Ranchi CID : डिजिटल अरेस्ट, जयपुर में बैठा था ठग, रांची के शख्स से उड़ाए 30 लाख, सिसोदिया धरा गया साहिबगंज

झारखंड CID ने राजस्थान के जयपुर में छापेमारी कर डिजिटल अरेस्ट के जरिए 30 लाख की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड योगेश सिंह सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। रांची के एक व्यक्ति को फर्जी जांच एजेंसी का डर दिखाकर लूटने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और खुद को सुरक्षित रखने के गुप्त तरीकों की पूरी हकीकत यहाँ दी गई है वरना आपका बैंक अकाउंट भी अगला निशाना हो सकता है।

Dec 20, 2025 - 17:18
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Ranchi CID : डिजिटल अरेस्ट, जयपुर में बैठा था ठग, रांची के शख्स से उड़ाए 30 लाख, सिसोदिया धरा गया साहिबगंज
Ranchi CID : डिजिटल अरेस्ट, जयपुर में बैठा था ठग, रांची के शख्स से उड़ाए 30 लाख, सिसोदिया धरा गया साहिबगंज

रांची, 20 दिसंबर 2025 – झारखंड पुलिस की अपराध अनुसंधान विभाग (CID) ने साइबर ठगों के एक ऐसे खूंखार नेटवर्क को ध्वस्त किया है जो लोगों के मन में डर पैदा कर उनकी जीवन भर की कमाई लूट रहा था। रांची के एक नागरिक से 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर 30 लाख रुपये की भारी भरकम ठगी करने वाले आरोपी योगेश सिंह सिसोदिया को CID की टीम ने राजस्थान के जयपुर से दबोच लिया है। यह गिरफ्तारी केवल एक अपराधी की पकड़ नहीं है, बल्कि उस गिरोह के लिए बड़ी चेतावनी है जो फर्जी अधिकारी बनकर ऑनलाइन उगाही कर रहे थे।

इतिहास: साइबर अपराध और 'डिजिटल अरेस्ट' की नई महामारी

भारत में साइबर ठगी का इतिहास जामताड़ा जैसे छोटे जिलों से शुरू हुआ था, जहाँ पहले साधारण फिशिंग और सिम क्लोनिंग की जाती थी। $2020$ के बाद से तकनीक के विकास के साथ ठगों ने अपना तरीका बदला और 'सोशल इंजीनियरिंग' का सहारा लिया। 'डिजिटल अरेस्ट' इसी का सबसे खतरनाक आधुनिक स्वरूप है। ऐतिहासिक रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियां (ED, CBI, या पुलिस) कभी भी वीडियो कॉल पर कार्रवाई नहीं करती हैं, लेकिन ठगों ने स्क्रीन शेयरिंग और फर्जी आईडी कार्ड्स का उपयोग कर आम जनता के मन में जेल जाने का ऐसा खौफ पैदा किया कि लोग अपनी सारी जमा पूंजी उनके हवाले करने लगे। योगेश सिंह सिसोदिया इसी आधुनिक ठगी के सिंडिकेट की एक अहम कड़ी है।

30 लाख की ठगी और जयपुर में 'सर्जिकल स्ट्राइक'

रांची के पीड़ित व्यक्ति को कुछ समय पहले एक कॉल आया, जिसमें आरोपी ने खुद को केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसी (CBI/ED) का बड़ा अधिकारी बताया।

  • खौफ का माहौल: पीड़ित को डराया गया कि उसके नाम पर अवैध पार्सल या मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं और उसे 'डिजिटल अरेस्ट' किया जा रहा है।

  • मनी ट्रांसफर: डर के मारे पीड़ित ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के एक खाते में 30 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

  • CID की कार्रवाई: मामला दर्ज होते ही साइबर क्राइम थाना सक्रिय हुआ। डिजिटल फुटप्रिंट्स का पीछा करते हुए CID की टीम जयपुर के मानसरोवर पहुंची और स्थानीय पुलिस के सहयोग से योगेश सिंह सिसोदिया को सांगानेर से गिरफ्तार कर लिया।

पूरे देश में फैला है जाल: 10 राज्यों में दर्ज हैं शिकायतें

पकड़ा गया अभियुक्त योगेश सिंह कोई मामूली ठग नहीं है। गृह मंत्रालय के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के अनुसार:

  1. देशव्यापी नेटवर्क: योगेश के खिलाफ पूरे भारत में 10 अलग-अलग शिकायतें दर्ज हैं।

  2. बैंक म्यूल गिरोह: वह कई राज्यों में फैले उस गिरोह का हिस्सा है जो ठगी के पैसे को डाइवर्ट करने के लिए 'म्यूल अकाउंट्स' (दूसरों के बैंक खाते) का इस्तेमाल करता है।

डिजिटल अरेस्ट ठगी का संक्षिप्त विवरण (Case File)

विवरण जानकारी
मुख्य आरोपी योगेश सिंह सिसोदिया (जयपुर, राजस्थान)
ठगी की राशि 30 लाख रुपये
पीड़ित का निवास रांची, झारखंड
गिरफ्तारी का स्थान सांगानेर, जयपुर
सक्रियता पूरे देश में 10 आपराधिक मामले दर्ज

सावधानी: इस 'डिजिटल मौत' से कैसे बचें?

CID झारखंड ने इस मामले के बाद नागरिकों के लिए विशेष सुरक्षा दिशा-निर्देश जारी किए हैं:

  • सत्यता: कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर 'पैसे की मांग' नहीं करती और न ही किसी को 'डिजिटल अरेस्ट' करने का कोई कानून है।

  • दबाव में न आएं: यदि कोई अज्ञात कॉलर खुद को अधिकारी बताकर डराए, तो तुरंत फोन काटें और नजदीकी थाने को सूचित करें।

  • तुरंत कार्रवाई: किसी भी साइबर धोखाधड़ी की स्थिति में बिना समय गंवाए हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

CID की बड़ी उपलब्धि

योगेश सिंह सिसोदिया की गिरफ्तारी से उन लाभार्थियों और हैंडलरों तक पहुँचने का रास्ता साफ हो गया है जो परदे के पीछे से इस गिरोह को चला रहे हैं। रांची CID की यह कार्रवाई बताती है कि ठग चाहे सात समंदर पार या दूसरे राज्य में क्यों न बैठा हो, कानून के हाथ उस तक जरूर पहुँचेंगे।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।