Chaibasa Court Verdict: महिला से जबरदस्ती करने वाले आरोपी को 7 साल की सजा, जानिए पूरा मामला!
चाईबासा कोर्ट ने आखिरकार एक बड़े मामले में फैसला सुना दिया। जानिए कैसे पीड़िता ने न्याय की लड़ाई लड़ी और दोषी को मिली 7 साल की सजा। क्या इस फैसले से ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा बढ़ेगी?

चाईबासा: वर्षों तक न्याय की लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार पीड़िता को इंसाफ मिल गया। चाईबासा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद शाकिर की अदालत ने सोमवार को इस सनसनीखेज मामले में फैसला सुनाया। दोषी संजय बेहरा उर्फ पैढ़ाडु को अदालत ने सात साल की सजा और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी है। यह फैसला उन मामलों में एक नजीर बन सकता है, जहां पीड़ितों को सालों तक न्याय का इंतजार करना पड़ता है।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना 4 अक्टूबर 2023 की है। सुबह करीब 6 बजे गांव की एक महिला तालाब में बर्तन धोने गई थी। इसी दौरान जब वह शौच के लिए पास के एक सुनसान जगह पर गई, तभी संजय बेहरा अचानक वहां आ धमका। उसने जबरदस्ती महिला को पकड़कर खींचने की कोशिश की। जब महिला ने विरोध किया, तो उसने चाकू से पेट पर वार कर दिया।
महिला की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंच गए। यह देख संजय बेहरा वहां से भाग निकला। ग्रामीणों ने घायल महिला को तुरंत जगन्नाथपुर अस्पताल पहुंचाया, जहां लंबे इलाज के बाद वह ठीक हुई। इस घटना के बाद महिला ने संजय बेहरा के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
न्याय की लंबी लड़ाई और कोर्ट का फैसला
इस मामले में कोर्ट ने गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर दोषी को सजा सुनाई। सात साल की सजा के अलावा 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यदि आरोपी जुर्माना नहीं भरता, तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
क्या यह फैसला भविष्य के मामलों के लिए सबक बनेगा?
भारत में इस तरह के मामलों में पीड़ितों को अक्सर लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, लेकिन यह फैसला यह साबित करता है कि न्याय में देर हो सकती है, लेकिन अंधेरा नहीं होता।
ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा के उपाय बढ़ाने की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि आखिर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर और क्या कदम उठाए जाने चाहिए? क्या रात और सुबह के समय अकेले जाने पर किसी महिला के लिए खतरा बढ़ जाता है? यह मुद्दा केवल एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज को इस पर विचार करना होगा।
अगला कदम क्या होगा?
अब देखना यह होगा कि आरोपी क्या ऊपरी अदालत में अपील करेगा या फिर अपनी सजा भुगतेगा? इस फैसले से ग्रामीण महिलाओं में एक उम्मीद जगी है कि न्याय संभव है, बस इसके लिए संघर्ष जारी रखना पड़ता है।
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