ने अपने पिता के हिस्से की जमीन पर बिना पूछे कुआं खुदवाने का विरोध किया था। यह बात रोया तिरिया और ब्रजमोहन को नागवार गुजरी। तभी से रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी। लाल साग की पत्तियों को लेकर हुआ झगड़ा इसी पुराने विवाद का नतीजा था।

इतिहास में ऐसे ही जमीन विवाद बने हैं खूनी संघर्ष का कारण!

भारत में जमीन विवाद अक्सर परिवारों को बांट देते हैं और कभी-कभी तो यह हिंसक संघर्ष का कारण भी बन जाते हैं। इतिहास में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मामूली झगड़ों ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया।

  • 2018: बिहार के सासाराम में एक जमीन विवाद को लेकर दो भाइयों के परिवारों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी।
  • 2020: उत्तर प्रदेश के अमेठी में जमीन के बंटवारे को लेकर हुई लड़ाई में बेटे ने अपने ही पिता की हत्या कर दी थी।
  • 2023: राजस्थान के एक गांव में खेत की सीमा को लेकर हुए विवाद में चाचा-भतीजे के बीच हुई मारपीट ने दो जानें ले ली थीं।

नोवामुंडी की यह घटना भी इसी कड़ी का एक और उदाहरण है।

आगे क्या होगा?

इस घटना के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को मंडल कारागार, चाईबासा भेज दिया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह मामला सिर्फ एक हत्या का है या इसके पीछे कोई और बड़ी साजिश छिपी है? पुलिस अब इस एंगल से भी जांच कर रही है कि क्या सुनील की हत्या सुनियोजित थी या फिर यह गुस्से में किया गया अपराध था।

क्या यह एक साजिश थी?

गांव के कुछ लोगों का कहना है कि सुनील पर हमला अचानक नहीं हुआ था, बल्कि यह पहले से सोची-समझी साजिश थी। क्योंकि पिछले कुछ महीनों से बड़े पिताजी और चचेरे भाई के साथ उसका विवाद चल रहा था।

समाज के लिए चेतावनी!

यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। जमीन और संपत्ति के लिए अपनों का खून बहाना आज के दौर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ऐसे मामलों में कानून को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न हो।

नोवामुंडी की यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि छोटे-छोटे विवाद भी कभी-कभी बड़े अपराध का रूप ले सकते हैं। लाल साग के पत्तों से शुरू हुआ झगड़ा एक मासूम की जान लेकर खत्म हुआ। पुलिस भले ही आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन यह सवाल बरकरार है कि क्या परिवार के भीतर ऐसी हिंसा को रोका जा सकता है? समाज को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।