Lohardaga Bribery: एंटी करप्शन टीम ने 70 हजार रिश्वत लेते अफसर को रंगे हाथ पकड़ा!

लोहरदगा में एसीबी ने 70 हजार रुपये रिश्वत लेते एक अफसर को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। जानिए इस भ्रष्टाचार की घटना के पीछे की पूरी कहानी और एसीबी की कार्रवाई।

Dec 6, 2024 - 09:57
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Lohardaga Bribery: एंटी करप्शन टीम ने 70 हजार रिश्वत लेते अफसर को रंगे हाथ पकड़ा!
Lohardaga Bribery: एंटी करप्शन टीम ने 70 हजार रिश्वत लेते अफसर को रंगे हाथ पकड़ा!

लोहरदगा : झारखंड के लोहरदगा जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है। गुरुवार को समेकित जनजाति विकास अभिकरण (आइटीडीए) के प्रधान सहायक (बड़ा बाबू) राजेंद्र उरांव को 70 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। मामला कब्रिस्तान की घेराबंदी योजना से जुड़ा है, जिसमें अफसर ने निर्माण एजेंसी से काम पास करने के लिए आठ प्रतिशत कमीशन की मांग की थी।

कब्रिस्तान की घेराबंदी का मामला

लोहरदगा के किस्को प्रखंड के चरहू गांव में 24 लाख रुपये की लागत से कब्रिस्तान की घेराबंदी का काम चल रहा था। इस योजना के तहत निर्माण कार्य की निगरानी का जिम्मा आइटीडीए के प्रधान सहायक राजेंद्र उरांव को दिया गया था। लेकिन काम पूरा होने के बाद, उन्होंने दबाव बनाते हुए निर्माण एजेंसी से आठ प्रतिशत कमीशन मांगा।

जब निर्माण एजेंसी ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई, तो उरांव ने भुगतान के बिना बिल पास करने से इनकार कर दिया। मजबूर होकर एजेंसी ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से की।

कैसे हुआ गिरफ्तारी का ऑपरेशन?

एसीबी की टीम ने शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए राजेंद्र उरांव को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। योजना के तहत, एजेंसी ने आरोपी को 70 हजार रुपये दिए, और जैसे ही उसने पैसे लिए, एसीबी टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया।

भ्रष्टाचार का बढ़ता संकट

यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार गहराई तक फैला हुआ है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, जहां योजनाओं का उद्देश्य विकास और जनकल्याण है, वहां अफसरशाही के भ्रष्ट रवैये से आम जनता को नुकसान उठाना पड़ता है।

भ्रष्टाचार का इतिहास: एक नजर

भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। 1964 में स्थापित किया गया एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) का मुख्य उद्देश्य ऐसे मामलों पर लगाम लगाना था। हालांकि, भ्रष्टाचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। झारखंड जैसे राज्यों में, जहां कई कल्याणकारी योजनाएं आदिवासी समुदायों के लिए लागू होती हैं, भ्रष्टाचार की घटनाएं ज्यादा सामने आती हैं।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

कब्रिस्तान की घेराबंदी जैसी संवेदनशील योजना में रिश्वतखोरी के मामले ने स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह अफसोस की बात है कि योजनाएं, जो हमारे लाभ के लिए हैं, वही भ्रष्टाचार के दलदल में फंस जाती हैं।"

वहीं, एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "ऐसे अफसरों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि बाकी लोग सबक ले सकें।"

एसीबी की सक्रियता बढ़ी

झारखंड में एसीबी ने हाल के वर्षों में कई भ्रष्ट अफसरों को पकड़ा है।

  • 2023 में जमशेदपुर में एक पंचायत सचिव को 50 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था।
  • 2022 में धनबाद में खनन विभाग के एक अधिकारी पर 2 लाख की रिश्वत लेने का आरोप था।

राजेंद्र उरांव की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि भ्रष्ट अफसर कितनी भी चालाकी कर लें, कानून के हाथ लंबे हैं।

क्या कहता है कानून?

भारत में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act, 1988) के तहत, रिश्वत लेते पकड़े जाने पर आरोपी को सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ता है। अगर दोष साबित होता है, तो आरोपी को 3 से 7 साल की जेल हो सकती है।

आगे क्या?

राजेंद्र उरांव को फिलहाल न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एसीबी की टीम अब उनकी संपत्तियों और पिछले कार्यकाल की जांच करेगी। संभावना है कि इस मामले से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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