Nawada Mining: भानेखाप में माफियाओं का दबदबा, अवैध अभ्रक खनन पर नहीं लग रही लगाम
नवादा जिले के भानेखाप में अवैध अभ्रक खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल में नाबालिग की मौत और माफियाओं की करतूतों से पूरा क्षेत्र प्रभावित है। जानें पूरी खबर।
नवादा जिले के रजौली थाना क्षेत्र में स्थित भानेखाप की अभ्रक खदान एक बार फिर सुर्खियों में है। अवैध खनन और माफियाओं के दबदबे ने पूरे क्षेत्र को संकट में डाल दिया है। अवैध अभ्रक खनन में न केवल स्थानीय मजदूरों का शोषण हो रहा है, बल्कि हाल में एक नाबालिग की मौत ने इस खतरनाक खेल को उजागर किया है।
23 अक्टूबर की घटना: नाबालिग की मौत ने झकझोरा
23 अक्टूबर 2024 को भानेखाप में एक नाबालिग लड़की की खनन चाल धंसने से दबकर मौत हो गई। मृतका की पहचान हरदिया पंचायत के सूअरलेटी गांव निवासी सीमा कुमारी (18 वर्ष) के रूप में हुई।
घटना के बाद, अभ्रक माफियाओं ने पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति देकर उनका मुंह बंद कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन परिजनों द्वारा माफियाओं के नाम नहीं बताने के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
दिनदहाड़े डायनामाइट से ब्लास्टिंग
सूत्रों के अनुसार, माफिया दिनदहाड़े डायनामाइट से खनन कर रहे हैं। धमाकों के बाद स्थानीय मजदूरों से अभ्रक चुनवाया जाता है। वन विभाग ने हाल में पोकलेन मशीन, हाईवा, डायनामाइट और अन्य उपकरण जब्त किए थे। इस कार्रवाई के बाद खनन पर थोड़े समय के लिए रोक लगी थी, लेकिन माफियाओं ने फिर से गतिविधियां शुरू कर दी हैं।
झारखंड में हो रही अभ्रक की तस्करी
खनन के बाद निकाले गए अभ्रक को झारखंड के कोडरमा और झुमरीतिलैया में ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। पहले अभ्रक ढोने के लिए छोटी गाड़ियों का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब माफिया बड़े ट्रकों का उपयोग कर रहे हैं।
काली कमाई का साम्राज्य
अवैध खनन से होने वाली कमाई से माफियाओं ने झारखंड में आलीशान मकान और जमीन खरीदी है। भानेखाप और आसपास के गांवों जैसे सूअरलेटी, मरमो और कुंभियातरी में निकाले गए अभ्रक को घरों में स्टॉक किया जा रहा है। माफिया उचित समय पर इसे बाजार में उतारने की तैयारी में हैं।
वन विभाग की तैयारी
वन क्षेत्र पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि अभ्रक खनन को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भानेखाप का इतिहास: एक बार था वैध खनन का केंद्र
भानेखाप की खदानें कभी वैध खनन का केंद्र थीं। यहां निकाला गया अभ्रक दुनिया भर में प्रसिद्ध था। लेकिन 1990 के बाद जब सरकारी नियंत्रण कमजोर पड़ा, तो माफियाओं ने अवैध खनन का खेल शुरू कर दिया। इस क्षेत्र को उग्रवाद प्रभावित घोषित किया गया, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने माफियाओं को और मजबूत किया।
क्या कहती है जनता?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता ने माफियाओं को बढ़ावा दिया है। वन विभाग के छापेमारी अभियान से थोड़ी राहत जरूर मिली थी, लेकिन स्थायी समाधान अभी भी दूर है।
क्या होगी अवैध खनन पर रोक?
अवैध अभ्रक खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल रहा है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस खतरनाक खेल को रोकने में सफल होगा?
आपकी राय क्या है? क्या अवैध खनन रोकने के लिए प्रशासन को और सख्त कदम उठाने चाहिए? कमेंट में बताएं!
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