Jamshedpur Accident: सड़क पर हुआ भीषण टक्कर, यूनियन नेता का मासूम बेटा पीआईसीयू में जिंदगी से जूझ रहा
जमशेदपुर से रामगढ़ जाते वक्त चौका में टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी मेंबर विभाष शुक्ला का परिवार सड़क हादसे का शिकार हो गया। हादसे में उनका तीन साल का बेटा गंभीर रूप से घायल होकर पीआईसीयू में भर्ती है।

जमशेदपुर से रामगढ़ के बीच सोमवार सुबह घटी एक दर्दनाक घटना ने शहर में हड़कंप मचा दिया। टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी मेंबर विभाष शुक्ला अपनी पत्नी, तीन साल के बेटे और माता-पिता के साथ जब अपने निजी दौरे पर निकले थे, तब उन्हें क्या पता था कि NH-33 पर सरायकेला के चौका के पास एक भयानक सड़क हादसा उनका इंतजार कर रहा है।
इस हादसे में विभाष शुक्ला की कार को पीछे से तेज़ रफ्तार हाइवा ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। हादसे में सबसे गंभीर चोटें उनके तीन साल के बेटे को आईं, जो इस वक्त टीएमएच के पीआईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।
हादसा या लापरवाही?
विभाष शुक्ला, जो खुद गाड़ी चला रहे थे, ने बताया कि वे सुबह 5 बजे बिष्टुपुर स्थित अपने घर से रामगढ़ के लिए रवाना हुए थे। सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही वे चौका के पास पहुंचे, पीछे से आ रही एक हाइवा गाड़ी अचानक उनकी ओर तेजी से बढ़ने लगी।
संभावित खतरे को भांपते हुए विभाष ने अपनी टाटा हेक्सा गाड़ी को डिवाइडर की ओर मोड़ने की कोशिश की। लेकिन हाइवा चालक को नींद की झपकी आ चुकी थी और उसकी गाड़ी नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। नतीजतन, हाइवा ने विभाष की गाड़ी को जबरदस्त टक्कर मार दी और खुद पलट गया।
एयरबैग ने बचाई जान, लेकिन मासूम पर टूटा कहर
हादसे के समय गाड़ी में एयरबैग खुल जाने से सभी यात्रियों को हल्की चोटें आईं। लेकिन मासूम बेटा, जो गाड़ी में खेल रहा था, गंभीर रूप से घायल हो गया। दुर्घटना के तुरंत बाद, विभाष शुक्ला किसी तरह घायल बच्चे को लेकर टीएमएच पहुंचे, जहां उसे गंभीर हालत में पीआईसीयू में भर्ती कराया गया।
सिस्टम पर फिर सवाल
एनएच-33, जिसे एक समय में "डेथ हाइवे" कहा जाता था, वर्षों से हादसों के लिए कुख्यात रहा है। चौका क्षेत्र विशेष रूप से ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित है, जहां पहले भी कई गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
हाइवा चालकों की लंबी ड्यूटी और नींद की कमी के चलते ऐसी दुर्घटनाएं बार-बार हो रही हैं। लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से न तो कोई प्रभावी उपाय किए गए हैं और न ही ट्रक चालकों के लिए कोई मानव केंद्रित नियम लागू हुए हैं।
यूनियन से लेकर स्टील प्लांट तक में हलचल
हादसे की खबर मिलते ही टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु, यूनियन के तमाम कमेटी मेंबर, टाटा स्टील के वरिष्ठ अधिकारी, और अन्य कर्मचारी टीएमएच अस्पताल पहुंच गए। सभी ने घायल बच्चे के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
इस हादसे ने यूनियन में भी सदमे और चिंता की लहर दौड़ा दी है, क्योंकि विभाष शुक्ला एक सक्रिय और लोकप्रिय कमेटी मेंबर हैं।
सवाल अब भी कायम
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क्या हाइवा ट्रकों के संचालन पर कोई नियंत्रण है?
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क्या सड़क पर चलने वालों की सुरक्षा अब भी केवल किस्मत के भरोसे है?
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क्या प्रशासन इन लगातार होते हादसों से कोई सबक लेगा?
एक मामूली नींद, एक पल की चूक और एक परिवार का सुकून बिखर गया।
जमशेदपुर जैसे शहर, जहां से टाटा जैसे औद्योगिक समूह निकलते हैं, वहां अगर सड़क सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खामोशी मिले, तो यह बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
विभाष शुक्ला का परिवार आज भी दहशत में जी रहा है, और उनका मासूम बेटा अस्पताल की मशीनों से बंधा जिंदगी की जंग लड़ रहा है।
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