Jamshedpur Makar Sankranti: अग्रवाल सम्मेलन और युवा मंच की खास पहल
मकर संक्रांति के मौके पर पूर्वी सिंहभूम जिला अग्रवाल सम्मेलन और युवा मंच ने संगम स्थल पर खिचड़ी वितरण और पतंग उत्सव आयोजित किया, जिसमें 8000 श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
जमशेदपुर, 14 जनवरी: मकर संक्रांति का पर्व केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि समाज की एकजुटता और परंपरा को सजीव करने का दिन होता है। पूर्वी सिंहभूम जिला अग्रवाल सम्मेलन ने इस खास अवसर पर एक अद्भुत आयोजन किया, जिससे न केवल समाज के सभी वर्गों को जोड़ा गया, बल्कि समाज सेवा के रूप में एक नई मिसाल भी पेश की। इस आयोजन में करीब 8000 श्रद्धालुओं को खिचड़ी सब्जी का भोग वितरित किया गया।
खिचड़ी वितरण और समाज सेवा
अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल गोल्डी ने बताया कि यह आयोजन विशेष रूप से मकर संक्रांति के धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इस बार दोमुहानी संगम पर खिचड़ी वितरण के लिए समाज के लगभग 8000 श्रद्धालुओं को एकत्रित किया गया। यह एक अद्वितीय पहल थी, जिसमें अग्रवाल समाज के प्रमुख सदस्य जैसे अशोक चौधरी, संतोष अग्रवाल, कमल किशोर अग्रवाल, शंकर लाल गुप्ता, महावीर अग्रवाल सहित कई अन्य ने योगदान दिया।
आयोजन में खिचड़ी वितरण के साथ-साथ अमित रूंगटा और सुनील खंडेलवाल के द्वारा बिस्किट और वस्त्रों का वितरण भी किया गया, जिससे समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने का संदेश दिया गया। इस पहल से यह भी साबित हुआ कि मकर संक्रांति न केवल धार्मिक अवसर है, बल्कि एक दूसरे के साथ मदद और सेवा का पर्व भी है।
पतंग उत्सव: महिलाओं की भागीदारी
वहीं, इस दिन को और भी खास बनाने के लिए मारवाड़ी युवा मंच सुरभि शाखा ने पतंग उत्सव का आयोजन किया। यह उत्सव महिलाओं और युवतियों के लिए एक अनोखा अवसर था, जहाँ उन्होंने जमकर पतंगबाजी की और मकर संक्रांति के इस पवित्र पर्व का आनंद लिया। महिलाओं ने रंग-बिरंगी पतंगों के साथ आसमान में झूमते हुए उत्सव का समागम किया।
इस आयोजन में कविता अग्रवाल, पूजा अग्रवाल, नेहा चौधरी, सपना भाऊका, पायल अग्रवाल, अंजू चेतानी, अर्चना अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल, रजनी बंसल, और कई अन्य महिलाओं ने भाग लिया। यह दिन एक सांस्कृतिक मेला बन गया, जिसमें परंपराओं का आदान-प्रदान हुआ और सामाजिक संबंधों को मजबूत किया गया।
मकर संक्रांति और भारतीय संस्कृति
मकर संक्रांति का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह दिन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो एक नए शुरूआत का संदेश देता है। खासकर बिहार और झारखंड जैसे क्षेत्रों में यह दिन खिचड़ी, तिल गुड़ और पतंगबाजी के साथ मनाया जाता है। यहाँ की परंपराएं और उत्सव भारतीय समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।
इस दिन को लेकर ऐतिहासिक महत्व भी है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता का उत्तरायण होना किसानों के लिए एक शुभ संकेत होता है। इसी कारण इस दिन खासकर कृषि आधारित उत्सव होते हैं। खिचड़ी वितरण का आयोजन इस पारंपरिक त्योहार के महत्व को बढ़ाता है, जिसमें सामूहिक रूप से भोजन वितरण का कार्य किया जाता है, ताकि समाज के सभी वर्गों को समावेशित किया जा सके।
समाज सेवा का संदेश
इस पूरे आयोजन का उद्देश्य केवल मकर संक्रांति मनाना नहीं था, बल्कि यह समाज सेवा और एकजुटता का संदेश भी था। अग्रवाल समाज के सदस्य इस दिन ने न केवल भोग वितरण किया, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने के लिए काम किया। खिचड़ी वितरण के अलावा, पतंग उत्सव ने पारंपरिक रूप से समाज के एकजुट होने और सांस्कृतिक उत्सवों के माध्यम से आपसी मेलजोल बढ़ाने का शानदार तरीका अपनाया।
मकर संक्रांति का यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह सामाजिक भाईचारे और एकता का प्रतीक भी था। ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम यह सीख सकते हैं कि समाज को जोड़ने और सेवा के कार्यों में भाग लेने से हमारा देश और अधिक मजबूत और एकजुट होगा।
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