Nawada Scandal – मत्स्य पालन विभाग में बड़ा घोटाला, बिना वर्क ऑर्डर मछली की बिक्री शुरू

नवादा जिले में मत्स्य पालन विभाग का बड़ा घोटाला, बिना वर्क ऑर्डर के मछलियों की बिक्री शुरू। पढ़ें कैसे सरकारी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर घोटाले को अंजाम दिया गया।

Dec 4, 2024 - 13:18
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Nawada Scandal – मत्स्य पालन विभाग में बड़ा घोटाला, बिना वर्क ऑर्डर मछली की बिक्री शुरू
Nawada Scandal – मत्स्य पालन विभाग में बड़ा घोटाला, बिना वर्क ऑर्डर मछली की बिक्री शुरू

नवादा जिले के मत्स्य पालन विभाग में हाल ही में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच कथित मिलीभगत से सरकारी प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। बिना वर्क ऑर्डर के मछलियों की खरीद-बिक्री शुरू कर दी गई है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।

फुलवरिया डैम का मामला

यह मामला उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के सबसे बड़े जलाशय फुलवरिया डैम से जुड़ा है। 5 नवंबर को नवादा में फुलवरिया डैम की मछलियों की निकासी के लिए खुली निविदा आयोजित की गई थी। इस निविदा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, लेकिन प्रक्रिया पहले से तय साजिश का शिकार बन गई।

कैसे हुआ घोटाला?

अधिकारियों ने निविदा में भाग लेने वाले दबंग और पूंजीपतियों के पक्ष में पहले से तैयारी कर रखी थी। स्थानीय कारोबारी कौशल कुमार को निविदा प्रदान करने से पहले कई अनौपचारिक शर्तें जोड़ी गईं। अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच कथित रूप से अवैध साझेदारी बनी। निविदा के तुरंत बाद कौशल कुमार ने बिना वर्क ऑर्डर के मछलियों की खरीद-बिक्री शुरू कर दी।

अवैध प्रक्रिया का असर

मछलियों की इस अवैध बिक्री से सरकारी राजस्व की बड़ी क्षति हुई है। आरोप है कि यह सारा खेल अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा है। इस घोटाले ने न केवल सरकारी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में ला दिया है, बल्कि ग्रामीण जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है।

चुनौती और कार्रवाई

निविदा प्रक्रिया को चुनौती देते हुए उमेश प्रसाद यादव ने इसे अवैध करार दिया है। राज्य के अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निविदा पर अस्थायी रोक लगा दी है। संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में एक पत्र भी जारी किया गया है।

अधिकारियों की चुप्पी और दस्तावेजों का खुलासा

मौजूदा दस्तावेज यह साफ तौर पर बताते हैं कि निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। हालांकि, अधिकारियों की चुप्पी और ठेकेदार के साथ उनकी कथित मिलीभगत इस खेल को जारी रखे हुए है।

इतिहास में ऐसे घोटाले

भारत के विभिन्न राज्यों में सरकारी योजनाओं और प्रक्रियाओं में घोटाले कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन छोटे जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे घोटाले न केवल विकास में बाधा डालते हैं, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े करते हैं। नवादा का यह मामला भी इसी परंपरा का हिस्सा लगता है।

सरकार को उठाने होंगे कदम

नवादा के इस मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी विभागों में पारदर्शिता की कमी कैसे जनता के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। यह घोटाला सरकार के लिए एक चेतावनी है कि वह इन प्रक्रियाओं की कड़ी निगरानी करे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।