क्या 'मुक्तकंठ सम्मान 2024' में कैलाश कुमार जैन बरमेचा को सम्मानित करना एक नई साहित्यिक परंपरा की शुरुआत है?

क्या कैलाश कुमार जैन बरमेचा को 'मुक्तकंठ सम्मान 2024' मिलना साहित्यिक समाज के लिए एक नई प्रेरणा है? जानिए इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की हर जानकारी, जिसमें साहित्य और समाजसेवा का संगम हुआ।

Sep 24, 2024 - 23:25
Sep 24, 2024 - 23:28
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क्या 'मुक्तकंठ सम्मान 2024' में कैलाश कुमार जैन बरमेचा को सम्मानित करना एक नई साहित्यिक परंपरा की शुरुआत है?

भिलाई, छत्तीसगढ़— साहित्य और समाजसेवा का एक अद्भुत संगम आज भिलाई के सेक्टर-10 स्थित कफी हाउस में देखने को मिला। इस विशेष अवसर पर 'मुक्तकंठ साहित्य समिति' ने एक बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया, जहां ख्यातिनाम समाजसेवी, कथाकार, लेखक, साहित्यकार और व्यवसायी श्री कैलाश कुमार जैन बरमेचा को 'मुक्तकंठ सम्मान 2024' से नवाजा गया। लेकिन यह सम्मान सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि साहित्य और समाज के बीच एक अनोखी कड़ी को मजबूत करने का एक प्रयास भी था। क्या यह कार्यक्रम साहित्य के भविष्य के लिए नई दिशा निर्देशित करेगा?

क्यों था यह कार्यक्रम इतना खास?

कार्यक्रम की अध्यक्षता 'मुक्तकंठ साहित्य समिति' के संस्थापक और अध्यक्ष गोविंद पाल ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक (सीआईडी) और समिति के संरक्षक श्री नरेंद्र सिक्केवाल, ख्यातिलब्ध शायर और साहित्यकार डॉ. रौनक जमाल, और वरिष्ठ साहित्यकार रजनीकांत श्रीवास्तव ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान कैलाश कुमार जैन बरमेचा को पुष्पगुच्छ, शाल, श्रीफल, मोमेंटो और सम्मान पत्र देकर आदरपूर्वक सम्मानित किया गया। क्या यह सम्मान साहित्यकारों के समाज में योगदान की सही पहचान का प्रतीक है?

कौन हैं कैलाश कुमार जैन बरमेचा?

मुख्य अतिथि कैलाश कुमार जैन बरमेचा, जिन्हें साहित्य और समाज सेवा दोनों में गहरा अनुभव है, इस कार्यक्रम के केंद्रबिंदु रहे। उन्होंने न केवल साहित्य के माध्यम से समाज को दिशा दी है, बल्कि अपने व्यावसायिक और सामाजिक योगदान से समाज के अन्य वर्गों को भी प्रभावित किया है। क्या उनकी यह सफलता साहित्यिक दुनिया में नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी?

ओमप्रकाश शर्मा की विरासत को किसने संभाला?

कार्यक्रम के दौरान 'मुक्तकंठ साहित्य समिति' के महासचिव स्वर्गीय ओमप्रकाश शर्मा की विरासत को संभालने के लिए वरिष्ठ साहित्यकार नरेंद्र कुमार सिक्केवाल को सर्वसम्मति से समिति का नया महासचिव चुना गया। यह नियुक्ति समिति के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि सिक्केवाल ने यह वादा किया है कि वे समिति को और ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए अपने 100% प्रयास देंगे। क्या यह नया नेतृत्व मुक्तकंठ साहित्य समिति को और भी बड़ी सफलताओं की ओर ले जाएगा?

क्या यह सम्मान कार्यक्रम मुक्तकंठ साहित्य समिति की साहित्यिक यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है?

कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में 'मुक्तकंठ साहित्य समिति' द्वारा प्रकाशित सितंबर अंक का लोकार्पण किया गया, जो समिति के पूर्व महासचिव स्व. ओमप्रकाश शर्मा को समर्पित था। इस बुलेटिन का विमोचन प्रसिद्ध कवि प्रदीप भट्टाचार्य ने किया। क्या यह साहित्यिक बुलेटिन समिति की साहित्यिक यात्रा का नया अध्याय खोल रहा है?

क्या समिति की अध्यक्षता में भविष्य की योजनाएं पूरी होंगी?

समिति के संस्थापक गोविंद पाल ने इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों के सामने समिति की भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि समिति अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए कई नई परियोजनाओं पर काम कर रही है। क्या यह कदम मुक्तकंठ साहित्य समिति को एक वैश्विक पहचान दिलाएगा?

साहित्य और समाज के बीच क्या कड़ी जोड़ती है मुक्तकंठ साहित्य समिति?

मुख्य अतिथि कैलाश कुमार जैन बरमेचा ने अपने संबोधन में समिति के प्रति अपना अटूट समर्थन व्यक्त किया और कहा कि साहित्यिक समितियों से जुड़े लोग समाज को सही दिशा निर्देशित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य समाज का दर्पण है और यह समाज को दिशा दिखाने का सबसे प्रभावी माध्यम है। क्या साहित्यकार समाज के सही मार्गदर्शक हो सकते हैं?

कवि गोष्ठी: क्या यह साहित्यकारों की सृजनशीलता का प्रमाण है?

कार्यक्रम के अंत में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. बीना सिंह रागी ने इस सत्र का संचालन किया। इस कवि गोष्ठी में उपस्थित प्रमुख रचनाकारों में प्रकाश चन्द्र मंडल, नीलकंठ देवांगन, वासुदेव भट्टाचार्य, दीपमाल सिन्हा, भारती कौर, मनोज शुक्ला, पी. राजेन्द्र नायडू, रवीन्द्र नाथ देबनाथ, बलराम सिंह, रामबरन कोरी, मंजूलता शर्मा, कांति शर्मा, और ओमप्रकाश जायसवाल आदि शामिल थे। क्या यह कवि गोष्ठी साहित्यकारों की रचनात्मकता का एक बेहतरीन मंच थी?

भविष्य की योजनाएं: क्या साहित्य के प्रति समर्पण समिति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा?

कार्यक्रम के समापन पर 'मुक्तकंठ साहित्य समिति' के संरक्षक ब्रजेश मल्लिक ने समिति के भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति के पास कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यकारों को एक नया मंच प्रदान करेंगी। क्या यह योजना भारतीय साहित्य को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाएगी?

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Chandna Keshri चंदना केशरी, जो गणित-विज्ञान में इंटरमीडिएट हैं, स्थानीय खबरों और सामाजिक गतिविधियों में निपुण हैं।