Jamshedpur Notice Action: उपायुक्त अनन्य मित्तल ने बकाएदारों पर कसा शिकंजा, सरकारी राशि वापसी को लेकर दिए कड़े निर्देश

जमशेदपुर के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने नीलाम पत्र शाखा का निरीक्षण करते हुए बकाएदारों को समय पर राशि लौटाने का सख्त निर्देश दिया। जानें कैसे अब कड़ी कार्रवाई के लिए प्रशासन ने कसी कमर।

Apr 23, 2025 - 17:28
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Jamshedpur Notice Action: उपायुक्त अनन्य मित्तल ने बकाएदारों पर कसा शिकंजा, सरकारी राशि वापसी को लेकर दिए कड़े निर्देश
Jamshedpur Notice Action: उपायुक्त अनन्य मित्तल ने बकाएदारों पर कसा शिकंजा, सरकारी राशि वापसी को लेकर दिए कड़े निर्देश

जमशेदपुर में प्रशासनिक सख्ती अब एक नई दिशा लेती नजर आ रही है। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने नीलाम पत्र शाखा के निरीक्षण के दौरान ऐसे निर्देश दिए हैं, जिनसे बकाएदारों की नींद उड़नी तय है। उपायुक्त ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जिन लोगों ने सरकारी धन का भुगतान अब तक नहीं किया है, उन्हें न्यायालय के माध्यम से नोटिस भेजकर राशि लौटाने के लिए बाध्य किया जाएगा।

इतना ही नहीं, यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर पैसा वापस नहीं किया गया, तो कानूनी कार्रवाई भी तय है। यह घोषणा उस वक्त की गई जब उपायुक्त समाहरणालय परिसर स्थित नीलाम पत्र शाखा का औचक निरीक्षण कर रहे थे।

नीलाम पत्र शाखा: क्या है इसका इतिहास?

झारखंड जैसे खनिज समृद्ध राज्य में सरकारी धन वसूली से जुड़े कई पुराने वाद वर्षों से लंबित हैं। "नीलाम पत्र शाखा" यानी Certificate Branch, वह सरकारी कार्यालय होता है जहाँ बकाया राशि की वसूली के लिए विशेष वाद चलाए जाते हैं।
यह शाखा मुख्य रूप से उन लोगों के विरुद्ध कार्य करती है जिन्होंने सरकारी विभागों से ली गई राशि या सेवाओं का भुगतान नहीं किया।

नीलामी, जप्ती और कानूनी कार्यवाही—यही इसके प्रमुख अस्त्र हैं। लेकिन अब तक की कार्यप्रणाली में लचरता और सुस्ती का आरोप लगता रहा है। शायद इसी कारण उपायुक्त ने इस विभाग को प्राथमिकता पर लेकर खुद निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान उठे कई सवाल

निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने निम्नलिखित कार्यों की जानकारी ली:

  • लंबित वादों की अद्यतन स्थिति

  • रजिस्टर मिलान की स्थिति

  • बड़े बकाएदारों की सूची

  • अदालत में निर्धारित तारीखों पर पैरवी की स्थिति

  • सर्टिफिकेट होल्डर से प्राप्त राशि की सूचना

  • अनापत्ति प्रमाण पत्र की समय पर आपूर्ति

उन्होंने नीलाम पत्र पदाधिकारी को निर्देश दिया कि सभी लंबित मामलों का समयबद्ध निष्पादन किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि सभी दस्तावेज न्यायालय को समय पर उपलब्ध कराए जाएं।

सख्त निर्देश: पता सत्यापन और प्रमाण संलग्न करना अनिवार्य

उपायुक्त ने यह भी कहा कि किसी भी अधियाचना को दायर करने से पहले संबंधित व्यक्ति का पता भौतिक रूप से सत्यापित किया जाए और एड्रेस प्रूफ के दस्तावेज संलग्न हों। इससे न केवल केस की वैधता बढ़ेगी, बल्कि न्यायालय में सुनवाई भी प्रभावी ढंग से संभव होगी।

ऑनलाइन उपस्थिति में लापरवाही पर नाराज़गी

एक और अहम पहलू रहा ऑनलाइन बायोमीट्रिक उपस्थिति। उपायुक्त ने कर्मियों की लेटलतीफी पर नाखुशी जताते हुए कहा कि समय पर कार्यालय आना और ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य है। कोई भी कर्मचारी अब इस नियम से बच नहीं सकेगा।

कोषागार का निरीक्षण: दस्तावेज और सुरक्षा पर फोकस

उपायुक्त अनन्य मित्तल ने कोषागार का भी निरीक्षण किया और स्टॉक रजिस्टर, सर्विस बुक, बिल भुगतान संचिका, और कार्मिक विवरण जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की।

उन्होंने कहा कि कोषागार में रखे गए प्रश्नपत्र, पेंशन से संबंधित फाइलें, और पोस्ट रिटायरमेंट बेनिफिट्स जैसी चीजें अति संवेदनशील हैं और इनके रखरखाव में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

फायर सेफ्टी, सुरक्षा गार्ड, और साफ-सफाई की व्यवस्था को भी चुस्त रखने के निर्देश दिए गए। खास तौर पर वृद्ध एवं दिव्यांग पेंशनर्स के लिए बैठने की समुचित व्यवस्था करने की बात कही गई।

कौन-कौन रहे मौजूद?

इस निरीक्षण में उपायुक्त के साथ एसडीएम धालभूम शताब्दी मजूमदार, अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद, एनईपी निदेशक संतोष गर्ग, कार्यपालक दंडाधिकारी मृत्युंजय कुमार और चंद्रजीत सिंह जैसे कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

जमशेदपुर प्रशासन की यह सख्ती संकेत है कि अब सरकारी बकाया राशि की वसूली में कोई ढील नहीं दी जाएगी। जो भी बकाएदार अब तक चैन की नींद सो रहे थे, उन्हें चेत जाना चाहिए। उपायुक्त अनन्य मित्तल का यह निरीक्षण एक साफ संदेश देता है—“सरकारी धन की वसूली में अब न तो देर होगी, न ही कोई कोताही।”

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।