Jamshedpur Tribute: आजसू पार्टी ने सुनील महतो की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण, सरकार पर लगाए बड़े आरोप!
आजसू पार्टी ने शहीद सुनील महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और सरकार पर शहीदों के अपमान का आरोप लगाया। जानिए पूरा मामला।

झारखंड की राजनीति में आज भी शहीद सुनील महतो का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। झारखंड आंदोलन की नींव रखने वाले और पूर्व सांसद सुनील महतो के शहादत दिवस को आजसू पार्टी ने बलिदान दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर पूर्वी सिंहभूम जिला समिति के अध्यक्ष कन्हैया सिंह के नेतृत्व में आजसू पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम के दौरान आजसू नेताओं ने मौजूदा सरकार पर कड़ा हमला बोला और आरोप लगाया कि शहीदों के सपनों का झारखंड आज भी अधूरा है।
झारखंड आंदोलन और सुनील महतो की अहम भूमिका
सुनील महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कद्दावर नेता थे और उनकी राजनीति आम जनता के मुद्दों पर केंद्रित थी।
वे झारखंड के उन नेताओं में से थे, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य की मांग को धार दी।
2004 में जमशेदपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर वे संसद पहुंचे।
झारखंड की स्वायत्तता और आदिवासी हकों के लिए वे लगातार संघर्षरत रहे।
लेकिन 4 मार्च 2007 को नक्सलियों ने घात लगाकर उनकी हत्या कर दी। यह झारखंड की राजनीति में एक काला दिन था, क्योंकि सुनील महतो को जनता का नेता माना जाता था। उनकी मौत के बाद भी उनका सपना अधूरा रह गया।
शहीदों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी आजसू पार्टी’
आजसू पार्टी के जिला अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने कहा कि सुनील महतो ने झारखंड को एक मजबूत राज्य बनाने का जो सपना देखा था, वह आज भी अधूरा है।
"झारखंड सरकार को यह तक याद नहीं कि जिनके संघर्ष से यह राज्य बना, उन्हीं शहीदों का सम्मान नहीं हो रहा है।"
"गणेश पूजा मैदान कदमा में सुनील महतो की प्रतिमा स्थापित होनी थी, लेकिन आज तक वह योजना अधूरी है।"
"उनकी प्रतिमा के ऊपर छतरी तक नहीं है, यह सरकार के उदासीन रवैये को दर्शाता है।"
उन्होंने साफ कहा कि आजसू पार्टी शहीदों के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगी और सरकार को इस मुद्दे पर घेरने के लिए आंदोलन छेड़ेगी।
क्या झारखंड सरकार शहीदों को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है?
झारखंड में शहीदों की विरासत को लेकर अक्सर राजनीति होती रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार शहीदों के नाम का उपयोग सिर्फ वोट बैंक के लिए करती है, लेकिन उनके विचारों को लागू करने में नाकाम रहती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड के आदिवासी नेता और शहीद आंदोलनकारियों की याद में सिर्फ समारोह आयोजित करने से कुछ नहीं होगा। अगर वाकई सरकार उन्हें सम्मान देना चाहती है, तो झारखंड को उनके सपनों के अनुरूप बनाना होगा।
आजसू पार्टी ने उठाई यह मांगें:
शहीद सुनील महतो की प्रतिमा का सम्मानजनक रखरखाव किया जाए।
गणेश पूजा मैदान कदमा में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए।
झारखंड आंदोलन के शहीदों को उचित सम्मान और पहचान मिले।
सरकार शहीद नेताओं के नाम पर योजनाएं शुरू करे।
कार्यक्रम में कौन-कौन रहे मौजूद?
इस कार्यक्रम में आजसू पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से जिला प्रवक्ता अप्पू तिवारी, ललन झा, अरूप मल्लिक, परवीन प्रसाद, मृत्युंजय सिंह, आनंदी ओझा, सुधीर सिंह, अशोक कुमार और अंगद कुमार मौजूद थे।
कार्यक्रम के दौरान सभी नेताओं ने एक सुर में सरकार से मांग की कि शहीद सुनील महतो के सम्मान को बरकरार रखा जाए और उनके सपनों के झारखंड को साकार किया जाए।
क्या सरकार करेगी आजसू पार्टी की मांगों को पूरा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या झारखंड सरकार आजसू पार्टी की इन मांगों को गंभीरता से लेगी?
या फिर यह मामला भी अन्य राजनीतिक विवादों की तरह सिर्फ चर्चा में रहकर ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
आने वाले दिनों में अगर सरकार इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करती, तो आजसू पार्टी बड़े आंदोलन की तैयारी कर सकती है।
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