Japan Controversy: जापान में 25 साल की उम्र के बाद शादी पर पाबंदी लगाने की सलाह, जानिए क्या है पूरा विवाद!
जापान के नेता की विवादास्पद सलाह ने उठाया बवाल। 25 साल की उम्र के बाद महिलाओं पर शादी की पाबंदी और गर्भाशय निकालने की सलाह। पढ़ें जापान में घटती जन्म दर के कारण हो रहे विवाद के बारे में।
टोक्यो, 14 नवंबर — जापान में एक और विवाद ने तूल पकड़ लिया है, इस बार मुद्दा है घटती जन्म दर का और इसके समाधान के लिए दी गई एक बेहद विवादास्पद सलाह। जापान की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता नाओकी हयाकुता का कहना है कि जन्म दर को बढ़ाने के लिए महिलाओं को कॉलेज जाने से रोकना चाहिए, 25 साल की उम्र के बाद शादी करने पर पाबंदी लगानी चाहिए और 30 साल की उम्र तक उनका गर्भाशय निकाल देना चाहिए। यह बयान देश में हड़कंप मचा गया है, और लोग इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
नाओकी हयाकुता की विवादास्पद सलाह
नाओकी हयाकुता, जापान की कंजर्वेटिव पार्टी के एक बड़े नेता, ने हाल ही में यूट्यूब पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं के गर्भाशय को 30 साल की उम्र तक निकाल देना चाहिए, ताकि वे जल्दी बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को 25 साल की उम्र के बाद शादी करने से प्रतिबंधित कर दिया जाए, ताकि वे एक अच्छी मां बनने के लिए अपना पूरा ध्यान परिवार पर केंद्रित कर सकें। उनके अनुसार, यह कदम जापान में घटती जन्म दर के संकट को हल करने में मदद करेगा।
क्या था हयाकुता का तर्क?
हयाकुता ने अपने तर्क में कहा कि यदि महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया जाएगा, तो वे जल्द से जल्द बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित होंगी, और इस तरह से जापान की घटती जन्म दर पर काबू पाया जा सकेगा। उनका यह भी मानना था कि महिलाओं को 18 साल की उम्र में कॉलेज में एडमिशन नहीं लेना चाहिए, क्योंकि उन्हें परिवार और बच्चों की देखभाल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
क्या था जापान में घटती जन्म दर का कारण?
जापान पिछले कई दशकों से घटती जन्म दर और बढ़ती वृद्धावस्था की समस्या से जूझ रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 के पहले छह महीनों में जापान में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या 3,50,074 थी, जो 2023 की इसी अवधि की तुलना में 5.7% कम है। जापान की युवा आबादी का घटता हुआ अनुपात और कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या इस समस्या को और भी गंभीर बना रही है।
जापान में महिलाओं की स्थिति और आलोचनाएं
नाओकी हयाकुता की इस सलाह पर जापान के समाज में तीखी आलोचनाएं हो रही हैं। महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह बयान महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का उल्लंघन है। महिलाओं को उनके शरीर और जीवन के बारे में निर्णय लेने का पूरा अधिकार है, और किसी भी सरकार को उनके ऊपर इस प्रकार के निर्णय थोपने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा, यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या जापान की घटती जन्म दर के कारणों को समझे बिना इस प्रकार के कठोर कदम उठाना सही होगा?
क्या इस समस्या का कोई और समाधान है?
महत्वपूर्ण बात यह है कि जापान में जन्म दर में कमी के कारण केवल महिलाओं की भूमिका नहीं है। आर्थिक स्थिति, कामकाजी जीवन और पारिवारिक दबाव भी इस संकट का बड़ा कारण हैं। जापान सरकार और सामाजिक संगठनों को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। महिलाओं को अपनी इच्छा और करियर के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए, न कि उन्हें कठोर तरीके से नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए।
नाओकी हयाकुता का बयान और उसका असर
हयाकुता ने अपने बयान के बाद माफी भी मांगी, लेकिन उनके बयान ने यह साबित कर दिया कि समाज में घटती जन्म दर को लेकर विचार विमर्श करना कितना संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनके शब्दों से किसी को आहत नहीं होना चाहिए था, लेकिन यह साफ है कि उनका बयान विवादों का कारण बन गया।
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