Jamshedpur Crisis: कोर्ट में काम ठप, वकील और पक्षकार परेशान

जमशेदपुर में कोर्ट फीस और नन-जुडिशल स्टांप पेपर की कमी से न्यायिक कामकाज प्रभावित हो रहा है। वकीलों और पक्षकारों में नाराजगी बढ़ रही है। जानें पूरी खबर।

Nov 25, 2024 - 14:47
Nov 25, 2024 - 14:56
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Jamshedpur Crisis: कोर्ट में काम ठप, वकील और पक्षकार परेशान
Jamshedpur Crisis: कोर्ट में काम ठप, वकील और पक्षकार परेशानJamshedpur Crisis: कोर्ट में काम ठप, वकील और पक्षकार परेशान

जमशेदपुर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने जिला प्रशासन से कोर्ट फीस और नन-जुडिशल स्टांप पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है। पिछले डेढ़-दो महीनों से जिले में ₹5, ₹15, ₹20, ₹50 और ₹100 के स्टांप पेपर उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी कामों में इस्तेमाल होने वाले इन स्टांप पेपर की कमी से न्यायिक प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

कैसे प्रभावित हो रहा है कामकाज?

स्टांप पेपर की कमी के चलते वकालतनामा दाखिल करना, जमानत बंध पत्र और याचिका आवेदन जैसे काम रुक गए हैं। कोर्ट दस्तावेजों की सच्ची प्रतिलिपि प्राप्त करने में भी परेशानी हो रही है। वकीलों और पक्षकारों को काम अधूरा छोड़कर घर लौटना पड़ रहा है।

इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया में देरी हो रही है, बल्कि झारखंड की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है। अन्य राज्यों से आने वाले लोग भी इस समस्या से परेशान हैं।

चुनावी प्रक्रिया बनी बाधा?

सुधीर कुमार पप्पू का कहना है कि स्टांप पेपर की इस किल्लत का मुख्य कारण सरकारी विभागों की निष्क्रियता है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव प्रक्रिया में व्यस्तता का हवाला देकर संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं।

ऑनलाइन सिस्टम से बढ़ी मुश्किलें

स्टांप पेपर के ऑनलाइन वितरण में नेटवर्क की कमी के कारण काम रुक जाता है। कई वकीलों का कहना है कि जब तक ऑफलाइन स्टांप पेपर की व्यवस्था नहीं होगी, समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

क्या कहता है इतिहास?

भारतीय न्यायिक व्यवस्था में स्टांप पेपर और कोर्ट फीस का इस्तेमाल 19वीं सदी से होता आ रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे राजस्व जुटाने का माध्यम बनाया गया। हालांकि, आधुनिक समय में यह न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में कोर्ट फीस और स्टांप पेपर की कमी ने न्यायिक कामकाज को ठप कर दिया है। इससे पहले भी झारखंड में ऐसी समस्याएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला।

वकीलों और बार एसोसिएशन का रुख

सुधीर कुमार पप्पू ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से इस मुद्दे पर पहल करने की अपील की है। उनका कहना है कि स्टांप वेंडरों को ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन स्टांप पेपर की सुविधा भी दी जानी चाहिए। उन्होंने जिला उपायुक्त से व्यक्तिगत तौर पर इस समस्या को हल करने की अपील की है।

आक्रोश बढ़ता जा रहा है

इस समस्या से वकीलों और पक्षकारों में भारी नाराजगी है। जिला प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकला, तो इसका असर पूरे राज्य की न्यायिक व्यवस्था पर पड़ सकता है।
जमशेदपुर में स्टांप पेपर और कोर्ट फीस की कमी ने न्यायिक व्यवस्था को ठप कर दिया है। यह समस्या केवल वकीलों या पक्षकारों की नहीं है, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित कर रही है। जिला प्रशासन और सरकार को इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी, ताकि न्यायिक प्रक्रिया सामान्य हो सके।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।