Jamshedpur Mission: किसानों के लिए शुरू हुआ एक्सपोजर विजिट, जानें खेती में कैसे आएगा बदलाव
जमशेदपुर से 50 किसानों का दल आधुनिक और वैज्ञानिक खेती की तकनीक सीखने के लिए नोएडा रवाना। जानिए इस एक्सपोजर विजिट का उद्देश्य और इससे किसानों को मिलने वाले फायदे।
जमशेदपुर के किसानों के लिए बड़ी पहल की गई है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत जिले के 50 किसानों का दल ग्रेटर नोएडा के इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी में आधुनिक और वैज्ञानिक खेती की तकनीकें सीखने के लिए भेजा गया है। यह एक सप्ताह का एक्सपोजर विजिट किसानों के जीवन को नई दिशा देने की कोशिश है।
जिले के समाहरणालय से परियोजना निदेशक आईटीडीए श्री दीपांकर चौधरी ने इस दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तकनीकी विशेषज्ञ अनिल चौरसिया भी मौजूद थे।
आधुनिक खेती की ओर कदम
यह एक्सपोजर विजिट किसानों को हाई-टेक खेती, संरक्षित खेती, जैविक उत्पादन और मूल्यवर्धन तकनीकों से परिचित कराएगा।
- स्थान: ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, सोलन, और शिमला।
- प्रमुख आकर्षण:
- हाई-टेक ग्रीनहाउस खेती।
- हाइड्रोपोनिक्स और प्राकृतिक सिंचाई प्रणाली।
- जैविक और प्राकृतिक खेती पर विशेष प्रशिक्षण।
- विदेशी सब्जियों और मशरूम उत्पादन का अध्ययन।
परियोजना निदेशक ने कहा कि यह पहल किसानों को उत्पादकता बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी।
ग्रेटर नोएडा: तकनीकी खेती का मॉडल
ग्रेटर नोएडा के इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी में किसान हाइड्रोपोनिक्स (मिट्टी रहित खेती) और संरक्षित खेती की बारीकियां सीखेंगे।
- यहां के प्रौद्योगिकी पार्क में हाई-टेक बागवानी फसलों का प्रदर्शन होगा।
- किसान पॉलीहाउस तकनीक को नजदीक से समझेंगे।
गाजियाबाद: जैविक खेती का केंद्र
गाजियाबाद में किसानों को बेबी कॉर्न उत्पादन और प्राकृतिक पॉलीहाउस खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- जैविक खेती से उत्पादों का स्वास्थ्य लाभ और बाजार में मांग।
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग।
सोलन और शिमला: हिमालय की खेती के रहस्य
सोलन में किसान पॉलीहाउस में विदेशी सब्जियों और फूलों की खेती का अध्ययन करेंगे।
- मशरूम उत्पादन के आधुनिक तरीके।
- विभिन्न फलों के बगीचों का भ्रमण।
शिमला में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान का दौरा होगा, जहां आलू की नई किस्मों और उत्पादकता बढ़ाने की तकनीकों को समझाया जाएगा।
किसानों के लिए ऐतिहासिक पहल
झारखंड में कृषि को आर्थिक आधार बनाने की यह पहल ऐतिहासिक मानी जा रही है।
- झारखंड के किसान पारंपरिक खेती से जुड़े हैं, लेकिन आधुनिक तकनीकों की कमी से उत्पादकता में गिरावट होती है।
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत उन्हें नई तकनीकों और बाजार की जरूरतों को समझने का मौका मिलेगा।
इतिहास में देखें तो 1990 के दशक में हरित क्रांति के तहत खेती में तकनीकी हस्तक्षेप किया गया, लेकिन झारखंड जैसे राज्यों में इन तकनीकों का लाभ नहीं मिल पाया। यह विजिट उस कमी को पूरा करने का प्रयास है।
किसानों के जीवन में बदलाव की उम्मीद
परियोजना निदेशक दीपांकर चौधरी ने कहा:
"यह विजिट किसानों के लिए बदलाव का अवसर है। वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकेंगे और बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगे।"
आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में बागवानी उत्पादन में अब तक 40% तक की वृद्धि हुई है।
यह पहल न केवल उत्पादकता को बढ़ावा देगी, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।
जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
जमशेदपुर के किसानों ने इस पहल का स्वागत किया है।
- स्थानीय किसान रघुवीर महतो ने कहा:
"हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें ऐसी तकनीकों को समझने का मौका मिलेगा।" - प्रशासन का मानना है कि इससे झारखंड के कृषि सेक्टर में नई क्रांति आएगी।
नई दिशा की ओर झारखंड के किसान
यह एक्सपोजर विजिट झारखंड के किसानों को नए युग की खेती की ओर ले जाने वाला कदम है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पहल से किसान अपनी फसलों में क्या बदलाव लाते हैं और झारखंड के कृषि विकास को कैसे नई ऊंचाइयां मिलती हैं।
What's Your Reaction?