MLA रिकेश सेन की अनोखी अपील: फूल-मालाओं की जगह पुस्तकें और पौधे दें, बेवजह के खर्चों पर रोक लगाएं

विधायक रिकेश सेन ने दुर्गोत्सव और दशहरा उत्सव समितियों से फूल-माला और प्रतीक चिन्हों पर खर्च करने की बजाय सूत की माला, धार्मिक पुस्तकें, और पौधे देने की अपील की। जानें क्यों की उन्होंने यह अपील।

Oct 5, 2024 - 14:50
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MLA रिकेश सेन की अनोखी अपील: फूल-मालाओं की जगह पुस्तकें और पौधे दें, बेवजह के खर्चों पर रोक लगाएं
MLA रिकेश सेन की अनोखी अपील: फूल-मालाओं की जगह पुस्तकें और पौधे दें, बेवजह के खर्चों पर रोक लगाएं

फूल-मालाओं की जगह पुस्तकें और पौधे दें – MLA रिकेश सेन की फिजूलखर्ची पर रोक की अपील

भिलाई नगर, 05 अक्टूबर। वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने आज एक अनोखी अपील की है, जिसमें उन्होंने दुर्गोत्सव और दशहरा उत्सव समितियों से फूल-मालाओं और प्रतीक चिन्हों पर खर्च करने की बजाय सस्ती और अधिक उपयोगी वस्तुओं का उपयोग करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि ये खर्च न केवल अनावश्यक हैं, बल्कि आयोजन समितियों के लिए एक आर्थिक बोझ भी हैं।

आयोजन समितियों में फिजूलखर्ची का मुद्दा

विधायक रिकेश सेन को इन दिनों दुर्गोत्सव और दशहरा उत्सव के कई आयोजनों में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जा रहा है। अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने देखा कि स्वागत समारोहों में भारी मात्रा में फूल, बुके, और प्रतीक चिन्हों का इस्तेमाल होता है, जो अक्सर बाद में बेकार हो जाते हैं। सेन ने इसे "फिजूलखर्ची" करार दिया और इस पर रोक लगाने के लिए एक सार्वजनिक अपील की है।

विधायक का कहना है कि समितियां इन आयोजनों के लिए चंदा और आपसी योगदान से पैसे इकट्ठा करती हैं। ऐसे में फूलों और प्रतीक चिन्हों पर खर्च किया गया पैसा समाज के हित में बेहतर तरीके से उपयोग हो सकता है। उनका सुझाव है कि अगर इसी पैसे को सामाजिक कार्यों में लगाया जाए, तो यह ज्यादा उपयोगी साबित होगा।

विधायक की अपील – फूलों की जगह सूत की माला और पुस्तकें

रिकेश सेन ने विशेष रूप से यह अपील की है कि स्वागत सत्कार के लिए महंगी फूल-मालाओं, बुके, या प्रतीक चिन्हों की बजाय समितियां सूत की माला, धार्मिक पुस्तकें, महापुरुषों की जीवनी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानियाँ, या पौधे उपहार में दें। उनका कहना है कि इस प्रकार के उपहार न केवल व्यावहारिक हैं, बल्कि ये समाज के लिए लाभकारी भी साबित हो सकते हैं।

फूल-बुके की बजाय पर्यावरण और ज्ञान को बढ़ावा

सेन ने कहा, "फूलों के बुके अक्सर कुछ ही दिनों में सूखकर फेंक दिए जाते हैं, और प्रतीक चिन्ह भी किसी काम नहीं आते। जबकि पौधे पर्यावरण के लिए लाभदायक हो सकते हैं, और धार्मिक या प्रेरक पुस्तकों से ज्ञान और प्रेरणा मिलती है।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि समितियां अपने आयोजन में इसी तरह से समाज सेवा का कार्य करें और स्वागत के रूप में कोई ऐसा प्रतीक दें जो आने वाले समय में समाज के काम आए।

आयोजन समिति से अपेक्षा – फिजूलखर्ची पर ध्यान दें

विधायक ने यह उम्मीद जताई है कि उनकी इस अपील पर समितियां जरूर ध्यान देंगी और भविष्य के आयोजनों में इन सिफारिशों का पालन करेंगी। सेन का कहना है कि सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का उद्देश्य समाज के उत्थान के लिए काम करना होना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले आयोजनों में समितियां इस अनोखी पहल को अपनाकर न केवल फिजूलखर्ची पर रोक लगाएंगी, बल्कि समाज के उत्थान के लिए भी काम करेंगी।

समाज के लिए एक नई पहल

विधायक रिकेश सेन की यह अपील न केवल आयोजनों में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की एक कोशिश है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने का भी प्रयास है। इस प्रकार की पहल से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि समाज में ज्ञान और जागरूकता भी फैलेगी।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।