NTTF Netaji Birthday Celebration :नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन: NTTF गोलमुरी में छात्रों ने सीखा आजादी का असली अर्थ!
गोलमुरी स्थित आर डी टाटा टेक्निकल इंस्टिट्यूट (NTTF) में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई। उपप्राचार्य रमेश राय ने नेताजी के साहसिक निर्णयों और युवाओं के लिए उनकी प्रेरणा की विरासत को साझा किया। जानें कार्यक्रम की खास बातें।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को NTTF गोलमुरी ने किया नमन, छात्रों को दिया राष्ट्रनिर्माण का संदेश
NTTF Netaji Birthday Celebration : गोलमुरी स्थित आर डी टाटा टेक्निकल इंस्टिट्यूट (NTTF) ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में नेताजी के जीवन, उनके साहसिक निर्णयों और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर उप-प्राचार्य रमेश राय ने नेताजी को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने हमेशा शस्त्र और शास्त्र के समन्वय का संदेश दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत और मुख्य आकर्षण
कार्यक्रम का शुभारंभ नेताजी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इसके बाद संस्थान के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने नेताजी के जीवन और उनकी विचारधारा पर अपने विचार साझा किए। अनिबान इलेक्ट्रॉनिक्स के छात्र और निधि कुमारी ने नेताजी की जीवनी प्रस्तुत करते हुए उनके नेतृत्व और युवाओं को प्रेरित करने की उनकी क्षमता को उजागर किया।
नेताजी के विचारों पर छात्रों की प्रस्तुति
छात्रों ने नेताजी के साहसिक विचारों और उनके 'दिल्ली चलो' अभियान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि नेताजी ने किस तरह युवाओं को आजादी के संघर्ष में जोड़कर भारत के भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया। इस दौरान नेताजी के संघर्षशील व्यक्तित्व पर कई प्रेरक कहानियां भी साझा की गईं।
शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति
इस मौके पर उप-प्राचार्य रमेश राय के साथ डॉ. शिव प्रसाद, वरुण कुमार, प्रीति, मंजुला, बीपी आचार्य, पंकज कुमार, दीपक सरकार, शिल्पा मिथिला, हरेश राजीव रंजन, लक्ष्मण, रोहित, विवेक और अजीत कुमार ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
नेताजी का संदेश आज भी प्रासंगिक
कार्यक्रम में बताया गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं। उनकी यह सोच कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सकता है, आज भी प्रासंगिक है।
NTTF गोलमुरी के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि नेताजी के विचारों और उनके बलिदानों को आज भी उतनी ही श्रद्धा से याद किया जाता है, जितनी उनकी आवश्यकता भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान थी।
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