Jamshedpur Drowning Mystery: नदी में डूबे दो दोस्तों की दर्दनाक कहानी, एक की लाश मिली, दूसरा अब भी लापता

जमशेदपुर के बाबूडीह नदी घाट में नहाने गए तीन दोस्तों में से दो डूब गए। एक का शव बरामद, दूसरे की तलाश जारी। स्थानीय मछुआरे और मोहल्ले के लोग कर रहे हैं प्रयास, लेकिन NDRF टीम नहीं पहुंची।

Apr 23, 2025 - 17:35
 0
Jamshedpur Drowning Mystery: नदी में डूबे दो दोस्तों की दर्दनाक कहानी, एक की लाश मिली, दूसरा अब भी लापता
Jamshedpur Drowning Mystery: नदी में डूबे दो दोस्तों की दर्दनाक कहानी, एक की लाश मिली, दूसरा अब भी लापता

जमशेदपुर के सिदगोड़ा थाना क्षेत्र में मंगलवार की दोपहर एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। बाबूडीह नदी घाट पर नहाने गए तीन किशोरों में से दो गहरे पानी में डूब गए। उनमें से एक किशोर निखिल का शव स्थानीय मछुआरों की मदद से बरामद कर लिया गया है, जबकि दूसरे किशोर सूरज शांडिल की तलाश अब भी जारी है।

लेकिन यह सिर्फ एक दुखद घटना नहीं, बल्कि कई सवालों और सिस्टम की नाकामी की कहानी भी है।

एक नदी, तीन दोस्त और एक अनहोनी

मंगलवार की दोपहर करीब 3 बजे, निखिल, सूरज शांडिल और सूरज मछुआ—तीनों घनिष्ठ दोस्त—बाबूडीह नदी में गर्मी से राहत पाने और मस्ती के इरादे से नहाने गए। सभी की उम्र 14 से 15 वर्ष के बीच थी और वे अक्सर साथ घूमते, खेलते और नदी घाट पर समय बिताते थे।

लेकिन इस दिन उनकी मासूम मस्ती मौत के मुंह तक जा पहुंची। जब वे जलकुंभी के बीच खेलते-खेलते गहरे पानी में चले गए, तो निखिल और सूरज शांडिल अचानक डूबने लगे।

एक बचा, लेकिन दर्द के साथ

साथ गए तीसरे दोस्त सूरज मछुआ ने दोनों को डूबते देखा तो उन्हें बचाने के लिए नदी में कूद पड़ा। लेकिन पानी की तेज धारा और कीचड़ से फिसलन ने उसे भी लहूलुहान कर दिया। किसी तरह जलकुंभी पकड़कर बाहर निकले सूरज मछुआ ने घर पहुंचकर परिजनों को सूचना दी।

न कोई अलर्ट, न सुरक्षा

घटना की जानकारी मिलते ही मोहल्ले के लोग दौड़कर मौके पर पहुंचे। स्थानीय मछुआरे भी तुरंत मदद को आगे आए और रात भर सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन अंधेरे और पानी की गहराई के चलते कोई सफलता नहीं मिली।

लोगों को उम्मीद थी कि एनडीआरएफ की टीम आएगी, लेकिन घंटों बीतने के बाद भी कोई टीम नहीं पहुंची। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाया—क्या हमारी आपदा प्रबंधन व्यवस्था सिर्फ कागजों तक सीमित है?

इतिहास दोहराया, लेकिन सबक नहीं सीखा गया

यह पहला मौका नहीं है जब बाबूडीह नदी घाट पर इस तरह की दुर्घटना हुई हो। बीते वर्षों में कई किशोर यहां डूब चुके हैं, लेकिन न तो प्रशासन ने घाट पर कोई चेतावनी बोर्ड लगाया, न ही किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई।

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल गर्मियों में यहां बच्चे नहाने आते हैं, लेकिन कोई लाइफ गार्ड, कोई निगरानी, और न ही कोई सुरक्षा उपकरण तैनात रहता है।

मौत की पुष्टि और तलाश की जद्दोजहद

बुधवार सुबह स्थानीय मछुआरों ने निखिल के शव को नदी से बरामद कर लिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

वहीं सूरज शांडिल की तलाश अभी जारी है। स्थानीय लोग और मछुआरे अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से मदद न के बराबर है। इस स्थिति ने परिजनों की चिंता और नाराज़गी दोनों को बढ़ा दिया है।

सवालों के घेरे में प्रशासन

  • आखिर इतने गंभीर हादसे के बावजूद NDRF समय पर क्यों नहीं पहुंची?

  • नदी घाटों पर बच्चों के लिए कोई चेतावनी या सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं है?

  • पहले हुई घटनाओं से कोई सबक क्यों नहीं लिया गया?

इन सवालों के जवाब तलाशना जरूरी है ताकि आगे कोई और मासूम जिंदगी इस तरह पानी में न समा जाए।

बाबूडीह घाट पर मंगलवार को जो हुआ, वह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टम की नाकामी की कहानी है।
जहां एक ओर तीन दोस्तों की जिंदगी खेल-खेल में उलझ गई, वहीं दूसरी ओर सरकारी उदासीनता ने लोगों के दिलों में गुस्सा और निराशा भर दी है।

जब तक प्रशासन इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेगा, तब तक हर गर्मी में नदियों में डूबते बच्चे हमारी लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।