Jharkhand Wildfire: जंगल में भयानक आग, राख में बदल रहे लाखों पेड़!
कोल्हान के जंगलों में भीषण आग, हजारों पेड़ जलकर राख! जानिए आग क्यों लग रही है और इसे कैसे रोका जा सकता है?

जमशेदपुर: गर्मी की शुरुआत के साथ ही कोल्हान के जंगलों में आग का कहर जारी है। दलमा से लेकर बहरागोड़ा और चाकुलिया तक जंगल जल रहे हैं। हर तरफ आग की लपटें उठ रही हैं, जिससे न केवल हजारों पेड़ राख हो रहे हैं, बल्कि वन्यजीवों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है। वन विभाग इस विकराल आग को बुझाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन हालात काबू में नहीं आ रहे।
हर साल जलते हैं हजारों एकड़ जंगल, मगर क्यों?
कोल्हान के जंगलों में आग लगना कोई नई बात नहीं है। हर साल गर्मी के मौसम में जंगल धधक उठते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर जंगलों में आग लगती क्यों है?
महुआ चुनने के लिए झाड़ियों में आग लगाई जाती है, जो बाद में पूरे जंगल में फैल जाती है।
सड़क किनारे लोग सिगरेट पीकर फेंक देते हैं, जिससे सूखी पत्तियां आग पकड़ लेती हैं।
कुछ लोग जलते चूल्हे और अलाव छोड़ देते हैं, जो धीरे-धीरे जंगलों को चपेट में ले लेते हैं।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आग का सबसे बड़ा कारण लोगों की लापरवाही है। अगर लोग सतर्क रहें, तो इस तबाही को रोका जा सकता है।
इतिहास भी गवाह है – जंगलों में आग कैसे बदल देती है पर्यावरण?
भारत में जंगल की आग कोई नई बात नहीं है। इतिहास देखें, तो...
1995 में उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी थी, जिसमें हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खत्म हो गए थे।
2016 में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया था।
2021 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग ने हजारों पेड़ों को राख में बदल दिया।
वन विभाग की मुश्किलें – कैसे बुझाई जा रही आग?
वन विभाग ने अग्निशमन दलों को जंगलों में भेजा है, ताकि आग को रोका जा सके।
ड्रोन और सेटेलाइट मॉनिटरिंग से आग पर नजर रखी जा रही है।
गांववालों को जागरूक किया जा रहा है कि वे आग लगाने से बचें और जंगलों की रक्षा करें।
वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, "अगर लोग महुआ चुनने के लिए आग लगाना बंद कर दें, तो जंगलों को जलने से बचाया जा सकता है। हमारी टीम पूरी कोशिश कर रही है कि नुकसान कम से कम हो।"
जंगल की आग से क्या खतरे हैं?
वन्यजीवों का खतरा: आग के कारण कई जीव-जंतु मारे जाते हैं या अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं।
पर्यावरण को नुकसान: पेड़ जलने से ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे जलवायु परिवर्तन तेज होता है।
मानव जीवन पर असर: जंगलों में आग फैलने से गांवों और शहरों में भी धुआं और प्रदूषण बढ़ जाता है।
अब सवाल उठता है...
क्या वन विभाग आग से बचाव के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है?
लोगों की लापरवाही कब रुकेगी?
क्या सरकार जंगलों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाएगी?
कोल्हान के जंगलों में आग बुझाने के लिए वन विभाग पूरी ताकत झोंक रहा है, लेकिन अगर लोग सतर्क नहीं हुए, तो आने वाले सालों में जंगल खत्म हो सकते हैं।
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