Hazaribagh Havaldar: गला रेता, सोते में हुई पुलिस जवान की हत्या, रिटायरमेंट से पहले अपराधियों ने रचा खूनी खेल

झारखंड पुलिस के चालक हवलदार पशुपति नाथ तिवारी की बिहार के आरा में छुट्टी के दौरान गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई है। जनवरी 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले इस जांबाज पुलिसकर्मी के साथ उनके ही घर के कमरे में हुई इस खौफनाक वारदात और इसके पीछे छिपी गहरी साजिश की पूरी हकीकत यहाँ दी गई है वरना आप भी सुरक्षित ठिकानों पर मंडराते इस बड़े खतरे को नहीं समझ पाएंगे।

Dec 20, 2025 - 17:57
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Hazaribagh Havaldar: गला रेता, सोते में हुई पुलिस जवान की हत्या, रिटायरमेंट से पहले अपराधियों ने रचा खूनी खेल
Hazaribagh Havaldar: गला रेता, सोते में हुई पुलिस जवान की हत्या, रिटायरमेंट से पहले अपराधियों ने रचा खूनी खेल

हजारीबाग, 20 दिसंबर 2025 – कानून के रखवालों पर वार करने का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने झारखंड और बिहार, दोनों राज्यों के पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया है। झारखंड के हजारीबाग जिले में तैनात चालक हवलदार पशुपति नाथ तिवारी की बिहार के भोजपुर (आरा) स्थित उनके पैतृक गांव में सोते समय गला रेतकर हत्या कर दी गई। यह वारदात जितनी निर्मम है, उतनी ही सुनियोजित भी, क्योंकि हत्यारों ने घर के भीतर घुसकर इस खूनी खेल को अंजाम दिया और किसी को भनक तक नहीं लगी। रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े एक पुलिसकर्मी का इस तरह अंत होना व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े करता है।

इतिहास: पुलिसकर्मियों पर हमले और सीमावर्ती अपराधों का ट्रेंड

ऐतिहासिक रूप से बिहार का भोजपुर क्षेत्र अपनी बहादुरी और बड़ी संख्या में फौज व पुलिस को जवान देने के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन इसी मिट्टी पर आपसी रंजिश और पुरानी दुश्मनी के कारण खूनी संघर्ष का भी एक लंबा इतिहास रहा है। अक्सर देखा गया है कि झारखंड या अन्य राज्यों में तैनात पुलिसकर्मी जब अपने पैतृक गांव छुट्टी पर लौटते हैं, तो वे स्थानीय अपराधियों या आपसी दुश्मनों के लिए आसान लक्ष्य बन जाते हैं। $2000$ के दशक से अब तक ऐसी दर्जनों घटनाएं हुई हैं जहाँ वर्दीधारियों को उनके घरों में निशाना बनाया गया। पशुपति नाथ तिवारी की हत्या इसी कड़वे सच की एक नई और दुखद कड़ी है।

घर के भीतर 'सफेदपोश' मौत: सोते समय हुआ हमला

पशुपति नाथ तिवारी करीब एक सप्ताह पहले ही हजारीबाग से विभागीय छुट्टी लेकर अपने गांव भगवतपुर (चांदी थाना) आए थे। उन्हें क्या पता था कि जिस घर को उन्होंने अपना सुरक्षित ठिकाना समझा था, वही उनकी कब्रगाह बन जाएगा।

  • खामोश कत्ल: शुक्रवार की रात जब वे अपने कमरे में गहरी नींद में थे, तब अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियार से उनके गले पर वार किया।

  • खून से लथपथ सुबह: शनिवार की सुबह जब परिजन उन्हें जगाने पहुँचे, तो बिस्तर पर खून का सैलाब और पशुपति नाथ का शव देखकर चीख पुकार मच गई। उनकी गर्दन पर गहरे जख्म इस बात की गवाही दे रहे थे कि कातिल केवल उनकी जान लेना चाहते थे।

रिटायरमेंट का सपना और उजड़ता परिवार

पशुपति नाथ तिवारी जनवरी 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। हजारीबाग पुलिस लाइन में उनके साथियों का कहना है कि वे अपने रिटायरमेंट के बाद के समय को परिवार के साथ बिताने के लिए काफी उत्साहित थे। रिटायरमेंट से महज कुछ महीने पहले हुई इस हत्या ने न केवल एक हंसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया है, बल्कि उन पुलिसकर्मियों के मन में भी खौफ पैदा कर दिया है जो दूर-दराज के राज्यों में तैनात हैं।

हत्याकांड का संक्षिप्त विवरण (Quick Facts)

विवरण जानकारी
नाम पशुपति नाथ तिवारी (59 वर्ष)
पद चालक हवलदार, हजारीबाग (झारखंड पुलिस)
घटना स्थल भगवतपुर गांव, चांदी थाना, आरा (बिहार)
हत्या का तरीका गला रेतकर (धारदार हथियार से)
रिटायरमेंट तिथि जनवरी 2026

झारखंड और बिहार पुलिस का 'जॉइंट ऑपरेशन'

चूंकि मामला एक पुलिसकर्मी की हत्या का है, इसलिए चांदी थाना पुलिस ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया है।

  1. हजारीबाग पुलिस का समन्वय: हजारीबाग एसपी और पुलिस मुख्यालय ने बिहार के भोजपुर पुलिस से संपर्क साधा है।

  2. आपसी रंजिश की जांच: शुरुआती जांच में इसे पुरानी रंजिश या संपत्ति विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस यह भी खंगाल रही है कि क्या उनकी ड्यूटी के दौरान किसी अपराधी से उनकी कोई दुश्मनी हुई थी।

  3. फोरेंसिक साक्ष्य: मौके से फिंगरप्रिंट्स और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि हमलावरों के भागने के रूट का पता चल सके।

सुरक्षा पर उठते बड़े सवाल

जब एक पुलिसकर्मी अपने ही घर के कमरे में सुरक्षित नहीं है, तो आम आदमी की सुरक्षा की उम्मीद किससे की जाए? पशुपति नाथ तिवारी की हत्या न केवल एक क्राइम है, बल्कि यह कानून की साख पर लगा गहरा घाव है। अब देखना यह है कि क्या दोनों राज्यों की पुलिस मिलकर उन कातिलों को ढूंढ पाएगी जिन्होंने एक वर्दीधारी के रिटायरमेंट के सपनों को खून से रंग दिया।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।