Latehar Accident: फिटनेस ट्रेनर की सड़क हादसे में मौत, इलाके में छाया मातम
लातेहार जिले के मनिका थाना क्षेत्र में एनएच-39 पर दर्दनाक सड़क हादसा, फिटनेस ट्रेनर और पीटी टीचर कमल कुजूर की मौत। मुफ्त फिटनेस ट्रेनिंग सेंटर चलाकर युवाओं को सेना में भर्ती की तैयारी कराते थे।

झारखंड के लातेहार जिले से शुक्रवार को एक दर्दनाक खबर आई। एनएच-39 पर हुई सड़क दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। मनिका थाना क्षेत्र के डिग्री कॉलेज के पास बाइक और पिकअप वैन की जोरदार टक्कर में बरवाडीह निवासी 30 वर्षीय कमल कुजूर की मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कमल कुजूर सुबह अपनी बाइक से जा रहे थे। डिग्री कॉलेज के पास अचानक उनकी बाइक की सीधी टक्कर एक तेज रफ्तार पिकअप वैन से हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कमल गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
मनिका अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सदर अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। घटना की पुष्टि होते ही पूरे लातेहार और बरवाडीह क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
कौन थे कमल कुजूर?
कमल कुजूर सिर्फ एक पीटी टीचर नहीं थे, बल्कि सैकड़ों युवाओं की प्रेरणा थे। वे लातेहार जिले के बरवाडीह में रहते थे और एक निजी स्कूल में पीटी टीचर के रूप में कार्यरत थे। लेकिन उनकी असली पहचान उनके मुफ्त फिटनेस ट्रेनिंग सेंटर से जुड़ी थी।
यहां वे सेना, पुलिस और सुरक्षा बलों में भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को बिना किसी शुल्क के शारीरिक प्रशिक्षण देते थे। उनका मानना था कि आर्थिक तंगी किसी भी युवक को अपने सपनों से रोक नहीं सकती।
खिलाड़ी और प्रेरक व्यक्तित्व
कमल कुजूर खुद भी एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। वे हॉकी और फुटबॉल दोनों खेलों में दक्ष थे और स्थानीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में टीम का नेतृत्व कर चुके थे। खेलों में उनकी दक्षता और अनुशासन ने उन्हें युवाओं के बीच एक आदर्श बना दिया था।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता शशि शेखर ने कहा – “कमल कुजूर का जाना न सिर्फ एक परिवार की क्षति है, बल्कि पूरे इलाके का नुकसान है। वे युवाओं को खेल और अनुशासन से जोड़ने का काम कर रहे थे।”
बरवाडीह और खेलों का गौरव
बरवाडीह का नाम झारखंड में अक्सर खेलों और सामाजिक आंदोलनों के लिए लिया जाता है। इस इलाके से कई ऐसे खिलाड़ी निकले हैं जिन्होंने जिला और राज्य स्तर पर खेलों में योगदान दिया है। कमल भी उसी परंपरा की कड़ी थे। उन्होंने युवाओं को जागरूक करने के लिए कई खेल शिविरों का आयोजन किया था और अपने छोटे से प्रयास को बड़ा आंदोलन बनाने का सपना देखा था।
हादसे और सड़क सुरक्षा का सवाल
झारखंड में सड़क हादसे कोई नई बात नहीं है। एनएच-39, जो रांची से लेकर पलामू और उत्तर प्रदेश की सीमा तक जाती है, अक्सर दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात रही है। तेज रफ्तार और सड़कों की खराब स्थिति यहां दुर्घटनाओं की बड़ी वजह है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मार्ग पर स्पीड ब्रेकर और सख्त निगरानी की जाए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे रोके जा सकें।
लोगों में गुस्सा और दुख
कमल कुजूर की असामयिक मौत ने इलाके में गहरा दुख छोड़ा है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उनके ट्रेनिंग सेंटर से जुड़े कई युवाओं ने कहा कि – “कमल सर का सपना था कि हमारे गांव से भी दर्जनों युवक सेना और सुरक्षा बलों में भर्ती हों। अब उनकी कमी हमें हमेशा खलेगी।”
लातेहार का यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि एक समाजसेवी, खिलाड़ी और शिक्षक की असमय विदाई है। कमल कुजूर जैसे व्यक्तित्व बार-बार जन्म नहीं लेते। उनकी स्मृति हमेशा बरवाडीह और पूरे लातेहार जिले में जीवित रहेगी।
अब यह समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे कमल कुजूर के सपने को जिंदा रखें और सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाएं, ताकि भविष्य में कोई और घर इस तरह के हादसे से उजड़ने से बच सके।
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