झारखंड उच्च न्यायालय में जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने पर विवाद, जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू

झारखंड उच्च न्यायालय में जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई शुरू हुई। याचिका में झारखंड सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है। जानें इस मामले की प्रमुख बातें और अदालत की प्रतिक्रिया।

Sep 13, 2024 - 18:00
Sep 13, 2024 - 18:29
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झारखंड उच्च न्यायालय में जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने पर विवाद, जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू
झारखंड उच्च न्यायालय में जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने पर विवाद, जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू

जमशेदपुर, 13 सितंबर: झारखंड उच्च न्यायालय में आज, 13 सितंबर 2024 को, जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। यह याचिका सौरभ विष्णु और जमशेदपुर के 50 से अधिक नागरिकों द्वारा दायर की गई है।

सुनवाई के दौरान, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश अरुण कुमार राय की पीठ ने मामले की सुनवाई की। झारखंड के महाअधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जमशेदपुर के नागरिक जवाहरलाल शर्मा द्वारा 2018 में दायर रिट संख्या 549 के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित किया था।

महाअधिवक्ता ने दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार को जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने की अनुमति दी थी। पिटीशनर के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि 2018 में पारित आदेश में इंडस्ट्रियल टाउन की कोई अधिसूचना नहीं थी और यह मामले की वैधानिकता पर कोई निर्णय नहीं था।

अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार ने टाटा कंपनी के साथ एक प्राइवेट समझौते के तहत यह अधिसूचना जारी की है। इसमें पूरे नगर निगम क्षेत्र को इंडस्ट्रियल टाउन घोषित किया गया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह अधिसूचना संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करती है।

अदालत ने कहा कि सुनवाई के बाद यह तय होगा कि जमशेदपुर की जमीन पर कौन नियंत्रण रखेगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। न्यायाधीश ने 20 सितंबर 2024 को सर्वोच्च न्यायालय में जवाहरलाल शर्मा की रिट की सुनवाई की तारीख तय की है।

इस जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि झारखंड सरकार द्वारा 20 अगस्त 2005 को किया गया लीज समझौता फर्जी है। याचिकाकर्ता ने टाटा कंपनी पर 10 लाख करोड़ रुपये का अवैध भूमि राजस्व वसूलने का आरोप लगाया है।

अब इस मामले की आगे की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद होगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।