Government Guidelines: कोचिंग सेंटरों के झूठे वादों पर सरकार का बड़ा एक्शन, छात्रों को मिलेगा राहत!
केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जानिए, इससे छात्रों को कैसे होगा फायदा।
नई गाइडलाइन्स से कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा: भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटरों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन कई बार ये संस्थान छात्रों को गलत तरीके से आकर्षित करने के लिए झूठे और भ्रामक वादे करते हैं। अब इन संस्थानों की मनमानी पर केंद्र सरकार ने लगाम लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने मीडिया से बातचीत में इस बारे में जानकारी दी और बताया कि सरकार ने यह दिशा-निर्देश इसलिए जारी किए हैं, ताकि छात्रों को सही जानकारी मिल सके और वे सही निर्णय ले सकें।
कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त दिशा-निर्देश: नए दिशा-निर्देशों के तहत, अब कोचिंग सेंटरों को 100 प्रतिशत चयन या नौकरी की गारंटी जैसे झूठे वादे करने से रोका गया है। यह कदम खासकर उन कोचिंग सेंटरों के खिलाफ उठाया गया है, जो यूपीएससी, नीट, जेईई जैसे महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं। सरकार के इस फैसले से अब छात्रों को किसी भी कोचिंग सेंटर के भ्रामक विज्ञापनों से बचने का मौका मिलेगा। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भी पहले ही 45 कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई की है और 18 संस्थानों पर 54 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने की कोशिश: सरकार का उद्देश्य अब यह है कि कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों में पूरी पारदर्शिता लाई जाए। इन निर्देशों के तहत अब कोचिंग सेंटरों को अपने कोर्स की अवधि, फीस संरचना और शिक्षकों के बारे में सही जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, अब संस्थान सफल छात्रों या टॉपरों के नाम और फोटो बिना उनकी सहमति के उपयोग नहीं कर सकते हैं।
विज्ञापनों में बदलाव से छात्रों को फायदा: इन नए दिशा-निर्देशों का सबसे बड़ा फायदा छात्रों को मिलेगा। अब वे यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि जो विज्ञापन वे देख रहे हैं, वह वास्तविक है या नहीं। कई बार कोचिंग सेंटर विज्ञापन में यह दावा करते थे कि उनका कोर्स 100 प्रतिशत सफलता दिलाएगा, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं था। अब ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगने से छात्रों को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
कोर्स और फीस की जानकारी में पारदर्शिता: नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब कोचिंग सेंटरों को अपनी फीस और रिफंड नीतियों के बारे में भी पारदर्शिता रखनी होगी। इससे छात्रों को यह समझने में मदद मिलेगी कि वे कितना भुगतान कर रहे हैं और यदि वे कोचिंग छोड़ते हैं तो उनका रिफंड कैसे होगा। इसके अलावा, कोचिंग सेंटरों को अपने पाठ्यक्रम और सुविधाओं के बारे में सही जानकारी देनी होगी।
छोटे कोचिंग सेंटरों के लिए भी कार्रवाई: यह दिशा-निर्देश केवल बड़े कोचिंग संस्थानों पर ही नहीं, बल्कि छोटे कोचिंग सेंटरों पर भी लागू होंगे। अगर छोटे कोचिंग सेंटरों से जुड़ी कोई शिकायत सामने आती है, तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का उद्देश्य अब यह है कि कोई भी कोचिंग सेंटर छात्रों को धोखा न दे और उनकी मेहनत और पैसों का सही तरीके से इस्तेमाल हो।
कोचिंग की बढ़ती संख्या और सरकार की चिंता: भारत में कोचिंग सेंटरों का बाजार 1990 के दशक के बाद तेजी से बढ़ा। पहले केवल इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग होती थी, लेकिन अब लगभग सभी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं। इस बढ़ती संख्या के साथ ही कई संस्थान विज्ञापनों और प्रचार के नाम पर छात्रों को गुमराह करने लगे थे। अब सरकार ने ऐसे संस्थानों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की ठानी है।
छात्रों के लिए क्या होगा आगे?: इन दिशा-निर्देशों के बाद, छात्रों को यह समझने का बेहतर मौका मिलेगा कि वे जिस कोचिंग सेंटर से पढ़ाई कर रहे हैं, वह पारदर्शी और सही तरीके से काम कर रहा है। इसके अलावा, छात्रों को यह भी पता चल सकेगा कि उनके कोर्स, फीस, और चयन के बारे में जो जानकारी दी जा रही है, वह सही है या नहीं।
क्या कोचिंग सेंटर अपने वादों पर खरे उतरेंगे?: अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन गाइडलाइन्स के लागू होने के बाद कोचिंग सेंटर अपने वादों और विज्ञापनों में कितनी पारदर्शिता लाते हैं। यदि वे इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, तो यह न केवल छात्रों के लिए बेहतर होगा, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक नया सुधार आएगा।
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