Jamshedpur Makar Sankranti: युवाओं का उमंग और संस्कृति का उत्सव, रघुवर दास के साथ रंग-बिरंगे पतंगों का जश्न!

जमशेदपुर में सूर्य मंदिर समिति द्वारा आयोजित पतंग महोत्सव में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की उपस्थिति, रंग-बिरंगे पतंगों का जलवा और सामाजिक समरसता की झलक। जानें इस महोत्सव के ऐतिहासिक महत्व और युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का उद्देश्य।

Jan 15, 2025 - 20:47
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Jamshedpur Makar Sankranti: युवाओं का उमंग और संस्कृति का उत्सव, रघुवर दास के साथ रंग-बिरंगे पतंगों का जश्न!
Jamshedpur Makar Sankranti: युवाओं का उमंग और संस्कृति का उत्सव, रघुवर दास के साथ रंग-बिरंगे पतंगों का जश्न!

मकर संक्रांति के इस विशेष मौके पर सूर्य मंदिर समिति ने जमशेदपुर में पहली बार भव्य पतंग महोत्सव का आयोजन किया, जो न केवल उत्सव का एक प्रतीक बनकर उभरा, बल्कि यह हमारे गौरवमयी सांस्कृतिक धरोहर को भी फिर से जीवित करने का एक प्रयास था। इस महोत्सव ने युवाओं में संस्कृति और परंपरा के प्रति एक नया उत्साह और आकर्षण पैदा किया।

रंग-बिरंगी पतंगों से सजा आसमान
सिदगोड़ा और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में युवा एवं युवतियाँ इस आयोजन में भाग लेने के लिए पहुँचे। पतंगों ने आसमान में रंगों की बारात सजाई और युवा प्रतिस्पर्धा में जुटे रहे कि कौन अपनी पतंग को सबसे ऊँचा उड़ाता है। इस दौरान, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी स्वयं पतंग उड़ाया और युवाओं को प्रोत्साहित किया। उनका कहना था कि पतंग उड़ाने की यह परंपरा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल आनंद का साधन है, बल्कि यह हमारी सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।

रघुवर दास की उपस्थिति और संदेश
सूर्य मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस महोत्सव में भाग लिया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने इस अवसर पर सूर्य पूजा और यज्ञ हवन में भी भाग लिया और इसके बाद प्रसाद वितरण के कार्यक्रम का हिस्सा बने। उनके अनुसार, हमारे पूर्वजों ने ऐसे त्योहारों की रचना की थी, जो न केवल हमारे उत्सव का कारण बनते हैं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को भी सहयोग प्रदान करते हैं।

सामाजिक समरसता की झलक
महोत्सव के बाद, सोन मंडप परिसर में 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं को खिचड़ी, चोखा, चटनी और आचार के रूप में प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान, पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे, और सामाजिक समरसता का एक अद्भुत दृश्य सामने आया। सभी वर्गों के लोग मिलजुल कर प्रसाद ग्रहण करते हुए दिखे, और इस तरह इस महोत्सव ने सिर्फ सांस्कृतिक उत्सव को ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया।

महोत्सव के महत्व को समझते हुए
रघुवर दास ने आगे कहा कि पतंगों का उड़ाना केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, आदर्शों और उम्मीदों का प्रतीक है। हर पतंग जो ऊँचाई में उड़ती है, वह हमारी आकांक्षाओं, सपनों और सामाजिक समरसता का प्रतीक होती है। सूर्य मंदिर समिति का यह पतंग महोत्सव न केवल परंपराओं को संरक्षित करने का प्रयास है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को हमारे गौरवमयी इतिहास से भी जोड़ने का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

महोत्सव में शामिल होने वाले प्रमुख लोग
इस ऐतिहासिक महोत्सव में पत्रकार जगत के कई प्रमुख चेहरे, जैसे संजय मिश्रा, संजीव भारद्वाज, उदित अग्रवाल, जय प्रकाश राय और अन्य प्रतिष्ठित लोग भी उपस्थित थे। मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, अखिलेश चौधरी, अमरजीत सिंह राजा, बंटी अग्रवाल और कई अन्य समाजसेवी महोत्सव में उपस्थित थे।

संगठित और समर्पित टीम
महोत्सव के सफल आयोजन में सूर्य मंदिर समिति की पूरी टीम ने शानदार काम किया। आयोजन के दौरान मौजूद कई स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम को निर्बाध रूप से चलाने में मदद की और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए हर एक पहलू को व्यवस्थित तरीके से सम्पन्न किया।

इस भव्य पतंग महोत्सव ने यह सिद्ध कर दिया कि त्योहार केवल हर्षोल्लास का नहीं होते, बल्कि ये हमें अपनी जड़ों से जोड़ने, संस्कृति को पुनर्जीवित करने और समाज में समरसता को बढ़ावा देने का एक बेहतरीन अवसर होते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।